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अर्चना चिटनिस का विधानसभा में जल संरक्षण पर संबोधन, कहा- पानी को संभालने के लिए हो ठोस योजना
बुरहानपुर। मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान विधायक एवं पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ने जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि जल संसाधन विभाग को केवल पानी के दोहन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसके संरक्षण पर भी गंभीरता से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि यह कार्य अकेले सरकार के बस की बात नहीं है, बल्कि समाज की सहभागिता भी उतनी ही आवश्यक है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि जब हम जल संसाधन विभाग की बात करते हैं, तो इसे केवल सिंचाई और पानी के अधिकतम उपयोग तक सीमित नहीं रखना चाहिए। बल्कि, उचित जल प्रबंधन और जल संरक्षण पर भी ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने जल संसाधनों के तेजी से गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस गति से हम पानी का उपभोग कर रहे हैं, उसी गति से संरक्षण की कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई जा रही। इसके लिए बजट का प्रावधान करना और समाज को जोड़ना आवश्यक है।
ताप्ती नदी पुनर्जीवन योजना को मिली मंजूरी
अपने संबोधन में ताप्ती नदी योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना बीते 25-30 वर्षों से लंबित थी, लेकिन अब इसे सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंत्री तुलसीराम सिलावट के सहयोग से इसे मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत भूगर्भीय जल संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। पारंपरिक बांधों की तरह सतह पर पानी का भंडारण करने के बजाय, धरती के अंदर जल भंडारण किया जाएगा। इससे जमीन की बचत होगी और जलस्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी।
टीएमसी पानी का भूगर्भीय पुनर्भरण
चिटनिस ने तकनीकी पहलुओं को समझाते हुए बताया कि आमतौर पर लीटर में पानी का पुनर्भरण मापा जाता है, लेकिन इस योजना में टीएमसी में मापा जाएगा। 1 टीएमसी = 2,831 करोड़ लीटर पानी, इस योजना में प्राकृतिक फॉल्ट ज़ोन का उपयोग कर पानी को संचित किया जाएगा। पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता सूर्य, पर क्या हम जल संरक्षण कर रहे हैं?
पानी का उत्पादन संभव नहीं
श्रीमती चिटनिस ने एक महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि संसार में सबसे अधिक पानी सूर्य द्वारा अवशोषित किया जाता है, लेकिन वह वर्षा के रूप में उसे वापस लौटा भी देता है। उन्होंने सवाल उठाया कि हम जितना पानी ले रहे हैं, क्या उतना संभाल पा रहे हैं? पानी का उत्पादन संभव नहीं है, लेकिन हम इसे सहेज सकते हैं और जल संरक्षण को प्राथमिकता दे सकते हैं। इसके लिए जल संसाधन विभाग को जल संरक्षण के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए और बजट में इसका विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए।
समाज की भागीदारी से ही संभव होगा जल संरक्षण
अपने संबोधन के अंत में अर्चना चिटनिस ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्होंने सभी विधायकों से अनुरोध किया कि वे इस विषय पर गहराई से विचार करें और जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाएं।