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दोनों ही विधानसभाओं में उंट किस करवट बैठेगा पता नहीं, हर उम्मीदवार के समर्थकों के अपने अपने क्यास
बुरहानपुर। 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद वोटिंग प्रतिशत के आधार पर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि उंट किस करवट बैठेगा, लेकिन उम्मीदवारों के समर्थक अपने अपने गुणा भाग में लगे हैं। हर प्रत्याशी का समर्थक अपने प्रत्याशी के वोटों को अधिक मानकर गणित लगाते हुए जीत का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों ही विधानसभाओं में बंपर वोटिंग किसके पक्ष में हुइ है यह 3 दिसंबर को परिणाम आने पर ही पता चलेगा।
दरअसल अल्पसंख्यक वार्डों में इस बार भी जमकर वोटिंग हुई है। यह वोटिंग कांग्रेस के पक्ष में हुई है या एआईएमआई के पक्ष में यह पता नहीं है। कांग्रेसी समर्थक मान रहे हैं कि अल्पसंख्यक वार्डों में हमारे पक्ष में मतदान हुआ है तो वहीं एआईएमआईएम का दावा है कि अधिक वोट हमारे पक्ष में ही आएंगे। बुरहानपुर विधानसभा में चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ है। इसलिए पुख्ता तौर पर यह बात निकलकर सामने आ ही नहीं पा रही है कि अधिक वोट कौन से प्रत्याशी द्वारा ले जाने की संभावना है। इस बार भाजपा से ही बागी होकर निर्दलीय के बतौर चुनाव मैदान में 2 बार भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान थे। जाहिर है कि उनकी ओर से भाजपा के ही अधिक वोटों की सेंधमारी की गई होगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से बागी होकर एआईएमआईएम से चुनाव लड़ रहे नफीस मंशा खान अल्पसंख्यक वर्ग के वोट की चाह में ही चुनाव में खड़े हुए थे तो वहीं निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा भैया को भी उम्मीद है कि अल्पसंख्यक वर्ग से समर्थन मिलेगा। इसीलिए आखिरी दौर में राज्यसभा सांसद और अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी की सभा भी कराई गई।
नेपानगर विधानसभा में भी निर्दलियों ने बिगाड़े समीकरण
इधर नेपानगर विधानसभा में भी निर्दलीयों ने दोनों ही पार्टियों के समीकरण बिगाड़कर रख दिए हैं इसलिए कोई एक भी पक्ष यह पुख्ता तौर पर कहने के लिए तैयार नहीं है कि जीत उन्हीं की होगी। संशय की स्थिति बरकरार है। यहां भाजपा की मंजू दादू के सामने भाजपा से ही बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े रतिलाल चिलात्रे एक चुनौती रहे तो वहीं कांग्रेस में दबी जुबान से प्रत्याशी का विरोध भी हुआ। काम नहीं करने पर जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष रामकिशन पटेल को हाल ही में पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है तो वहीं काम नहीं करने पर आदिवासी नेता अंतरसिंह बर्डे को कुछ दिन पहले ही छह साल के लिए निष्कासित किया गया है। अब आने वाली तारीख 3 दिसंबर का सभी को बेसब्री से इंतजार है कि उंट किस करवट बैठता है।
आदिवासी क्षेत्रों में हुआ है अधिक मतदान
इस बार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ है। सीवल, बाकड़ी, मांडवा सहित अन्य आदिवासी क्षेत्रों में सुबह से ही मतदाताओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। यह कयास लगाना अभी मुश्किल है कि यहां बंपर वोटिंग किसके पक्ष में हुई है।
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