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Tuesday, June 3, 2025
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जिलेभर में सीएमवी वायरस का कहर- अपने हाथों से सींची केला फसल खुद उखाड़कर फेंक रहे किसान

  • पहले निंबोला क्षेत्र के किसानों ने उखाड़ी थी फसल, अब लालबाग, पातोंडा के किसानों ने वायरस लगने पर उखाड़ी

  • केला फसल पर नहीं मिल रहा बीमा प्रीमियम का लाभ, किसान चिंतित

बुरहानपुर। एक साल में तीन बार प्राकृतिक आपदा के कारण जिले में केला फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। आलम यह है कि करीब 63 करोड़ का मुआवजा भी बांटा जा चुका है, लेकिन अब केला फसल पर फिर वायरस अटैक हो गया है। सीएमवी वायरस के कारण जिले के कईं गांवों में केला फसल खराब हो रही है। खास बात यह है कि इस पर बीमा प्रीमियम का लाभ भी नहीं मिलता। इससे किसान खासे चिंतित हैं। दो दिन पहले ही निंबोला क्षेत्र के कुछ किसानों ने केले के पौधों में सीएमवी वायरस लगने पर फसल उखाड़ फेंकी थी तो वहीं अब ष्शुक्रवार को लालबाग, पातोंडा के किसानों ने भी ऐसा ही किया। साथ ही किसानों ने मुआवजे की मांग भी की है।
दरअसल जिले में हर साल सीएमवी वायरस से केला फसल को नुकसान पहुंचता है। इस साल भी यह नुकसान फिर से हो रहा है। निंबोला क्षेत्र के नसीराबाद सहित अन्य क्षेत्रों में दो दिन पहले किसान अपनी काफी फसल उखाड़ कर फेंक चुके हैं तो वहीं अब लालबाग कुंडी भंडारा रोड स्थित एक खेत से भी एक किसान ने केले पौधे उखाड़कर फेंक दिए। किसान ने कहा 70 फीसदी नुकसान हुआ है। 5400 पौधे लगाए थे। इसके साथ ही फसल को सुरक्षित रखने के लिए मल्चिंग पद्धति पर 70 हजार रूपए खर्च किए थे। साढ़े तीन से चार लाख रूपए का नुकसान हुआ है। किसान नासिर खान पिता कादर खान निवासी लालबाग ने बताया मेरा खेत लालबाग में कुंडी भंडारा रोड पर है। लाखों रूपए खर्च कर फसल को सींचा, लेकिन इस पर सीएमवी वायरस का अटैक हो गया। जिससे 70 फीसदी फसल खराब हो गई। बैंक से कर्ज लेकर फसल लगाई थी। अब डर सता रहा है कि कर्ज अदा कैसे करेंगे। 3 एकड़ भूमि पर 5400 पौधे लगाए। उन्होंने बताया पातोंडा के एक किसान ने भी इसी तरह सीएमवी वायरस के कारण फसल उखाड़ दी।
केला फसल पर बीमा हो
केला फसल को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने पर आरबीसी नियम 6-4 के तहत मुआवजा मिलता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होता। केला फसल पर बीमा का प्रावधान नहीं होने से किसान ज्यादा परेशान हैं। किसानों का कहना है कि इससे तो फसल की लागत तक नहीं निकल पाती। जबकि अगर फसल बीमा हो तो पूरा पूरा मुआवजा मिले, लेकिन लंबे समय से किसान यह मांग कर रहे हैं जो पूरी नहीं हो रही है। इस साल तीन बार प्राकृतिक आपदा के कारण जिले के किसानों की केला फसल खराब हुई थी। करीब 63 करोड़ मुआवजा भी किसानों को बांटा गया था।
संसद में दो साल पहले सवाल उठा चुके सांसद
दो साल पहले सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल इस मामले को लेकर संसद में भी सवाल उठा चुके है, लेकिन इसके बाद भी आज तक केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। किसानों का कहना है कि दूसरी फसलों पर तो फसल बीमा का लाभ दिया जाता है, लेकिन केला फसल इससे वंचित है। इसे लेकर कईं बार किसान आंदोलन तक कर चुके हैं, लेकिन फिर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। जिसके कारण किसान आर्थिक रूप से नुकसान के शिकार हो रहे हैं।

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