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Wednesday, April 16, 2025
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जलावर्धन योजना: 7 साल, 130 करोड़ और जनता प्यास से बेहाल – हाईकोर्ट का नोटिस, कटघरे में सिस्टम

  • व्हीसल ब्लोअर, आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. आनंद दीक्षित की याचिका पर सरकार से जवाब तलब, अब लापरवाही नहीं चलेगी!

बुरहानपुर। 130 करोड़ की जलावर्धन योजना, जो शहर की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई थी, वो आज 7 साल बाद भी अधूरी है। पाइपलाइन अधूरी, सड़कों पर गड्ढे, गर्मियों में बूंद-बूंद को तरसते लोग — और ऊपर से सरकार खामोशी! लेकिन अब ये चुप्पी टूटी है। शहर के जाने-माने व्हिसल ब्लोअर, आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी डॉ. आनंद दीक्षित ने जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पहली ही सुनवाई में नोटिस जारी हो गया।
डबल बेंच का आदेश: 2 हफ्ते में जवाब दो अगला सुनवाई चार हफ्ते बाद!
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की डबल बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह का वक्त दिया है। सरकारी पक्ष से एडिशनल एडवोकेट जनरल श्रीमती जान्हवी पंडित ने नोटिस स्वीकारते हुए जवाब दाखिल करने की मोहलत मांगी।
130 करोड़ डूबे, जनता प्यास से बेहाल!
बुरहानपुर नगर निगम के लिए स्वीकृत जलावर्धन योजना की शुरुआत 2017 में हुई थी। सात साल बीत गए, और हालात ये हैं कि पूरे शहर में आज तक पानी सप्लाई शुरू नहीं हो सका। सड़कें उखड़ी पड़ी हैं, हर कुछ महीनों में फिर से खोद दी जाती हैं। पाइपलाइन सतह से बेहद कम गहराई पर डाली गई, जो भविष्य में बार-बार फूटने और रिसाव की वजह बनेगी। जल परीक्षण के नाम पर लाखों गैलन पानी नालियों में बहाया जा रहा हैं। कई इलाकों में तो डिस्ट्रीब्यूशन लाइन डाली ही नहीं गई।
निगम बेबस, ठेकेदार बेलगाम!
बुरहानपुर नगर निगम इस योजना को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि काम का जिम्मा है मध्य प्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी, खरगोन के पास। नतीजा ये हुआ कि नगर निगम की कोई सुनवाई नहीं हो रही। अधिकारी निरीक्षण तक नहीं कर रहे। ठेकेदार मनमानी कर रहा है और कोई जवाबदेही तय नहीं है।
शिकायत से कोर्ट तक – एक ईमानदार लड़ाई की कहानी
डॉ. आनंद दीक्षित ने 21 जनवरी 2025 को कलेक्टर, प्रमुख सचिव, भोपाल, परियोजना संचालक, सभी को विस्तृत शिकायत भेजी। तकनीकी खामियों, भ्रष्टाचार की आशंका और जनता को हो रही परेशानी का पूरा ब्यौरा दिया। कोई ठोस कार्रवाई न होने पर 5 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की।
शिकायत में लगाए गंभीर आरोप
• पाइपलाइन तय मानकों से बेहद कम गहराई पर डाली गई, जिससे भविष्य में लीक और फूट का खतरा।
• ठेकेदार को मनमाने ढंग से समयवृद्धि दी गई, लेकिन गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं।
• सड़कों की खुदाई के कारण नागरिकों का जीना मुहाल, लेकिन पुनर्निर्माण का कोई ट्रैक नहीं।
• कायाकल्प योजना में बाधा, क्योंकि पाइपलाइन का परीक्षण और घरेलू नल कनेक्शन का काम ही अधूरा है।
• लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहाया गया, जबकि शहर जलसंकट झेल रहा है।
शिकायतकर्ता डॉ. दीक्षित की मांगें क्या हैं?
• एग्रीमेंट के अनुसार गहराई की तकनीकी जांच हो — वो भी शिकायतकर्ता की मौजूदगी में।
• जहां गहराई कम है, वहां दोबारा खुदाई कर सही गहराई पर पाइपलाइन बिछाई जाए।
• दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदार पर कार्रवाई हो।
• ठेकेदार पर भारी अर्थदंड लगाया जाए।
• योजना के समय-सीमा में पूरा होने की गारंटी तय हो।
सांसद और विधायक ने भी की थी निरीक्षण के दौरान गड़बड़ियों की पुष्टि
18 जनवरी 2025 को सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और विधायक अर्चना चिटनिस ने भी जल योजना का निरीक्षण किया। सड़क खुदवाकर देखा गया तो पाया गया कि पाइपलाइन बेहद कम गहराई पर डाली गई थी — यह खुलासा 19 जनवरी के अखबारों में प्रमुखता से छपा।
अब अगली तारीख 4 सप्ताह बाद, जनता को मिला न्याय का रास्ता
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 4 सप्ताह बाद तय की है। अब पूरे बुरहानपुर की निगाहें इस सुनवाई पर टिकी हैं। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो अगला आदेश और ज्यादा सख्त हो सकता है।
अब जनता के हक़ की लड़ाई कोई नहीं रोक सकता
यह सिर्फ पानी की योजना नहीं, बल्कि जवाबदेही की परीक्षा है। 7 साल से जनता परेशान है, अब जवाब देने की बारी शासन- प्रशासन की है।
— डॉ. आनंद दीक्षित, समाजसेवी एवं याचिकाकर्ता

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