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पूर्व महापौर अनिल भोंसले के कार्यकाल में बना था स्विमिंग पूल
बुरहानपुर। सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं की असफलता की एक और मिसाल सामने आई है। करोड़ों रुपये खर्च करके बनाया गया स्विमिंग पूल आज तक जनता के उपयोग में नहीं आ सका। यह मामला न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है।
कैसे शुरू हुई यह योजना?
तत्कालीन महापौर अतुल पटेल ने बताया कि बुरहानपुर में एक अत्याधुनिक स्विमिंग पूल के निर्माण की योजना बनाई गई थी। इसे स्कूल शिक्षा विभाग, बैकवर्ड ग्रांट रीजन फंड और अन्य निधियों से कुल 1.35 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाना था। इस पूल को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जाना था, ताकि स्थानीय खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
क्यों नहीं हुआ पूल का उपयोग?
विधायक अर्चना चिटनिस ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और बताया कि निर्माण कार्य में अनियमितताएं हुईं। टेंडर शर्तों को बदला गया और गैर-अनुभवी ठेकेदार को यह कार्य सौंप दिया गया, जिससे निर्माण में गंभीर खामियां रह गईं। परिणामस्वरूप, यह पूल आज तक आम जनता के लिए उपयोगी नहीं हो सका।
जनता का पैसा, मगर फायदा किसी को नहीं!
यह विडंबना ही है कि जिस पूल को पिछड़े वर्ग और छात्रों के उपयोग के लिए बनाया गया था, वह आज तक चालू नहीं हो सका। यह जनता के पैसों की बर्बादी और प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। आम नागरिकों में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराजगी है।
अब आगे क्या?
विधायक अर्चना चिटनिस ने इस मामले में गहन जांच की मांग की है। उन्होंने सरकार से विशेषज्ञ समिति गठित करके इस भ्रष्टाचार की जांच कराने की अपील की है। इसके अलावा, उन्होंने नलकूप खनन में हुए भ्रष्टाचार की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जहां जल आपूर्ति योजनाओं में अनियमितताएं पाई गईं।
और इधर…..
बुरहानपुर में नलकूप खनन घोटाला: कब मिलेगी न्याय?
बुरहानपुर में सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की एक और परत उजागर हुई है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद नलकूप खनन परियोजनाएं संदेह के घेरे में हैं। यह मामला भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जिससे जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कैसे हुआ नलकूप खनन घोटाला?
विधायक अर्चना चिटनिस ने विधानसभा में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और बताया कि नगर निगम बुरहानपुर द्वारा 9 स्थानों पर नलकूप खनन में भारी भ्रष्टाचार किया गया। यह योजना जल संकट से निपटने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन इसमें ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी अनुदान का दुरुपयोग हुआ।
जांच में देरी क्यों?
इस घोटाले की शिकायत जनवरी 2024 में की गई थी, जिसके बाद प्रमुख अभियंता, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल ने अधीक्षण यंत्री, नगरीय प्रशासन विभाग उज्जैन संभाग को जांच करने का आदेश दिया था। लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई जांच नहीं हुई है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है?
जनता के पैसे का दुरुपयोग
सरकार की जल आपूर्ति योजनाओं को ठेकेदारों और भ्रष्ट अधिकारियों ने मुनाफे का जरिया बना लिया। जो नलकूप खनन किया भी गया, वह मानकों के अनुरूप नहीं था, जिससे कई स्थानों पर पानी की समस्या बनी हुई है। पहले से स्वीकृत नलकूपों को नए प्रोजेक्ट्स में जोड़कर धांधली की गई और सरकारी धन को दुरुपयोग किया गया। विधायक अर्चना चिटनिस ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा जलाधर्वन योजना के क्रियान्वयन के दौरान हुई गड़बड़ियों की गहन जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।