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शाहपुर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 1,118 गांजे के पौधे जब्त, आरोपी को जेल
बुरहानपुर। हाल ही में न्यायालय ने अवैध गांजा खेती के एक मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए 42 वर्षीय आरोपी सरदार पिता टैटया डावर, निवासी भवति फालया चिड़ियापानी को 5 साल की सख्त कैद और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला 2023 का है, जब पुलिस ने आरोपी को 1,118 गांजे के पौधों की खेती करते हुए गिरफ्तार किया था।
कैसे सामने आया मामला?
शाहपुर पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि चिड़ियापानी क्षेत्र के भवति फालिया में एक व्यक्ति अवैध रूप से गांजे की खेती कर रहा है। यह खेती मक्का और तुअर की फसलों की आड़ में की जा रही थी, जिससे इसकी पहचान करना मुश्किल था। इस जानकारी के आधार पर पुलिस टीम ने छापेमारी की योजना बनाई।
27 किलोमीटर का सफर और पुलिस की मशक्कत
आरोपी तक पहुंचने के लिए पुलिस को कठिन रास्तों से गुजरना पड़ा। टीम ने 20 किलोमीटर का सफर वाहन से और उसके बाद 7 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। यह पहाड़ी और पथरीला इलाका था, जिससे पुलिस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
गांजा जब्ती और कानूनी कार्रवाई
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के खेत से 3 से 5 फीट लंबे 1,118 हरे-भरे गांजे के पौधे बरामद किए। जब्त किए गए पौधों की अनुमानित कीमत करीब 15 लाख रुपये थी। इसके अलावा, मौके से 230 किलो गांजा भी बरामद किया गया। पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर एनडीपीएस एक्ट की धारा 8-20 के तहत मामला दर्ज किया।
न्यायालय में सख्त फैसला
थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में इस मामले की गहन जांच की गई। 23 दिसंबर 2023 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई। विशेष लोक अभियोजक कैलाश नाथ गौतम ने मामले की प्रभावी पैरवी की, जिसके चलते न्यायालय ने आरोपी को 5 साल की सजा और 5,000 रुपये के जुर्माने का फैसला सुनाया।
अवैध नशा कारोबार पर सख्ती जरूरी
यह मामला बताता है कि अवैध नशा कारोबार पर पुलिस और न्यायपालिका की कड़ी नजर है। ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में इस तरह की अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए प्रशासन को लगातार चौकसी बरतनी होगी।
कानून किसी को बख्शेगा नहीं
गांजे की अवैध खेती और नशीले पदार्थों की तस्करी केवल कानून का उल्लंघन ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा खतरा है। इस फैसले से अन्य अपराधियों को एक सख्त संदेश गया है कि कानून किसी को बख्शेगा नहीं।
नशे के कारोबार पर रोक
इस तरह के कड़े फैसले अवैध नशे के कारोबार पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। पुलिस की मुस्तैदी और न्यायालय की सख्ती से ही समाज को नशामुक्त किया जा सकता है। इस मामले ने दिखाया कि सही दिशा में की गई जांच और प्रभावी न्यायिक प्रक्रिया से अपराध पर लगाम लगाई जा सकती है।