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व्याख्यान माला- 2019 से चुनाव में माफिया की इंट्री बंद, एमपी एमएलए कोर्ट में एक साल में आ जाता है फैसला

  • एमपी एमएलए कोर्ट के लिए लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय बोले

बुरहानपुर। डॉक्टर हेडगेवार स्मृति व्याख्यान माला समिति द्वारा दो दिवसीय व्याख्यान माला मंथन का आयोजन 14 व 15 जनवरी को परमानंद गोविंदजी वाला ऑडिटोरियम इंदिरा कॉलोनी में किया गया। पहले दिन 14 जनवरी को राष्ट्रीय एकात्मता की चुनौतियां विषय पर मोहन गिरी इंदौर संस्थापक शहीद समरसता मिशन ने संबोधन दिया था तो वहीं सोमवार शाम सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय व्याख्यान देने पहुंचे। उन्होंने रामराज्य और भारतीय संविधान विषय पर अपने विचार रखे। अश्विनी उपाध्याय ने एमपी एमएलए कोर्ट के लिए लड़ाई लड़ी थी जिसके बाद 2018 से यह व्यवस्था देश में लागू हुई थी।
व्याख्यानमाला में श्री उपाध्याय ने कहा सांसद, विधायकों के लिए एक कोर्ट बनना चाहिए तो सवाल उठा था सबके लिए क्यों नहीं। हमने कहा-सेवक को ज्यादा तारीख पर तारीख नहीं मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश कर दिए। इसे इम्प्लीमेंट होने में एक साल लग गया।
2023 तक देश के 300 सांसद, विधायकों को हो चुकी है सजा
अश्विनी उपाध्याय ने कहा- 2018 से एमपी एमएलए कोर्ट अस्तित्व में आई। 2023 तक 300 सांसदों, विधायकों को सजा हो ई। ऐसे ऐसे केस उन पर थे जो सालों से चल रहे थे। जिनका मुकदमा शेषन कोर्ट में चलता ही नहीं था। सुप्रीम कोर्ट का एक आर्डर हुआ कि एमपी एमएलए के लिए एक साल में इनके मुकदमों का फैसला होगा। 25 साल से चल रहे मुकदमों में फैसला आया। आजम खान, अब्दुल्ला खान, मुख्तार असारी, अफजाल अंसारी का मुकदमा 25 साल से चल रहा था। उन्हें सजाएं हुई। पहले ऐसे लोगों के मामले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज सुनते ही नहीं थे। चार्ज शीट आगे बढ़ती ही नहीं थी। 2019 के बाद से माफिया की राजनीति में इंट्री बंद हो गई, क्योंकि एमपी या एमएलए बनते ही अगर कोई मुकदमा चल रहा है तो वहं उठकर एमपी एमएलए कोर्ट में चला जाता है। इसलिए कईं माफिया कह चुके है कि चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए 2019 के बाद माफिया इंट्री नहीं करते। जीत गए तो एक साल में फैसला हो जाएगा। 2022 में कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला को राज्यसभा भेज दिया। उनका मुकदमा चला गया। सोचिए अगर सबके मुकदमों का फैसला एक साल में होना शुरू हो जाए तो कितना बदलाव आएगा, लेकिन हमने जस्टिस फंडामेंटल राइट पर आज तक चर्चा ही नहीं की। उन्होंने कहा-सांसद विधायकों का काम है सर्वोत्तम कानूनों का निर्माण कराना। सिंगापुर 50 साल में विकसित हो गया, क्योंकि वहां अच्छी दंड व्यवस्था है। सारे महापुरूष भारत में पैदा हुए, लेकिन यहां इतनी घुसखोरी, माओवाद, नक्सल वाद, आतंकवाद है। यह जापान में क्यों नहीं है। वहां तो कोई महापुरूष पैदा नहीं हुआ। जो समस्या भारत में वह सिंगापुर में क्यों नहीं है। जितनी चोरी, लूट दिल्ली में है उतनी दुबई में क्यों नहीं है। जो धर्म के मार्ग पर नहीं चलते उनकों को कथा के माध्यम से आप सुधार नहीं सकते। उसके लिए कठीन दंड व्यवस्था जरूरी है। कुम्हार से सांसद, विधायकों को सीखना चाहिए कि वह किस तरह अपनी कृति बनाता है। लॉ कॉलेज का सहयोग लें। भारत का प्रत्येक कानून दुनिया का सर्वोत्तम कानून बनाया जाए। मैं उसके लिए प्रयास कर रहा हूं।
हर साल एक कानून पर पूरा प्रोजेक्ट बनाना है। यह काम एक लॉ कॉलेज को दे दो। देश में 1700 लॉ कालेज हैं। इससे बच्चों को सीखने का मौके मिलेगा। रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस को भी काम मिल जाएगा।
अभी अंग्रेजी कानूनों को बदलना जरूरी
श्री उपाध्याय ने कहा- वर्तमान सरकार ने कानून बदले हैं। अभी अंग्रेजी कानून बचे हैं जो 1950 के पहले के हैं। 25 कानून को हमने हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है। भारत की 80 प्रतिशत समस्या का समाधान कानून बदलकर, या कानून को खत्म कर, संशोधित कर दूर किया जा सकता है। कानून हर समस्या का समाधान है। समाज को सुधारने से व्यवस्था नहीं सुधरेगी जब तक हम कानून नहीं बदलेंगे। अधर्म का नाश करना समाज का काम नहीं है। नियम कानून को बदलने में कोई बहुत खर्च नहीं आता। कानून के निर्माण में यह प्रक्रिया क्यों फालो नहीं होती।
राम राज्य के लिए शासन को काम करना पड़ेगा
उन्होंने कहा- शासन को राम राज्य स्थापित करने के लिए काम करना पड़ेगा। ऐसी व्यवस्था स्थापित करे जिससे धर्म की जय हो। सरकार की यह ड्यूटी है कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था दे जिससे विश्व का कल्याण हो। कैसी व्यवस्था है कि एक विभाग शराब दुकान खुलवाता है। दूसरा लाइसेंस जारी करता है और पुलिस पकड़ती है। सिंगल यूज प्लास्टिक बंद करने का कहते हैं, लेकिन फैक्ट्री बंद नहीं करते। हम भी पार्टियों, नेताओं के मानसिक गुलाम हो गए हैं। जिन चीजों की जरूरत है उसकी परवाह नहीं करते। नशे के कारण पूरी पीढ़ी बर्बाद हो गई। समाज बदलता है तो व्यवस्था बदलती है यह बात सही है, लेकिन मेरा मानना है कि कानून बदलता है तो व्यवस्था बदलती है और व्यवस्था बदलती है तो समाज बदलता है। देश में आज तक किसी की सिटीजनशिप नहीं गई, क्योंकि हमारा कानून ही ऐसा है। आपके पास बंदुक है, लेकिन चलती नहीं है। जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना पड़ेगा, लेकिन लालीपाप वाला नहीं। सांसद, विधायक, पार्षद नहीं बन पाएंगे ऐसा कानून नहीं, बल्कि अगर दो बच्चे से ज्यादा हुए तो सिटीजनशिप नहीं रहे वैसा कानून लाना होगा। चाइना ने हम दो हमारे दो लागू कर करोड़ों बच्चों को आने से रोक दिया। वह हमारे से दो साल बाद 1949 में आजाद हुआ। एक साल बाद ही उसने सबसे पहले कानून चाइल्ड कानून बनाया। हम दो हमारे एक कर दिया। बाद में दिक्कत आ रही थी तो हम दो हमारे दो कर दिया। हमने ऐसा किया होता तो हमारी जनसंख्या 90 करोड़ होती। गरीबी, बेरोजगारी, अपराध, प्रदूषण सब कम होता। अपराध का रिलेशन भी जनसंख्या विस्फोट से है। इसलिए अवांच्छित बच्चों पर रोक लगाना होगी। यूनिफार्म सिविल कोड और पॉपुलेशन कंट्रोल लॉ लागू करना पड़ेगा। इसके सिवा कोई दूसरा तरीका नहीं है।
व्याख्यान माला की अध्यक्षता प.पू. श्री 108 श्री शिशिरकुमारजी महाराजश्री ने की। संचालन पुष्पेन्द्र कापडे ने किया।

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