बुरहानपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी जनकल्याणकारी योजना को फर्जी दस्तावेजों के दम पर लूटने की कोशिश कर रहे लोगों पर पुलिस ने करारा प्रहार किया है। पांच साल पुराने इस मामले में मंगलवार को शिकारपुरा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यह मामला न केवल भ्रष्ट मानसिकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि जब प्रशासन सजग हो, तो कानून के शिकंजे से कोई नहीं बच सकता।
पूरा मामला: किस तरह शुरू हुआ घोटाले का खुलासा?
वर्ष 2020 में नगर पालिक निगम बुरहानपुर के आयुक्त द्वारा पुलिस अधीक्षक कार्यालय को एक पत्र भेजा गया। इसमें बताया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत शिकारपुरा थाना क्षेत्र के लगभग 25 हितग्राहियों ने लाभ प्राप्त करने हेतु फर्जी भूमि स्वामित्व के पट्टे नगर निगम कार्यालय में प्रस्तुत किए। जब इन पट्टों की जांच अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), बुरहानपुर से कराई गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए — ये दस्तावेज पूरी तरह फर्जी और अप्रमाणिक थे। इसके बाद नगर निगम ने एफआईआर दर्ज करने की मांग की। थाना शिकारपुरा में धारा 420 और 34 भादंवि के तहत प्रकरण दर्ज किया गया और मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच शुरू हुई।
पुलिस का एक्शन: पाँच साल बाद तेज हुई जांच, 13 गिरफ्तार
जांच के विभिन्न चरणों के बाद आखिरकार शिकारपुरा पुलिस ने शिकंजा कस दिया। मंगलवार को ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
गिरफ्तार किए गए आरोपी — सभी ने किया फर्जीवाड़े का प्रयास
शेख असलम पिता शेख अयूब (38 वर्ष), अजय हरणे पिता सुखलाल (49 वर्ष), संजीदा बी पति शेख सलीम (45 वर्ष), शेख अलीम पिता शेख पुसुफ (49 वर्ष), मोह. खुर्शीद पिता हम्मद रफीक (56 वर्ष), अकील साहब पिता लाड़ले साहब (28 वर्ष), रऊफ शाह पिता मकबूल शाह (41 वर्ष), शेख बाबू पिता शेख मासूम (59 वर्ष), एकनाथ प्रजापति पिता अशोक (37 वर्ष), सैय्यद कलीम पिता सैय्यद अहमद (64 वर्ष), फिरोज बैग पिता जलील बैग (35 वर्ष), सकीना बी पति जलील बैग (50 वर्ष), रसीदा बानो पति रईस अहमद (42 वर्ष) ये सभी आरोपी बुरहानपुर के नेहरूनगर, शिकारपुरा और आसपास के वार्डों से हैं।
कहां चूक गए आरोपी
योजनांतर्गत लाभ लेने के लिए भूमि स्वामित्व का प्रमाण अनिवार्य होता है। आरोपियों ने बोगस पट्टे बनवाकर निगम में जमा किए। परंतु जब दस्तावेजों की वैधता की जांच कराई गई, तो स्पष्ट हुआ कि इनका कोई रिकॉर्ड राजस्व विभाग में मौजूद नहीं है। यानी ये पट्टे जालसाजी कर बनवाए गए थे।
प्रशासन का सख्त संदेश- फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं
निगम आयुक्त संदीप श्रीवास्तव ने ने साफ कर दिया है कि सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला इस बात का प्रमाण है कि चाहे मामला पुराना क्यों न हो, कार्रवाई तय है। साथ ही, एसपी देवेन्द्र पाटीदार ने यह भी स्पष्ट किया कि बाकी आरोपियों की भी गिरफ्तारी जल्द की जाएगी।