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स्व. सुशीला देवी चौकसे की पुण्यतिथि पर 180 यूनिट रक्तदान कर मानवता को किया समर्पित, मंच से झलकी संस्था की आत्मा
बुरहानपुर। शिक्षा, सेवा और संस्कृति के त्रिवेणी संगम का साक्षी बना शुक्रवार का दिन जब मैक्रो विज़न एकेडमी, बुरहानपुर में “रमैया वस्तावैया” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि यह संस्था की आत्मा, मूल्यों और उस भावना का उत्सव था, जो स्वर्गीय सुशीला देवी चौकसे (मम्मी जी) द्वारा संजोयी गई थी।
संस्था के अनहद आनंद ऑडिटोरियम में जब कार्यक्रम की शुरुआत हुई, तो हर चेहरा गर्व और भावुकता से दमक रहा था। इस अवसर पर मैक्रो विज़न का पूरा परिवार एकजुट था—चाहे वे वरिष्ठ शिक्षक हों, वर्षों से जुड़े कर्मचारी हों, शाखाओं के प्रतिनिधि हों या उनके परिवारजन।
फाउंडर एवं चेयरमेन आनंद प्रकाश चौकसे, एकेडमिक डायरेक्टर मंजूषा चौकसे, ऑल इज़ वेल हॉस्पिटल के डायरेक्टर कबीर चौकसे व देवांशी चौकसे, शिक्षा विकास प्रबंधक सुश्री अंतरा चौकसे, प्राचार्य जसवीर सिंह परमार, उपप्राचार्या मोनिका अग्रवाल, तथा अन्य विभागीय प्रमुख मंच पर उपस्थित थे।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने रचा भावनाओं का रंगमंच
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रत्येक सहयोगी शाखा द्वारा प्रस्तुति दी गई—प्रेम, कृतज्ञता और सम्मान का संदेश देते हुए। ऑर्केस्ट्रा में विद्यालय के संगीत शिक्षकों ने जब सुरों की धारा बहाई, तो उपस्थित श्रोता भावविभोर हो उठे।
सेवा को मिला सम्मान
संस्था से 15 वर्षों या उससे अधिक समय से जुड़े शिक्षकों को समारोहपूर्वक सम्मानित किया गया। विशेष बात यह रही कि इन शिक्षकों के माता-पिता को भी मंच पर आमंत्रित कर उनके योगदान को सार्वजनिक रूप से नमन किया गया—एक ऐसा दृश्य जो शायद ही कहीं और देखा गया हो।
नाटक के जरिए जीवंत हुई संस्था की यात्रा
शाम की विशेष प्रस्तुति रही एक संगीत नाटक, जिसने मैक्रो विज़न की विनम्र शुरुआत से लेकर आज की बुलंदियों तक की प्रेरणादायक यात्रा को जीवंत किया। इसमें संस्था के नेतृत्वकर्ता स्वयं मंच पर उतरे और दर्शाया कि कैसे एक सपना, एक परिवार की मेहनत से एक शिक्षा आंदोलन में बदला। यह नाटक न केवल प्रदर्शन था, बल्कि यह हर उस शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी के प्रति आभार था, जिन्होंने संस्था के निर्माण में भूमिका निभाई।
180 यूनिट रक्तदान, सेवा की पराकाष्ठा
कार्यक्रम की आत्मा बनी वह रक्तदान शिविर, जो सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक पैराडाइज विंग में चला। “प्यार बाँटो, जीवन साझा करो” की थीम पर आधारित इस शिविर में 180 यूनिट रक्त एकत्र किया गया—जो संस्था की सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रमाण था। इस शिविर में शिक्षकों, अधिकारियों और स्टाफ ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और इसे स्व. सुशीला देवी जी की स्मृति को मानवता के रूप में समर्पित किया गया।
आतिथ्य की मिसाल
कार्यक्रम का संचालन अत्यंत गरिमापूर्ण और व्यक्तिगत शैली में कबीर चौकसे और सुश्री अंतरा चौकसे ने किया। हर अतिथि को मान-सम्मान और आत्मीयता के साथ संबोधित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर सभी वरिष्ठ नागरिकों को नेतृत्व टीम द्वारा व्यक्तिगत रूप से भोजन परोसा गया—जो संस्था की विनम्रता और सेवा भावना का जीवंत उदाहरण था।