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शिक्षा विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप, जोड़ तोड़ कर बन गए डीपीसी, विभाग में 3 शिक्षकों ने पास की है एपीसी परीक्षा
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चयनित होने के बाद भी पात्र शिक्षकों की बजाए 61 साल के बुजुर्ग रविंद्र महाजन के पास चार्ज
बुरहानपुर। शिक्षा विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते कुछ भी हो सकता है। यहां पात्र की बजाए अपात्रों को अकसर पदों पर बैठाया जाता है और पात्र लोग शिक्षक बनकर स्कूलों में ही पढ़ाते हुए नजर आते है। ऐसा ही एक मामला डीपीसी पद का भी सामने आया है। राज्य सरकार शिक्षा विभाग के आदेश के बाद भी बुरहनपुर के शिक्षा विभाग में डीपीसी के पद पर लगभग 61 साल के बुजुर्ग रविंद्र महाजन को बैठाया गया है। लंबे समय से वह यह पद संभाल रहे हैं जबकि विभाग के 4 शिक्षक एपीसी परीक्षा पास करके चयनित हुए हैं, लेकिन आखिरी ऐसी क्या मजबूरी है कि एक बुजुर्ग से शिक्षा विभाग विभाग के कामकाज संचालित करवा रहा है यह बताने में अफसर भी असमर्थ नजर आ रहे हैं।
दरअसल राज्य शिक्षा केंद्र के स्पष्ट आदेश हैं कि डीपीसी पद पर काबिज होने वाले अफसर की उम्र 56 साल से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी स्थानीय शिक्षा विभाग में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
फरवरी 2024 में निकला था विज्ञापन
राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से फरवरी 2024 में विज्ञापन निकाला गया था जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देश थे कि जिला परियोजना समन्वयक के पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति की उम्र 1 जनवरी 24 को 56 साल से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन वर्तमान डीपीसी रविंद्र महाजन की लगभग 61 साल रनिंग है। उनका जन्म 18 जनवरी 1964 को हुआ है। इसके बाद भी वह विभाग में डीपीसी बनकर बैठे हुए हैं।
विभागीय कामों में हो रही मनमानी
पात्र नहीं होने के बाद भी डीपीसी के पद पर रविंद्र महाजन काबिज हैं। वह लंबे समय से कभी प्रभारी शिक्षाधिकारी रहे तो कभी डीपीसी। लंबे समय से उन्होंने स्कूलों में शैक्षणिक कार्य ही नहीं किया। बताया जाता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते वह इस पद पर काफी दिनों से काबिज हैं। वहीं पात्र लोगों को परीक्षा पास करने के बाद भी इस पद पर काबिज होने का मौका नहीं मिल पा रहा है। कहीं न कहीं विभागीय कामों में मनमानी भी चल रही है, लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है। यहां काबिज अन्य डीपीसी को हटाकर रविंद्र महाजन को डीपीसी बनाया गया है।
लंबे समय से विभाग ने नहीं की पोस्टिंग
सालों से जिला शिक्षा केंद्र में किसी स्थायी डीपीसी की नियुक्ति ही नहीं हुई है। हर बार किसी न किसी प्राचार्य को ही यहां प्रभारी बनाकर बैठाया जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ जबकि इसके लिए किसी स्थायी अफसर की आवश्यकता महसूस की जा रही है। लोगों की मांग है शिक्षा में यह मनमानी खत्म होना चाहिए।
यह भी है पात्रता की शर्तें
-डीपीसी के पद पर काबिज होने के लिए उम्र 56 साल से अधिक नहीं होना चाहिए। बीएड अनिवार्य होना चाहिए। स्कूल शिक्षा विभाग के सहायक संचालक, प्राचार्य उमावि, हाईस्कूल संवर्ग, व्याख्याता होना चाहिए। जनसंपर्क क्षमता होना चाहिए। इसे लेकर लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है। मार्च 24 में लिखित परीक्षा हुई थी।
वर्जन
कलेक्टर कहे तो मैं पद छोड़ दूंगा
जिला परियोजना समन्वयक के पद पर मेरी नियुक्ति कलेक्टर मेडम ने की है। राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से निकाले गए विज्ञापन से नही हुई है। अगर कलेक्टर कहे तो मैं कल ही पद छोड़ दूंगा।
– रविन्द्र महाजन, डीपीसी बुरहानपुर