सामाजिक कार्यकर्ता भारती सिंह ने अधिवक्ता ओ पी सिंह व शाश्वत आनंद के मार्फत यह जनहित याचिका दाखिल की है, जिसकी अगले हफ्ते सुनवाई की सम्भावना है। साल 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी (Indira Gandhi) के चुनावी अभियान में गड़बड़ी के चलते उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया था, और बदले में इंदिरा गाँधी ने देश पर इमरजेंसी थोप दी थी। अब इतने दशकों बाद उसी इलाहाबाद हाई कोर्ट में कांग्रेस पार्टी के साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता से झूठे वादों और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 121(1)(ए) के उल्लंघन को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जिसमें इस चुनाव में जीते कांग्रेस के सभी 99 सांसदों की संसद सदस्यता को रद्द करने की माँग की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के 99 सांसदों को अयोग्य घोषित करने, पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त करने व पार्टी का पंजीकरण निलम्बित करने की माँग में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता भारती सिंह ने अधिवक्ता ओ पी सिंह व शाश्वत आनंद के मार्फत यह जनहित याचिका दाखिल की है, जिसकी अगले हफ्ते सुनवाई की सम्भावना है। इस मामले में अगर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को माना और उस हिसाब से फैसला दिया, तो कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से खत्म हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी पर भी बैन लग सकता है।
‘घर घर गारंटी’ कार्ड योजना के तहत 8500 रुपए देने का वायदा
याचिका में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने ‘घर घर गारंटी’ कार्ड योजना के तहत गरीब, पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यकों को चुनाव बाद जुलाई माह से प्रतिमाह 8500 रुपए उनके बैंक खाते में जमा करने का वायदा किया था, जो वादा झूठा निकला। इस वादे से कांग्रेस सहित सहयोगी दलों के पक्ष में वोट देने वाले को प्रतिमाह रुपये दिए जाने की गारंटी दी गई थी। इस वायदा पत्र में वोट के बदले रुपए देने का लालच दिया गया था। कांग्रेस पार्टी के इस वायदा पत्र पर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गाँधी के हस्ताक्षर हैं। साथ ही पावती रसीद भी है, जिससे लोगों को विश्वास हो गया कि वोट देने पर रुपए मिलेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चुनाव आयोग ने एडवाइजरी जारी की थी
याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग ने 2 मई2024 को एडवाइजरी भी जारी की थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उस पर अमल नहीं किया। याची का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का यह कृत्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 121(1)(ए) का खुला उल्लंघन है। साथ ही भारतीय न्याय संहिता व भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध है।
इस मामले में याची ने कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग को प्रत्यावेदन दिया है, किन्तु आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद जनहित याचिका के जरिए अदालत से इस मामले में दखल दिए जाने की गुहार लगाई गई है। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के सभी 99 सांसदों को अयोग्य घोषित करने, पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त करने और रजिस्ट्रेशन रद्द करने की माँग की गई है।