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ग्रेज्युटी की मांग लेकर जिला व्यापार, उद्योग केंद्र पहुंचे बंद पड़ी बहादरपुर सूत मिल के श्रमिक
बुरहानपुर। 1500 से 1600 श्रमिकों का करोड़ों रूपया बकाया है। हमारी पूरी जिंदगी मिल में काम करते करते खप गई। किसी ने तीस तो किसी ने 20 साल नौकरी की। एक दिन अचानक मिल बंद हो गई और हम आर्थिक रूप से तंगी का शिकार हो गए। वह सिलसिला करीब 15 साल पहले से जो चला है वह आज भी कायम है। हमारी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही। चप्पलें तक घिस गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हमारी मांगों का समाधान किया जाए।
यह बात उन श्रमिकों ने कही जो किसी जमाने पर जिले की बहादरपुर सूत मिल में अच्छे से नौकरी कर रहे थे, लेकिन आज बदहाल स्थिति में हैं और लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। दरअसल ग्राम बहादरपुर स्थित सूत मिल सालों से बंद पड़ी है। यहां काम करने वाले करीब 1500 से अधिक श्रमिकों को अब तक गेज्युटी सहित अन्य राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। इसे लेकर मजदूर लंबे समय से मांग कर रहे हैं। यही मांग लेकर एक बार फिर श्रमिक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र पहुंचे और अफसरों को मांग से अवगत कराया। अफसरों ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
प्रत्येक श्रमिक का 10 लाख से अधिक बकाया
बहादरपुर स्थित सूत मिल सालों से बंद पड़ी है। यहां किसी समय 1500 से अधिक श्रमिक काम करते थे, लेकिन उन्हें ग्रेज्युटी आदि का लाभ नहीं मिला था। प्रत्येक श्रमिक का करीब 9 से 10 लाख रूपए बकाया है। ऐसे में यह राशि करोड़ों में पहुंचती है। कईं श्रमिक ऐसे भी हैं जो अब जीवित नहीं हैं। वहीं कईं लोग अपनी ग्रेज्युटी और अन्य लाभ की लगातार मांग कर रहे हैं।
हुकुमचंद मिल के मजदूरों को राहत के बाद बंधी आस
पिछले दिनों इंदौर की हुकुमचंद सूत मिल के मजदूरों को सालों पुराना पैसा मिला था तब से स्थानीय श्रमिकों में भी आस बंधी है कि उन्हें भी इसका लाभ मिले। तब से यह मांग और तेज हो गई है। श्रमिकों की मांग है कि इस ओर ध्यान देकर समस्या का निराकरण कराया जाए।
हमारी मांग जल्द पूरी हो
गुरूवार दोपहर काफी संख्या में मजदूर जिला व्यापार व उद्योग केंद्र में जमा हुए। सभी की एक ही मांग थी कि अब काफी समय हो गया है। हमारी मांग जल्द पूरी की जाए। खास बात यह है कि सभी श्रमिक बहादरपुर के ही रहने वाले हैं और यहीं स्थित मिल में काम किया करते थे, लेकिन यह मिल सालों से बंद पड़ी है। इसके कलपुर्जे तक चोरी हो गए। बाद में यह परिसमापन में आ गई, लेकिन आज तक श्रमिकों के मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ।
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