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Friday, April 18, 2025
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कांक्रीट पाइप फैक्ट्री में भीषण आग, 20 मजदूरों की जान बची, 10 लाख का नुकसान!

  • चिंगारी से भड़की आग, तीन घंटे की मशक्कत के बाद पाया काबू

  • ग्राम पंचायत की लापरवाही से बड़ा हादसा टला, फैक्ट्री में लगी आग

बुरहानपुर। जिले के चापोरा धामनगांव रोड स्थित एक कांक्रीट पाइप फैक्ट्री में बीती रात भीषण आग लग गई, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ। यह हादसा रात करीब 3 बजे हुआ, जब फैक्ट्री के बाहर से उठी चिंगारी ने विकराल रूप धारण कर लिया। गनीमत रही कि समय रहते मजदूरों ने सतर्कता दिखाई और सुरक्षित बाहर निकल आए, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
10 लाख रुपये से अधिक का नुकसान
फैक्ट्री मालिक अमोल जायसवाल के अनुसार, इस आग से 10 लाख रुपये से अधिक के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। फैक्ट्री में कांक्रीट पाइप बनाए जाते हैं, जहां केमिकल से भरे ड्रम, डीजल, पीवीसी पाइप, फर्टिलाइजर और सागवान की लकड़ियां रखी हुई थीं। आग लगते ही मजदूरों ने तुरंत सक्रियता दिखाई और महत्वपूर्ण सामग्री को बाहर निकालने में सफल रहे।
कैसे लगी आग?
स्थानीय निवासी अमरिश चौकसे ने बताया कि फैक्ट्री से कुछ दूरी पर ग्राम पंचायत द्वारा कचरा डंप किया जाता है। रात के समय उसी कचरे में लगी आग की चिंगारी उड़कर फैक्ट्री तक पहुंची और वहां रखे ज्वलनशील पदार्थों में आग लग गई। घटना के वक्त फैक्ट्री में 20 से अधिक मजदूर मौजूद थे, लेकिन समय रहते उन्होंने बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली।
दमकल ने घंटों की मशक्कत के बाद पाया काबू
आग की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी लपटें दूर-दूर तक दिखाई दे रही थीं। घटना की सूचना मिलते ही शाहपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। दमकल की तीन गाड़ियों ने लगभग तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 6 बजे आग पर काबू पाया। हालांकि, शनिवार शाम तक भी जले हुए सामान से धुआं उठ रहा था।
पंचायत की लापरवाही उजागर
इस घटना के बाद ग्राम पंचायत की लापरवाही सामने आई है। फैक्ट्री मालिक अमोल जायसवाल ने बताया कि कचरा डंपिंग को लेकर कई बार पंचायत को अवगत कराया गया था, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हादसे के बाद पंचायत के जिम्मेदार भी मौके पर पहुंचे और स्वीकार किया कि कचरा डंपिंग ही इस आग का कारण बनी।
फैक्ट्री में मौजूद ज्वलनशील सामग्री से बढ़ा खतरा
फैक्ट्री में पाइप निर्माण के लिए कई ज्वलनशील पदार्थ रखे हुए थे, जिनमें डीजल, केमिकल ड्रम, लकड़ी और पीवीसी सामग्री शामिल थी। आग लगने के दौरान इन पदार्थों में विस्फोट होने की भी संभावना थी, जिससे मजदूरों की जान को गंभीर खतरा हो सकता था। शुक्र है कि सभी मजदूर सतर्क रहे और समय रहते बाहर निकलने में सफल रहे।
स्थानीय प्रशासन से उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और पंचायत की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अमोल जायसवाल ने बताया कि कचरा डंपिंग को रोकने के लिए कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब जब यह हादसा हो गया है, तब प्रशासन की नींद टूटी है।
जांच की मांग
स्थानीय नागरिकों और फैक्ट्री मालिक द्वारा इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की जा रही है। पीड़ितों का कहना है कि अगर समय रहते पंचायत और प्रशासन ने कार्रवाई की होती तो इस हादसे से बचा जा सकता था। अब इस हादसे के बाद प्रशासन द्वारा जांच समिति गठित करने की बातें की जा रही हैं।
बड़ा हादसा टला
हालांकि, इस आग से आर्थिक नुकसान तो हुआ लेकिन किसी की जान नहीं गई, जो राहत की बात है। यदि केमिकल के ड्रम और अन्य ज्वलनशील पदार्थ समय रहते बाहर नहीं निकाले जाते, तो यह हादसा और भी गंभीर हो सकता था। फिलहाल, नुकसान का वास्तविक आकलन किया जा रहा है।

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