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लोक शिक्षण संचालनालय को भेजी शिकायत, लंबे समय से पोर्टल पर आ रही परेशानी, दूर नहीं कर रहा विभाग
बुरहानपुर। लंबे समय से मराठी पढ़ाने वाले शिक्षकों को तकनीकी समस्या के कारण ऐसी स्कूलों में नहीं भेजा जा रहा है जहां मराठी शिक्षक की आवश्यकता है। पोर्टल पर जानकारी प्रदर्शित नहीं होने के कारण यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन उच्च स्तर से भी शिक्षा विभाग इस समस्या का निराकरण नहीं कर रहा है। ऐसे में जहां मराठी शिक्षक नहीं हैं वहां के विद्यार्थी खासे परेशान हो रहे हैं। इसकी शिकायत जिला अध्यक्ष सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रवीण कुमार चौधरी ने लोक शिक्षण संचालनालय को भेजी है।
शिकायत में कहा गया कि जिले की करीब 35 सरकारी स्कूलों में मराठी विषय तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। जिसमें करी 18 माध्यमिक और 17 हाईस्कूल, हायर सेकंडरी स्कूल में 7 हजार विद्यार्थी मराठी विषय का अध्ययन कर रहे है। इन स्कूलों में भले ही हिन्दी माध्यम से अध्यापन कराया जा रहा है, लेकिन तृतीय शषा के रूप में भी अध्ययन कराया जा रहा है। उच्च पदभार प्रक्रिया में मराठी विषय के शिक्षकों को ष्शामिल नहीं किया गया जिसके कारण मराठी पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब उच्च पदभार नहीं मिल सका। अफसरों का कहना है कि मराठी विषय पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं होने के कारण यह समस्या आ रही है। शिक्षकों को उच्च पदभार नहीं मिल सका।
यह है खामियां
– कक्षा नौवीं और 10वीं में तृतीय भाषा के रूप में मराठी विषय पढ़ाए जाने, परीक्षा में प्रश्न पत्र तैयार करने, उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य बिना उच्च प्रभार के मराठी विषय के शिक्षकों के बगैर संपन्न हो रहा है। नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता, बोर्ड की परीक्षा, अध्यापन कार्य को ध्यान में खते हुए मराठी विषय के शिक्षकों को उच्च पदभार दिया जाना चहिए।
– कुछ शालाओं में संस्कृत विषय के शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षक के रूप में उच्च पदभार मिला जबकि उन शालाओं में संस्कृत विषय का अध्यापन कराया ही नहीं जा रहा है। जिस प्रकार अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत और उर्दू के शिक्षकों को उच्च पदभार दिया गया है उसी तरह मराठी विषय के शिखकों को भी उच्च पदभार दिया जाए जिससे विद्यार्थियों को लाभ हो।
– शिकायतकर्ता ने मांग की है कि पोर्टल पर मराठी विषय को प्रदर्शित करने या संस्कृत विषय जहां नहीं पढ़ाया जा रहा है वहा अन्य विषय के रूप में मराठी को जोड़कर शिक्षकों, विद्यार्थियों को न्याय दें।
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