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गायत्री महायज्ञ व पावन प्रज्ञा पुराण कथा समापन अवसर पर पंडित रोहित ने कहा-
बुरहानपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के साधना आंदोलन के अंतर्गत ग्राम नागुलखेड़ा में 1 से 5 जनवरी तक चलने वाले ग्राम जागरण नौ कुंडी गायत्री महायज्ञ व पावन प्रज्ञा पुराण कथा के कार्यक्रम का समापन पूर्णाहुति के साथ हुआ। जिसमें संपूर्ण ग्राम वासियों ने गांव में सुख, शांति, समृद्धि की कामना के साथ पूर्ण आहुति समर्पित की। इस अवसर पर 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के सफल आयोजन हेतु सामूहिक साधना भी संपन्न की गई। प्रतिदिन चली प्रज्ञा पुराण कथा में पंडित रोहित आचार्य ने कथा के माध्यम से व्यक्ति तथा परिवार से जुड़ी हुई समस्याओं पर ऋषि प्रणीत समाधानों को बताते हुए कहा कि गृहस्थ एक तपोवन है। जिसमें संयम, सेवा एवं सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को विरासत में धन नहीं बल्कि श्रेष्ठ संस्कारों की विरासत देकर जाए। तभी आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाया जा सकता है। पूर्णाहूति के अवसर पर यज्ञ के ज्ञान व विज्ञान विषय पर प्रकाश डालते हुए श्री रोहित ने कहा कि गीता में यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म बताया है। जहां नियमित यज्ञ होता है वहां पर्यावरण के शोध के साथ व्यक्ति के चिंतन, चरित्र भी श्रेष्ठ बनता है। यज्ञ के देव दक्षिण के रूप में 200 से अधिक परिजनों ने एक बुराई को छोड़कर एक श्रेष्ठ कर्म करने का संकल्प लिया। जिसमें पर्यावरण संवर्धन, नशा उन्मूलन, साधना आंदोलन जैसे कार्य शामिल है। अंतिम दिवस दीक्षा संस्कार तथा गर्भवती बहनों का पुंसवन संस्कार भी संपन्न किया गया।
पूर्णाहुति के अवसर पर जनपद सदस्य विनोद कोली, शांताराम जैतकर, मधुकर चौरे, शांताराम चौरे, आत्माराम चौरे, महेंद्र कोली, रविन्द्र कोली, रविन्द्र धनगर, उमेश बोराडे, गजानन बोराडे, ज्ञानेश्वर जुमाडे, महेंद्र चौरे, गजानन चौरे, विलास चौरे, रमेश कोली तथा बड़ी संख्या में नागुलखेड़ा के समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।