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सशस्त्र बल के साथ वन विभाग की कड़ी कार्रवाई शुरू
बुरहानपुर। वन क्षेत्रों में लगातार हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ वन विभाग ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। जिले के नावरा रेंज में सशस्त्र बलों के साथ वन विभाग की संयुक्त टीम ने व्यापक गश्त के दौरान दो अवैध टप्परों को ध्वस्त कर बड़ा संदेश दिया है- जंगल की ज़मीन पर कोई कब्जा बर्दाश्त नहीं होगा।
दरअसल लगभग डेढ़ साल पहले वन विभाग ने जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से 17 दिन तक चले अभियान में 1000 से अधिक अवैध टपरियों को हटाया था। वह कार्रवाई क्षेत्र में मील का पत्थर बनी थी। अब एक बार फिर ऐसी ही बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है, जहां बचे हुए अतिक्रमणकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा।
गश्त में सशस्त्र बल की तैनाती, हर कदम पर निगरानी
नावरा रेंज के जंगलों में पैदल गश्त करते हुए वन विभाग की टीम ने कई किलोमीटर तक क्षेत्र का गहन निरीक्षण किया। इस गश्त में सशस्त्र बलों की तैनाती की गई थी ताकि कोई विरोध या अवरोध उत्पन्न न हो।
गश्त के दौरान क्षेत्रीय पटेल, मुखिया और स्थानीय रहवासियों से भी संवाद किया गया। उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि आगामी बुआई सीजन में जंगल की भूमि पर किसी भी प्रकार की बुआई या अतिक्रमण न किया जाए।
वनाधिकार पट्टों का सीमांकन और मुनारा निर्माण जल्द
वन विभाग द्वारा अब पूर्व में वितरित किए गए वनाधिकार पट्टों का सीमांकन कराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। विभाग ने प्रस्ताव उच्च स्तर पर भेज दिए हैं ताकि जमीन की कानूनी सीमा स्पष्ट हो सके और अवैध अतिक्रमण पर निर्णायक रोक लगाई जा सके।
वन संरक्षण के लिए गश्त को बनाया जा रहा है रूटीन
जिले की सभी रेंजों में वन विभाग द्वारा गश्त को नियमित कर दिया गया है। नावरा रेंज में की गई इस विशेष गश्त में रेंजर पुष्पेंद्र जादौन, डिप्टी रेंजर मुकेश गिरी, सावन तायड़े, अनिकेत राजपूत, संदीप कुशवाह सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा। गश्त का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई नया अतिक्रमण न हो और पुराने अतिक्रमण धीरे-धीरे हटाए जा सकें। इसके लिए ग्रामीणों को समय रहते चेताया जा रहा है।
वन समितियों को किया गया एक्टिव, जन सहयोग की पहल
वन विभाग ने क्षेत्र में बनी वन समितियों को फिर से सक्रिय कर दिया है। ये समितियां गांवों में नियमित बैठकें करके लोगों को जंगल बचाने और अतिक्रमण से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ग्रामीणों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे वन क्षेत्र को अपनी धरोहर समझें और उसके संरक्षण में भूमिका निभाएं।