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करंट से बेटे को बचाने की मन्नत, पिता की आस्था की अनोखी कहानी
बुरहानपुर। महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले 52 वर्षीय देवीदास थोराट, अपने बेटे के ठीक होने की मन्नत पूरी करने के लिए तीसरी बार लुढ़कते हुए वैष्णो देवी की यात्रा पर निकले हैं। उनका यह समर्पण और अद्वितीय यात्रा पथ सभी के लिए प्रेरणादायक है।
देवीदास बताते हैं कि उनका बेटा दुर्गेश 5 साल का था जब पतंग उड़ाते समय उसे करंट लग गया। इस हादसे से उसका चेहरा बुरी तरह प्रभावित हो गया था। उन्होंने मन्नत मांगी कि अगर उनका बेटा ठीक हो गया, तो वह पांच बार लुढ़कते हुए वैष्णो देवी जाएंगे। अब उनका बेटा पूरी तरह स्वस्थ है और 12वीं कक्षा में पढ़ता है।
लुढ़कते हुए यात्रा: तीसरी बार की शुरुआत
देवीदास ने पहली यात्रा गुजरात की ओर से की थी। अब वह बुरहानपुर के रास्ते तीसरी यात्रा कर रहे हैं। वह हर दिन 10-15 किलोमीटर लुढ़कते हैं और 8 महीने में वैष्णो देवी पहुंचने की योजना है। रास्ते में लोग उन्हें खाना-पीना उपलब्ध कराते हैं। देवीदास कहते हैं, “रात को मैं मंदिर या धर्मशाला में आराम करता हूं।”
बेटी का साथ और परिवार का सहयोग
इस यात्रा में उनकी 14 वर्षीय बेटी साइकिल पर उनके साथ चलती है। परिवार ने इस कठिन मन्नत यात्रा के लिए पूरा सहयोग दिया है। बेटी उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती है और मार्गदर्शक के रूप में साथ रहती है। देवीदास कहते हैं, रास्ते में अजनबी लोग मेरी मदद करते हैं। वे खाना देते हैं, पैसे देते हैं और प्रोत्साहित करते हैं। उनकी यात्रा न केवल मन्नत का प्रतीक है बल्कि यह दिखाती है कि आस्था और समर्पण में कितनी ताकत होती है।
जीवनशैली और समर्पण
पेशे से लोहार, देवीदास थोराट के पास आर्थिक संसाधन सीमित हैं, लेकिन उनका आत्मबल उन्हें यात्रा पर निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। हर यात्रा के बाद वह 15 दिन का विश्राम करते हैं और फिर अगली यात्रा पर निकल पड़ते हैं। देवीदास थोराट की यह अनोखी यात्रा दिखाती है कि जब व्यक्ति अपने संकल्प के लिए समर्पित होता है, तो कठिनाई भी राह नहीं रोक सकती। उनका यह समर्पण केवल उनके बेटे के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है।