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2011 में लगाए गए आंवला, बांस के प्लांटेशन को खतरा, खेती की तैयारी में अतिक्रमणकारी
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अफसर 30 से 35 पेड़ कटना बता रहे, मौके पर मैदान बन गया है आंवला प्लांटेशन
बुरहानपुर। जिले के शाहपुर रेंज का जंगल बचाने में वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है। पिछले करीब 4-5 माह से शाहपुर रेंज में सैकड़ों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। वन विभाग इसे सीमित संख्या में कटाई होना मानकर कार्रवाई से बच रहा है, लेकिन मौके पर हकीकत चौंकाने वाली है जो नावरा, नेपानगर रेंज की भयावह वन कटाई की याद दिलाती है। जहां वन विभाग अब पौधारोपण कर दोबारा जंगल विकसित करने के दावे कर रहा है, लेकिन यहां कितने पौधे लगाए गए और वास्तविक स्थिति क्या है यह आज तक स्पष्ट नहीं हो सकी। अब भावसा का जंगल तबाह हो रहा है जहां एक समय में आंवला और बांस के प्लांटेशन लगाए गए थे। अफसर 30 से 35 पेड़ कटना ही बता रहे हैं, लेकिन मौके पर आंवला प्लांटेशन मैदान बन गया है।
शाहपुर रेंज की भावसा चौकी क्षेत्र के तहत आने वाले बीट नंबर 437 स्थित आंवला, बांस के प्लांटेशन को करीब 3-4 माह से 200 से अधिक अतिक्रमणकारी तबाह कर रहे हैं। यह बात खुद वन विभाग के अफसर स्वीकार कर रहे हैं कि अतिक्रमणकारी प्लांटेशन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी वन विभाग इस जंगल और प्लांटेशन को बचाने में अब कुछ भी पुख्ता प्रयास नहीं कर पाया है। अफसर 30 से 35 पेड़ ही काटे जाने की बात कह रहे हैं वह भी छोटे पेड़ कटना बता रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है। मौके पर काफी संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं। काटे गए पेड़ों के ठूठ छिपाने के लिए कहीं उसे झाड़ियों से छिपाने का प्रयास किया गया है तो है तो कहीं ठूठ में आग लगा दी गई है। इसके साक्ष्य मौके पर देखे जा सकते हैं। साथ ही यहां वन भूमि, प्लांटेशन को तबाह कर खेती भी की जा रही है। जब 2011 में यहां बड़े पैमाने पर आंवला और बांस के प्लांटेशन लगाए गए थे तब इसे देखने के लिए तत्कालीन वन मंत्री सरताज सिंह ने हेलीकाप्टर से भावसा पहुंचे थे। यह प्लांटेशन काफी विकसित हो गया था, लेकिन अब जब पौधे पेड़ बन गए तो अतिक्रमणकारियों ने उन्हें भी तबाह करना शुरू कर दिया।
पुख्ता प्लानिंग नहीं की तो तबाह हो जाएगा भावसा का भी जंगल
इससे पहले वन विभाग ने नावरा रेंज में भी इसी तरह की लापरवाही बरती थी। तब अतिक्रमणकारी धीरे धीरे हावी होते रहे और काफी वन तबाह कर दिया गया था। ग्रामीणों की जागरूकता के बाद प्रशासन और सरकार को अतिक्रमणकारियों को खदेड़ना पड़ा था। करीब एक हजार से अधिक टपरियां तोड़ी गई थी। सैकड़ों अतिक्रमणकारियों पर केस दर्ज किए गए थे। बड़ी मुश्किलों से जंगल बच पाया था नहीं थी तो अब वहां और तबाही मची होती। पर्यावरणप्रेमियों का कहना है कि इसी तरह अगर भावसा क्षेत्र के लिए पुख्ता प्लानिंग नहीं की गई तो इस क्षेत्र का जंगल भी तबाह जा जाएगा।
वर्जन-
30 से 35 पेड़ ही काटे गए
– करीब 30 से 35 पेड़ ही काटे गए थे। कुछ आरोपियों पर कार्रवाई भी की थी। आगे भी करेंगे। अतिक्रमणकारी समूह के रूप में रहते हैं। ऐसे में अकेले वनकर्मी कुछ नहीं कर सकते।
-विजय सिंह, डीएफओ बुरहानपुर
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