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आर्ट ऑफ़ लिविंग का चार दिवसीय आनंद की अनुमति शिविर का हुआ गरिमामय समापन
बुरहानपुर। इस भागम दौड की जिंदगी में केवल आर्ट ऑफ लिविंग की सुदर्शन क्रिया इस सृष्टि का ऐसा अनमोल उपहार है, कि उसके प्रतिदिन के अभ्यास से हम तनाव रहित हंसते हंसते जीवन जीना सहज ही सीख जाते हैं। यह चार दिवसीय शिविर हमको वर्तमान में जीना सिखाता है और गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं कि जो वर्तमान में जीना सीख जाता है उसकी मुस्कान को कोई छीन नहीं सकता।
उक्त उद्गार सुंदर नगर में स्थित श्री श्री ज्ञान मंदिर सभागृह में आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ प्रशिक्षक और केंद्र प्रमुख एडवोकेट संतोष देवताले ने शिविर में शामिल हुए महिला पुरुष साधकों को ज्ञान चर्चा के दौरान अभिव्यक्त करते हुए कहे। आपने कहा कि आप बहुत खुश नसीब हैं कि इस व्यस्ततम और तनाव से भरे जीवन में अपने स्वयं के लिए आपने समय निकाला है। आर्ट ऑफ लिविंग के ज्ञान सूत्र की चाबियां और सुदर्शन क्रिया आपको हमेशा सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती रहेगी।
साथी प्रशिक्षक विजय दुंबानी ने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि यदि हम खुश रहना चाहते हैं तो हमें सर्वप्रथम अपने मन को नियंत्रित करने की कला सीखना होगी और इस चार दिवसीय आनंद की अनुभुति शिविर में विभिन्न तकनीक और खेल-खेल में हम सहज ही अपने मन पर नियंत्रण पाना सीख जाते हैं।
शिविर में प्रतिभागी के रूप में शामिल एमबीबीएस, के द्वितीय वर्ष में शिक्षण ग्रहण कर रही श्रेया संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि मैं मेडिकल साइंस की स्टूडेंट होने के बाद यह कह सकती हूं कि आर्ट ऑफ लिविंग का यह सेमिनार अपने आप में बहुत ही अनूठा अनुभव देता है, अगर विद्यार्थी वर्ग इससे जुड़ जाते हैं तो वह सहज ही अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करने में सक्षम बन जाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश पूर्व ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि चार दिनों में हम कैसे स्फूर्तिवान बने रह सकते हैं और नकारात्मकता से दूर होकर हर पल कैसे सकारात्मक रह सकते हैं इसकी कला हमने इस शिविर के माध्यम से सीखी है। अपने आस्वस्त किया कि यह शिविर प्रत्येक जनमानस के साथ हमारे पत्रकार वर्ग के लिए भी बहुत आवश्यक और कारगर साबित हो सकता है। आगामी सत्र में हम पत्रकारों के लिए एक विशेष सेमिनार का आयोजन करेंगे। नेहा गजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि मुझे बहुत गुस्सा आता था लेकिन इन चार दिनों में मैं इतने संतुष्ट भाव के साथ रही हूं जिसकी अनुभव से मुझे स्वयं पर ही विश्वास नहीं होता। संजय शाह ने कहा कि मैं अपनी डायबिटीज को लंबे अरसे से दवाई लेने के बाद भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, लेकिन इन चार दिनों में मेरे साथ निसंदेह अद्भुत चमत्कार हुआ है। यह शिविर मनोरोग से संबंधित बीमारियों के अलावा कई असाध्याय बीमारियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
अंतिम दिन सभी साधको ने सेवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत अलग-अलग समूह में मरीचिका गार्डन, वृद्धाआश्रम, स्कूली छात्रावास, मुखबधीर पाठशाला और नेहरू अस्पताल जैसे स्थान पर पहुंचकर मरिज और आमलोगों के बीच उनके हाल-चाल पूछ कर आर्ट ऑफ लिविंग के सेमिनार की चर्चा के माध्यम से खुशियां बांटने का काम किया।
ज्ञात हो कि बुरहानपुर में विगत 17 वर्षों से आर्ट ऑफ लिविंग की पहचान सुदर्शन क्रिया के सेमिनार और सेवा सत्संग के प्रोजेक्ट के माध्यम से घर-घर तक पहुंच चुकी है। वर्तमान में 8000 से अधिक महिला पुरुष इस संस्था से जुड़े हुए हैं। इस आयोजन को सफल बनाने में संस्था के वरिष्ठ सदस्य योगेश श्रॉफ, रवि दुटटे रवि बूटे, दीपक अदमने, रविंद्र पंडित आशीष कपाड़िया का विशेष योगदान रहा। अंतिम सत्र में प्रतिभागी लक्ष्मीपति नाइक ने एक दिन आप हमको यूं ही मिल जाएंगे, फूल ही फूल दामन में खिल जाएंगे, हमने सोचा ना था…गुरु कृपा के प्रति इस गीत के माध्यम से आभार की अभिव्यक्ति दी।