खंडवा। प्रेम, आस्था और विश्वास जब एक साथ मिलते हैं, तो वह एक अद्भुत कहानी बनाते हैं। ऐसी ही एक प्रेम कहानी खंडवा के महादेवगढ़ मंदिर में साकार हुई, जब कसरावद की शमामा शेख ने सनातन धर्म को अपनाते हुए अपने प्रिय वीरेंद्र से वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया और साधना बन गईं।
शमामा का कहना था कि उन्हें वर्षों से सनातन धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा थी। जब उन्होंने प्रयागराज कुंभ और महादेवगढ़ में हो रहे धार्मिक आयोजनों को टीवी पर देखा, तो उनके मन में यह भावना जागृत हुई कि वह भी सनातन धर्म को अपनाएं। इस गहरी आस्था और प्रेम की भावना ने उन्हें वीरेंद्र के साथ विवाह करने की प्रेरणा दी। उनके अनुसार, सनातन धर्म की शिक्षाओं और मूल्यों ने उन्हें हमेशा आकर्षित किया और इसी के चलते उन्होंने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
महादेवगढ़ में सात फेरों का पवित्र बंधन
महादेवगढ़ मंदिर की पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रेरित होकर, वीरेंद्र और शमामा ने मंदिर में सनातन वैदिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह करने का निर्णय लिया। महादेवगढ़ संरक्षण अशोक पालीवाल के अनुसार, वीरेंद्र ने कुछ दिन पहले विवाह की इच्छा जताई थी, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद पूरा किया गया। पंडित अश्विनी खेड़े द्वारा विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ दोनों ने सात फेरे लिए और विवाह बंधन में बंध गए। विवाह के दौरान वेद मंत्रों की गूंज, शिवलिंग के समक्ष लिए गए संकल्प और पवित्र अग्नि के साक्षी बनने से यह विवाह और भी दिव्य हो गया।
साधना की आध्यात्मिक अनुभूति
विवाह के बाद साधना (पूर्व में शमामा) ने कहा, महादेवगढ़ में विवाह कर मुझे अत्यधिक आध्यात्मिक शांति प्राप्त हुई। भोलेनाथ की कृपा से मेरा मन प्रसन्न है और मैं शिवरात्रि पर्व पर शिव बारात में भी सम्मिलित होऊंगी। उन्होंने आगे बताया कि वर्षों से सनातन संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव महसूस कर रही थीं, और महादेवगढ़ में विवाह करना उनके लिए एक आध्यात्मिक जागृति का अनुभव था।
परिवार और समाज की उपस्थिति
इस पावन विवाह समारोह में वीरेंद्र के परिवार के साथ-साथ खंडवा से विशाल पासी, नितेश राठौर, उमेश ढाकसे और रोहित कनाडे भी उपस्थित थे। मंदिर के पवित्र वातावरण में संपन्न हुआ यह विवाह सभी के लिए भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण था। परिजनों और मित्रों ने इस अनूठे विवाह को आशीर्वाद दिया और नवदंपति के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की।
महादेवगढ़: एक आध्यात्मिक केंद्र
महादेवगढ़ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जो सनातन संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं। हाल के वर्षों में कई लोग इस मंदिर में आकर सनातन धर्म को अपनाते हुए आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर हुए हैं। महादेवगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। साधना और वीरेंद्र का विवाह इस स्थान की आध्यात्मिक गरिमा को और भी ऊंचा करता है।
प्रेम, आस्था और नवजीवन की नई शुरुआत
यह प्रेम कहानी केवल दो आत्माओं के मिलन की नहीं, बल्कि आस्था और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पण की भी मिसाल है। साधना और वीरेंद्र का यह अनोखा सफर आने वाले समय में और भी लोगों को प्रेरित करेगा कि प्रेम और आस्था के मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।