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राशि की बंदरबांट का आरोप, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसर बेखबर
बुरहानपुर/खकनार। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसर कभी भी ग्राम पंचायतों की ओर रूख नहीं करते। अफसर केवल दफतर में बैठकर ही मॉनिटरिंग करते हैं। इसका नतीजा यह निकलता है कि धरातल पर अधिकांश पंचायतों में मनमानी चलती है। खास बात यह है कि शिकायत के बाद भी अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। ऐसे में कईं पंचायतों के सरपंच, सचिव अपने हिसाब से सरकारी योजनाओं का संचालन करते हैं। एक मामला ग्राम पंचायत खकनार खुर्द का सामने आया है जिसमें हाट बाजार शेड निर्माण की जगह गौशाला भवन बताकर राशि की बंदरबाट की गई है।
दरअसल खकनार जनपद पंचायत के तहत आने वाली ग्राम पंचायत खकनार खुर्द में सरपंच सचिव की मनमानी हावी है। यहां सरकारी योजना के तहत स्वीकृत राशि का चूना लगाने का काम किया जा रहा है। करीब एक साल पहले हाट बाजार शेड निर्माण के लिए पंचातत को करीब पांच लाख रूपए की राशि सांसद निधि से मिली थी। यह राशि 14 अप्रैल 23 को स्वीकृत हुई थी। जिसका कार्य 8 जून 23 को पंचायत दर्पण ऐप में जारी बताकर करीब तीन लाख रूपए का आहरण किया गया था जबकि यह राशि हाट बाजार शेड निर्माण करने के लिए स्वीकृत हुई थी। वहीं इसी कार्य के निर्माण दिखाकर उसमें गौशाला का फोटो पंचायत दर्पण ऐप में अपलोड करते हुए सरपंच सचिव द्वारा शासन प्रशासन की राशि की बंदरबांट की गई। जबकि गौशाला निर्माण का जिक्र या पंचायत में प्रस्ताव किसी भी जानकारी का कहीं जिक्र नहीं किया गया। इसके बावजूद भी जनता के आंख में धूल झोंककर राशि हड़प ली गई। वहीं पंचायत द्वारा अगर बाजार शेड निर्माण करते तो गांव में बाजार की रौनक फैलती हो। ग्रामीण को साप्ताहिक बाजार से निजात मिल पाती, लेकिन इनकी जगह कुछ और ही निर्माण कर जनता के साथ पंचायतकर्मी खिलवाड़ कर रहे हैं।
हाट बाजार का निर्माण न कर डकार ली राशि
ग्रामीणों का कहना है कि वास्तव में मुख्यमंत्री हाट बाजार का निर्माण करते तो उनमें कई दुकानें और शेड बने होते है। गौशाला निर्माण बताकर बाजार शेड निर्माण की राशि सरपंच सचिव ने डकार ली। ग्रामीण दशरथ वास्कले ने बताया सरकार द्वारा गांव में निवासरत जनता को शहर की भांति चबूतरों और टीन शेड़ों में साप्ताहिक बाजार लगे मिले। इसी मकसद को पूरा करने के लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों मे लगने साप्ताहिक बाज़ारो का विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री ने हाट बाजार योजना संचालित की गई जिसे सरपंच सचिव विफल करते हुए हाट बाजार शेड निर्माण राशि का उपयोग अन्य कार्य कर जारी करते हुए सरकार को भी गुमराह कर रहे हैं। वहीं हैरत की बात यह है कि अगर बाजार शेड निर्माण की राशि पंचायत में स्वीकृत हुई थीं तो सरपंच सचिव ने पंचायत दर्पण एप में गौशाला की फोटो अपलोड क्यों किए। अगर गौशाला निर्माण ही करना होता तो वहां पंचायत दर्पण में गौशाला कब स्वीकृत हुई थी उसकी कोई जानकारी नहीं है। ऐसे मे सरपंच सचिव की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे है।