बुरहानपुर। अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह की घटनाओं को रोकने हेतु बुरहानपुर जिले में कलेक्टर हर्ष सिंह के नेतृत्व में एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। बाल विवाह को लेकर चिंता और जागरूकता बढ़ाने के लिए कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों और सेवाओं को कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह अभियान विशेष रूप से अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर बाल विवाह को बढ़ावा देने वाली कुप्रथाओं को रोकने पर केंद्रित है।
नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश
कलेक्टर हर्ष सिंह ने आदेश जारी किया है कि जिले में सभी विवाह आयोजनों के दौरान विशेष निगरानी रखी जाए। इस संदर्भ में, शादी में शामिल सभी सेवा प्रदाताओं जैसे मैरिज हॉल संचालक, टेंट व्यवसायी, बैंड-बाजा, कैटरिंग सेवाएं और पंडित-मौलवी को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे विवाह के पहले सुनिश्चित करें कि विवाह में शामिल वर और वधु की उम्र कानूनी सीमा के भीतर है। अगर किसी भी आयोजन में वधु की उम्र 18 वर्ष से कम और वर की उम्र 21 वर्ष से कम पाई जाती है, तो आयोजकों के साथ-साथ सभी जुड़े हुए व्यक्तियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार के आयोजन में इस प्रथा को बढ़ावा देने की कोशिश करने वाले व्यक्तियों पर सख्त दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
उड़नदस्ते का गठन और कड़ी निगरानी
कलेक्टर हर्ष सिंह ने बाल विवाह की रोकथाम हेतु उड़नदस्तों का गठन किया है। ये उड़नदस्ते जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तलाशी अभियान चलाएंगे और बाल विवाह की जानकारी मिलने पर तत्काल कार्रवाई करेंगे। अगर कहीं बाल विवाह का आयोजन होता है, तो उड़नदस्ता संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर घटनास्थल पर पहुंचकर आयोजन को रुकवाएगा और विवाह को शून्य घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन ने विभिन्न विभागों के साथ मिलकर एक समन्वित प्रयास किया है। सभी परियोजना कार्यालयों को कंट्रोल रूम के रूप में कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी मामले में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत सजा
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुषमा भदौरिया ने बताया कि, “30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा, और इस दिन विशेष रूप से बाल विवाह की घटनाएं होने की संभावना रहती है।” उन्होंने यह भी बताया कि बाल विवाह कानूनी अपराध है, और इसके लिए दो साल का कठोर कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत, विवाह के लिए वधु की आयु 18 वर्ष और वर की आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इसके तहत, जो भी धर्मगुरु, बैंड-बाजा, टेंट वाले या अन्य कोई व्यक्ति बाल विवाह में शामिल होगा, उसे भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
बाल विवाह के दुष्परिणाम
बाल विवाह बच्चों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास पर गहरा असर डालता है। बाल विवाह से वधु की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं, साथ ही उनके जीवन की दिशा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह युवाओं को शिक्षा और कैरियर के अवसरों से वंचित करता है, और उनके समग्र जीवन स्तर को प्रभावित करता है। साथ ही, यह समाज में महिलाओं के अधिकारों के हनन और असमानता को बढ़ावा देता है।
समाज में जागरूकता और शिक्षा का महत्व
बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाना सबसे जरूरी कदम है। कलेक्टर हर्ष सिंह ने यह भी निर्देशित किया कि समाज में इस मुद्दे पर जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। इसके लिए, पंचायत स्तर पर ग्रामसभाओं में इस विषय पर चर्चा आयोजित की जाएगी, ताकि लोग बाल विवाह के खतरों और इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में जान सकें।
आगे की दिशा
कलेक्टर हर्ष सिंह ने सभी संबंधित विभागों और स्थानीय निकायों से अपील की कि वे इस अभियान में अपनी पूरी सक्रियता से भाग लें और बाल विवाह की रोकथाम के लिए अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान को सफलता दिलाने के लिए जनसहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है और सभी को मिलकर इस सामाजिक समस्या का समाधान ढूंढना होगा।
इस अभियान के सफल क्रियान्वयन से बुरहानपुर जिले में बाल विवाह की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी और आने वाली पीढ़ियों को बेहतर और सुरक्षित भविष्य मिलेगा।