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सरकारी स्कूलों में अटैचमेंट का खेल- विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय, शिकायत के बाद भी नहीं जाग रहे अफसर

  • जिलेभर में कहीं न कहीं शिक्षा और जनजातीय विभाग की स्कूलों में अटैचमेंट सिस्टम

बुरहानपुर। जिले की सरकारी स्कूलों चाहे वह जनजातीय विभाग की हो या शिक्षा विभाग की हो, वहां शिक्षक पढ़ाने की बजाए अटैचमेंट का सहारा लेकर बाबू बनकर कहीं न कहीं बैठ रहे हैं। ऐसे में विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय और दांव पर लगा हुआ है। खास बात यह है कि शिकायत के बाद भी अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला प्राथमिक ईजीएस शाला करोनिया फाल्या का सामने आया है। यहां लंबे समय से ग्रामीण शिक्षक की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। यहां विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 24 है। जिला शिक्षाधिकारी ने दो में से एक शिक्षक को प्राथमिक शाला मालवीर जनशिक्षा केंद्र संकुल शाहपुर में अटैच कर दिया है। जबकि प्राथमिक शाला मालवीर में दो ही शिक्षक हैं। इसके बाद भी शिक्षक रामा अवसारे को अटैच कर दिया गया। जिसके कारण शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। खास बात यह है कि कभी डाक देने तो कभी किसी न किसी प्रशिक्षण के लिए यहां से शिक्षक को ही जाना पड़ता है। इससे बच्चे खासे परेशान हैं। पिछले दिनों इसे लेकर शाला प्रबंधन समिति ने भी सवाल उठाए थे। जिल शिक्षाधिकारी को लिखित शिकायत की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने मांग की है कि शिक्षक रामा अवसारे का अटैचमेंट समाप्त किया जाए।
सितंबर में जारी किया था आदेश
ग्रामीणों के अनुसार जिला शिक्षाधिकारी ने सितंबर 24 में शिक्षक रामा अवसारे का अटैचमेंट आदेश जारी किया था। उन्होंने मां की दोनों किडनी खराब होना बताकर अपना अटैचमेंट करोनिया फाल्या से मालवीर कराया, लेकिन इससे विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है।
वर्ग 3 नवनियुक्त शिक्षकों को बना रहे अधीक्षक
इसी तरह एक अटैचमेंट का खेल जनजातीय विभाग में चल रहा है। यहां नवनियुक्त वर्ग तीन के शिक्षकों को मनमाने तरीके से छात्रावास अधीक्षक बनाया जा रहा है जबकि यह नियमों के विपरीत है। बताया जा रहा है कि शिक्षकों का स्कूलों में पढ़ाना आवश्यक है, लेकिन उन्हें करीब 20 किमी दूर छात्रावास आवंटित किए जा रहे हैं। अधिकांश छात्रावास अधीक्षक वर्ग तीन हैं। इसमें सीमा बिरला, सुरेश करोड़, भीमराव इंगल, अनीता धुर्वे, अशोक शर्मा, प्रेम निराले, मनीषा रूले, गजानन तायड़े, प्रमिला राजू, अर्चना वघारे, दर्शन जाधव, ज्ञानेश्वर पवार, रंजना दलवे, अखिलेश कांकड़िया, विक्रमसिंह चौहान, पंढरीनाथ हिरवे, रेखा राठौड़, सरोज महाजन, शारदा दामोदरे, विजय राठौड़ आदि शामिल हैं। इन शिक्षकों की जगह जनजातीय विभाग की स्कूलों में अतिथि शिक्षक रखे गए हैं। सन 2008 में लगे संविदा शिक्षकों को जान बूझकर स्कूल भेज दिया गया है। वहीं सहायक आयुक्त कार्यालय में शिक्षकों को बैठा रखा है। यहां बसंत पटेल, नरेंद्र महाजन, प्रदीप खेड़कर, इंगले आदि हैं। पिछले दिनों कर्मचारियों की प्रताड़ना का मामला भी सामने आया था। बताया जा रहा है कि सहायक आयुक्त के प्रभार में होते हुए भी अन्य लोग विभागीय कामों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। जिले में कलेक्टर ने हर छात्रावास में एक नोडल अधिकारी बना रखा है, लेकिन जनजातीय विभाग में ही अटैचमेंट खत्म नहीं हो रहा है। बल्कि यहां बैठे अफसर मनमाने निर्णय भी ले रहे हैं। इसकी जांच होना चाहिए।
आदेश का भी हो रहा उल्लंघन
हाल ही में शिक्षा विभाग के अलावा जनजातीय विभाग मुख्यालय से आदेश जारी किए गए थे कि अटैचमेंट समाप्त किया जाए। शिक्षकों को अपनी अपनी मूल स्कूलों में भेजा जाए, लेकिन जिले में इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है।
वर्जन
प्राथमिक ईजीएस शाला करोनिया फाल्या में अगर शिक्षक की आवश्यकता है तो, अटेच किये गए शिक्षक को वापस मूल पद पर भेजा जायेंगा। फिर भी मैं मामला दिखवाता हूँ।
– संतोष सिंह सोलंकी, डीईओ बुरहानपुर

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