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Friday, November 15, 2024
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बनाना फेस्टिवल- बुरहानपुर को ‘‘बनाना हब‘‘ बनाने के लिये बनेगी कार्ययोजना

  • केला निर्यात की बढेंगी संभावनाएं – मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दी बधाई एवं शुभकामनायें

बुरहानपुर। जिले में केला उत्पादन और प्रसंस्करण की अपार संभावनाओं को देखते हुए जिले को ‘‘बनाना हब‘‘ बनाने के लिये कार्ययोजना बनाई जायेगी। आज बुरहानपुर में अनूठे बनाना फेस्टिवल-2024 का शुभारंभ हुआ। इसमें बड़ी संख्या में विषय-विशेषज्ञों, निर्यातकों एवं केला उत्पादक किसानों एवं विभिन्न संस्थाओं के प्रमुखों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रतिभागियों को दिये अपने संदेश में कहा कि बनाना फेस्टीवल के आयोजन से केले से निर्मित विभिन्न उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और प्रोसेसिंग की प्रक्रियाओं से आमजन को अवगत करवाने से लेकर इस उत्पाद की निर्यात वृद्धि की संभावनाएं बनेंगी। मुख्यमंत्री ने उत्सव में विविध गतिविधियों की सराहना करते हुए शुभकामनायें प्रेषित की।
मंत्री उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण नारायण सिंह कुशवाह ने बनाना फेस्टिवल- 2024 की सराहना करते हुए बुरहानपुर जिले के लिए संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इससे समृद्धि एवं विकास के अवसर बढे़गे।
बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा
सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने कहा कि ‘‘एक जिला-एक उत्पाद‘‘ में बुरहानपुर जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर नया कीर्तिमान रचा है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी यह योजना रोजगार के नये अवसर देकर आर्थिक रुप से इस व्यवसाय से जुडी महिलाओ को सशक्त बना रही है। लोकल फॉर वोकल के तहत ‘‘एक जिला-एक उत्पाद योजना की शुरूआत से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में अनेक कदम बढाए है। बुरहानपुर जिले में लगभग 16 लाख मीट्रिक टन केला का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद में जिले ने स्पेशल मेंशन अवॉर्ड-2023 में प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर बुरहानपुर जिले का नाम रोशन किया है।
बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनीस ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। जिले में केले के बाद सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल हल्दी है। केले और हल्दी दोनों ही फसलों की प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की गतिविधियों से इन्हें उगाने वाले किसानों की आय में और वृद्धि होने की अपार संभावनाएं है।
नेपानगर विधायक मंजू दादू ने कहा कि प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए निजी निवेश आमंत्रित करके स्थानीय लोगों को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। इसके लिए केले के फाइबर से टेक्सटॉइल व अन्य वस्तुओं के निर्माण की गतिविधियों का उत्पादन वाणिज्यिक स्तर पर करने की आवश्यकता है।
कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने कहा कि, बनाना फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य एक जिला-एक उत्पाद अंतर्गत केले से निर्मित विभिन्न उत्पाद, उनकी मार्केटिंग, पैकेजिंग, प्रोसेसिंग जैसे अन्य प्रक्रियाओं से अवगत कराना है। बनाना फेस्टिवल में केले एवं हल्दी के प्रसंस्करण में तकनीक, अन्वेषण एवं ब्रिक्री पर जोर देना है। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, केले के रेशे से हस्त शिल्प उत्पाद, केला का रेशा-कपड़ा एवं विविध खाद्य उत्पादों के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
प्रदर्शनी का अवलोकन
सांसद श्री पाटील, विधायक श्रीमति चिटनीस, विधायक सुश्री दादू एवं कलेक्टर सुश्री मित्तल सहित अतिथियों ने बनाना फेस्टिवल में आयोजित केले के विभिन्न हस्त शिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा सराहना भी की। वहीं केले से बने व्यंजन को चखकर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रदर्शनी का शुभारंभ फीता काटकर किया गया।
वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञाओं ने विभिन्न तकनीकियों, प्रक्रियाओं एवं बारीकियों से कराया अवगत
बनाना फेस्टिवल अंतर्गत होटल उत्सव में तीन कक्षों में विभिन्न स्तर पर सेशन आयोजित रहे। जिसमें गु्रप-1 पर्ल हॉल, गु्रप-2 अंबर हॉल तथा गु्रप-3 रूबी हॉल में सेशन आयोजित किये गये।
बनाना फेस्टिवल में वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा मुख्य विषयों पर जानकारी दी गई। सुश्री भव्या झा, फैशन डिजाईनर प्रोडक्ट डेवलपमेंट एण्ड मार्केटिंग ने बनाना प्रोडक्ट का महत्व, भविष्य में संभावनायें, हेण्डी क्राफ्ट प्रोडक्ट बनाने के तौर-तरीके बताये। उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट कम बनें लेकिन अच्छा होना चाहिए। मार्केट, ग्राहक की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट बनाना चाहिए और प्रोडक्ट में फीनिसिंग होनी चाहिए। ब्रांडिंग के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करें, जिससे कि आपके द्वारा बनाये गये प्रोडक्ट की पहुँच अधिक से अधिक व्यक्तियों तक हो सकें।
सुश्री अमृता दोषी, इंचार्ज हेड एसपीआरईआरआई बड़ोदरा ने बनाना की उपयोगिता एवं यूटिलाईजेशन ऑफ बनाना एग्रोवेस्ट इन टू टेक्सटाइल का महत्व बताया। उन्होंने पावर पाईंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बनाना के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देकर अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हम बनाना फाईबर पर कार्य कर रहे है। कॉटन फाईबर से बनाना फाईबर स्ट्रांग होता है। उत्पाद बनाते समय क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। श्री शशांक श्रीवास्तव, उद्यमी, प्लान्टेरा बनाना फाईबर प्रायवेट लिमिटेड जयपुर ने ट्रांसफार्मिंग वेस्ट इन टू वेरेबल टेक्सटाइल संबंधी आवश्यक जानकारी दी।
डॉ. रविन्द्र नाईक, प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआर ने केले के मूल्यवर्धन एवं तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने मशीन के माध्यम से केले के रेशे निकालने की विभिन्न प्रक्रियाओं के चरणबद्ध प्रणाली से अवगत कराया। वहीं वैज्ञानिक डॉ.चिराग देसाई ने बनाना पेपर टेक्नोलॉजी की बारीकियों के साथ जानकारी दी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, केले के फाईबर से यूनिफार्म बनाये जा रहे है। बनाना पेपर काफी लंबे समय तक उपयोगी होता है एवं पर्यावरण हितैषी भी है। सुश्री उमा थेरे, एमजीआईआरआई सीनियर लेबोरेटरी असिस्टेंट ने बनाना पल्प प्रोसेसिंग की प्रक्रिया से उपस्थितजनों को रू-ब-रू कराया। वैज्ञानिक डॉ.के.एन.शिवा ने केले के तने एवं मध्य भाग से मूल्यवर्धित उत्पाद की जानकारी देते हुए बताया कि प्रोंसेसिंग करते समय मौसम एवं गुणवत्ता की प्रमुखता होनी चाहिए। उन्होंने निर्यात के दौरान रखे जाने वाले मापदण्ड एवं आवश्यक विषयों की जानकारी दी।
आयोजित सेशन में रवि कुमार, वरिष्ठ सलाहकार एमजीआईआरआई द्वारा हल्दी प्रसंस्करण की बेहतर तकनीक से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि प्रोसेसिंग में सौर ऊर्जा का उपयोग करके कम लागत में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। प्रांजुल रहेजा ने बताया कि, यदि हम सोलार ड्रायर का इस्तेमाल करते है, तो समय की बचत एवं नवीन तकनीक से रू-ब-रू हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस तकनीक की खास बात यह है कि, किसी भी खाद्य सामग्री की गुणवत्ता कम नहीं होने देता। जिसमें किसान लंबे समय तक अपनी लागत मूल्य को आसानी से निकाल सकते है। इस दौरान सेशन में विषय विशेषज्ञों ने उपस्थितजनों द्वारा पूछे गये सवालों का उत्तर देकर समाधान भी किया।
समूह की कहानी अपनी जुबानी, उषा उदलकर ने साझा किये अनुभव
बनाना फेस्टिवल में आजीविका केले से रेशे से निर्मित उत्पाद ‘‘समूह की कहानी अपनी जुबानी‘‘ के तहत गौरी स्वयं सहायता समूह शाहपुर की सदस्य उषा उदलकर बताती है कि, समूह की महिलाओं द्वारा केले के रेशे से विभिन्न उत्पाद बनाये जा रहे है। वे बताती है कि, यूनिट में 6 मशीनों से प्रतिमाह लगभग 2500 किलोग्राम रेशा प्राप्त होता है। इस रेशे से दीप, झाडू, पेड सहित अन्य उत्पाद बनाये जा रहे है। वे कहती है कि महिलायें आत्मनिर्भर बन रही है। इस कार्य से दीदियों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।

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