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लोकसभा की 7 विधानसभाएं जिताने के बाद बड़ा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल का कद, लोकसभा की दावेदारी हुई मजबूत 

  • नेपानगर विधानसभा से चुनाव जीतीं मंजू दादू को मंत्री बनाने की जुगत में लगे सांसद, सीएम से भी कर चुके मुलाकात

  • 2008 में आदिवासी सीट होने के बाद से अब तक नहीं मिला नेपानगर विधानसभा को कोई मंत्री पद

बुरहानपुर। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया। खंडवा संसदीय सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के नेतृत्व में भाजपा ने संसदीय क्षेत्र की सात विधानसभा सीटें जीती। इसके बाद सांसद का कद संगठन में भी बढ़ गया है। साथ ही उनकी लोकसभा की दावेदारी भी मजबूत हो गई है। पार्टी का ओबीसी चेहरे को प्रमोट करने का फार्मूला भी है। कईं अन्य मापदंड पर भी सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल फिट बैठ रहे हैं। इसलिए उनकी दावेदारी पुख्ता मानी जा रही है। वहीं सांसद और उनकी टीम की मेहनत से इस बार नेपानगर विधानसभा से भी पार्टी की जीत हुई है। यहां से मंजू दादू ने खुद अपना पिछला रिकार्ड तोड़कर 42 हजार वोटों से जीत हासिल की। सांसद श्री पाटिल अब मंजू दादू को मंत्री बनवाने की जुगत में हैं। इसे लेकर उन्होंने पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भी मुलाकात की थी। साथ ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और अन्य नेताओं से भी मिलने पहुंचे थे। अगर ऐसा होता है तो नेपानगर विधानसभा को 15 साल बाद मंत्री पद मिलेगा, क्योंकि 2003 में जब अर्चना चिटनीस यहां से चुनाव जीती थीं तब मंत्री बनी थी, लेकिन 2008 में यह सीट आदिवासी हो गई थी। तब से अभी तक नेपानगर विधानसभा से किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया है।
खुद अपना रिकार्ड तोड़कर हासिल किए वोट
इस बार मंजू दादू ने नेपानगर विधानसभा से चुनाव जीतकर खुद अपना ही रिकार्ड तोड़ा है। 2016 में उन्होंने उपचुनाव में 40 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। हालांकि अगला चुनाव 2018 में सुमित्रा कास्डेकर से हार गई थीं। 2023 में उन्होंने अपना ही रिकार्ड तोड़ते हुए 42 हजार से अधिक वोट हासिल किए।
आदिवासी चेहरा, इसलिए मिल सकता है मौका
बताया जा रहा है कि इस बार मंजू दादू के मंत्री बनने की संभावनाए अधिक हैं, क्योंकि पार्टी भी आदिवासी चेहरों पर फोकस कर रही है। इससे पहले मंजू दादू को मप्र विपणन बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया गया था। मंजू दादू ने नेपानगर विधानसभा से रिकार्ड मतों से विजय हासिल की है। अब कयास लगाए जा रहे हैं उन्हें मंत्री पद मिल सकता है।
सांसद बनने के लिए दावेदारी की तैयारियां हो चुकी है शुरू
सांसद बनने के लिए कईं नेता सपने संजो रहे है। हालांकि अन्य नेताओं की तुलना में वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। स्व सांसद नंदकुमारसिंह चौहान के निधन के बाद पार्टी ने उन्हें टिकट दिया था और वह अच्छे वोटों से चुनाव भी जीते थे। क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी रहे। साथ ही सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कईं बड़े नेताओं से भी संपर्क बनाए रखा जिसका फायदा उन्हें लोकसभा टिकट मिलने में हासिल हो सकता है।
नेपानगर विधानसभा से सरकार में इन्हें मिली जिम्मेदारी
* 1977 ब्रजमोहन मिश्रा (जनता पार्टी) मंत्री बने
* 1980 तनवंत सिंह कीर (कांग्रेस) मंत्री बने
* 1985 तनवंत सिंह कीर (कांग्रेस) मंत्री बने
* 1989 ब्रजमोहन मिश्रा (भाजपा) विधानसभा अध्यक्ष बने
* 1993 तनवंत सिंह कीर (कांग्रेस) मंत्री बने
* 2003 अर्चना चिटनिस (भाजपा) मंत्री बनी
……

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