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बनाना फेस्टिवल-2024 केला उद्योग में नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

  • हल्दी की संभावनाओं पर भी होगा विचार-विमर्श एवं निवेशों का होगा स्वागत

  • महिलायें सीख रही है रेशे को सुलझाना, रंगीन करना, आकर्षक वस्तुयें जैसे पेन स्टैण्ड, किरिंग, झूमर, पर्स, टोकरियाँ, कंघी होल्डर, गुड़ियाँ आदि तैयार करना

  • स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद महिलाओं की आमदनी में हो रही है, बढ़ोतरी

बुरहानपुर। जिले की महिलायें अपने कौशल को नया रूप देते हुए, आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। वे अपने घरेलू कामों के साथ-साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा रही हैं। जिससे वे अपनी आजीविका खुशी-खुशी चला पा रही है। एक जिला-एक उत्पाद अंतर्गत प्रमुख फसल केले के रेशे से महिलाएँ कई आकर्षक उत्पाद तैयार कर रही है। इन उत्पादों की माँग लगातार बढ़ती जा रही है।
केला उद्योग में नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
जिले की प्रमुख फसल केले के खाद्य पदार्थों, रेशे से निर्मित आकर्षक वस्तुओं को एक बेहतर एवं व्यापक बाजार मिले इस हेतु जिला प्रशासन द्वारा जिले में 20 एवं 21 फरवरी को बनाना फेस्टिवल-2024 आयोजित किया जा रहा है। बनाना फेस्टिवल में केले के प्रसंस्करण में तकनीक, अन्वेषण एवं ब्रिक्री की संभावनाओं के साथ-साथ हल्दी की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा। जिससे जिले के उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोजगार की भी संभावना बढ़ेगी।
भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, केले के रेशे से हस्त शिल्प उत्पाद, केले का रेशा, कपड़ा एवं विविध खाद्य उत्पादों पर विचार एवं निवेशों का स्वागत किया जायेगा। लेख है कि, जिले में केले की खेती का क्षेत्रफल 23 हजार 650 हेक्टेयर है। 16 लाख मीट्रिक टन केला का उत्पादन होता है। जिले में 18 हजार 325 किसान केले की खेती से जुड़े है। केले की बिक्री से 1700 करोड़ रूपये का कारोबर होता है। वहीं बुरहानपुर में 2700 हेक्टेयर में हल्दी की खेती की जाती है, जिसमें 71 हजार 280 मीट्रिक टन हल्दी उगाई जाती है, हल्दी की खेती से 1125 किसान जुड़े है तथा इसकी बिक्री का कारोबार 74.84 करोड़ रूपये का है।
तैयार किये जा रहे है, हस्तशिल्प उत्पाद
ग्राम दर्यापुर के सामुदायिक भवन में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को केले के रेशे से हस्तशिल्प उत्पाद बनाने के लिए डीएटीसीसी के प्रोडक्ट डेवलप्मेंट प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें लगभग क्षेत्र की 30 महिलाएँ आगे आकर विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही है। प्रशिक्षण में केले के रेशे को सुलझाना, उन्हें रंगीन करना, उन्हें पिरोते हुए आकर्षक वस्तुएँ जैसे पेन स्टैण्ड, किरिंग, झूमर, पर्स, टोकरियाँ, कंघी होल्डर, गुड़ियाँ जैसे अन्य उत्पादों को तैयार किया जा रहा है। इन उत्पादों को बनाना फेस्टीवल में रखा जायेगा।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद मेरी आमदनी में हुई बढ़ोतरी
प्रशिक्षण ले रही दीदी श्रीमति ललिता प्रजापति बताती है कि, प्रशिक्षण में हम केले के रेशे से कई उत्पाद बना रहे है। बारीकि के साथ हाथों से इन उत्पादों को तैयार किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद मेरी आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है, मैंने पीएम विश्वकर्मा योजना का लाभ लेने के लिए भी आवेदन दिया है। जिला प्रशासन एवं आजीविका मिशन द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। वे कहती है कि, स्वयं सहायता समूह से जुड़ने पर मेरे जीवन को नये पंख मिले है। मेरे परिवार में 7 सदस्य है। मैं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हूँ और इससे मेरे परिवार को आर्थिक मदद भी मिल रही है। मेरे साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी समूह के माध्यम से लाभ मिल पा रहा है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत किया आवेदन
वहीं हितग्राही श्रीमति प्रतिभा दीपक प्रजापति कहती है कि, केला फसल बुरहानपुर जिले में अधिक मात्रा में लगाई जाती है। केले के चिप्स खाने में स्वादिष्ट लगते है। इसी केले के रेशे से हम तरह-तरह के उत्पाद बना रहे है। जानकारी प्राप्त होने पर मैंने पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत आवेदन किया है। जिससे मैं केले के तने से रेशे निकालने वाली मशीन ले पाऊँगी। इसके लिए मुझे प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। आने वाले समय में मैं बेहतर तरीके से केले के नये-नये एवं आकर्षक उत्पाद तैयार कर पाऊँगी।

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