20.9 C
Burhānpur
Friday, November 15, 2024
20.9 C
Burhānpur
Homeमध्यप्रदेशयह कैसा सिस्टम- अनुसूचित जाति, जनजाति के आश्रम, छात्रावासों में अन्य वर्ग...
Burhānpur
overcast clouds
20.9 ° C
20.9 °
20.9 °
47 %
1.6kmh
100 %
Thu
21 °
Fri
31 °
Sat
31 °
Sun
31 °
Mon
31 °
spot_img

यह कैसा सिस्टम- अनुसूचित जाति, जनजाति के आश्रम, छात्रावासों में अन्य वर्ग के अधीक्षक, अधिक्षिकाएं

  • सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में खुलासा, नियम के विपरीत संचालित हो रही व्यवस्था

बुरहानपुर। जनजातीय विभाग की ओर से संचालित आश्रम, छात्रावासों में अन्य वर्ग के अधीक्षक, अधिक्षिकाएं पदस्थ है। इसे लेकर एक व्यक्ति ने जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकाली तो पता चला आधे से ज्यादा आश्रम, छात्रावास ऐसे हैं जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के होने के बावजूद वहां अन्य वर्ग के अधीक्षक, अधिक्षिकाएं पदस्थ हैं। जबकि नियमानुसार अनुसूचित जाति, जनजाति के अधीक्षक, अधीक्षिका ही पदस्थ किए जाने चाहिए, लेकिन बुरहानपुर जिले में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
प्रगति नगर निवासी सुनील गुप्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकाली। जिसमें पता चला कि जिले के कईं छात्रावास, आश्रमों में पदस्थ अधीक्षक, अधीक्षिका अनुसूचित जाति व जनजाति के न होकर अन्य वर्ग के हैं। इसी तरह छात्रावास और आश्रम में पदस्थापना की समय सीमा भी निर्धारित है, लेकिन कईं छात्रावास, आश्रम ऐसे हैं जहां अधीक्षक सालों से एक ही जगह पदस्थ हैं। इसे लेकर कलेक्टर को भी पत्र भेजकर मांग की गई है कि व्यवस्था में सुधार हो। जनजातीय कार्य और अनुसूचित जाति विकास विभाग के तहत आने वाले छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षक, अधीक्षिकाओं की जांच कर जो भी नियम के विपरीत हैं उनके स्थान पर शासन के अनुसार पदस्थापना की जाए।
यह है नियम-
आदिम जाति कल्याण विभाग के 16 मार्च 2015 के एक पत्र के अनुसार उप सचिव की ओर से सभी सहायक आयुक्तों से कहा गया था कि छात्रावास, आश्रमों में प्राथमिकता से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के अधीक्षक पदस्थ किए जाएं।
छात्रावास, आश्रमों में अधीक्षकों का कार्यकाल अधिकतम 3 साल रखा जाए। अगर उसका काय संतोषप्रद है तो कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
कन्या छात्रावास, आश्रमों में महिला अधीक्षिका की नियुक्ति की जाए।
अधीक्षकों की नियुक्ति करते समय अंग्रेजी और गणित के शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाए।
योग, खेलकूद की गतिविधियों में दक्ष को प्राथमिकता दी जाए।
बेहतर शैक्षणिक रिकार्ड के लिए प्राथमिकता दी जाए। जिस शिक्षक का उसके विषय में तीन साल का परीक्षा परिणाम उत्तम हो उसे प्राथमिकता दी जाए।
संबंधित के खिलाफ पूर्व में कोई गंभीर शिकायत, अपराध आदि न पाया गया हो।
संबंधित शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए।
तत्कालीन आयुक्त जनजातीय विभाग दीपाली रस्तोगी के 25 जून 2018 के एक पत्र के अनुसार छात्रावास, आश्रमों में छात्रावास अधीक्षकों की पदस्थापना के संबंध में समय सीमा पर निर्देश जारी किए गए हैं। इसी के अनुक्रम में एक अधीक्षक एक ही छात्रावास में पदस्थ हो।
कईं छात्रावासों में 2015 से पदस्थ हैं अधीक्षक
जिले में जनजातीय विभाग के 42 छात्रावास, आश्रम संचालित हो रहे हैं। इसमें कईं छात्रावास, आश्रम ऐसे हैं जहां अधीक्षक 2015 से भी पदस्थ हैं। उनका स्थानांतरण कहीं नहीं किया गया जबकि विभागीय नियम तीन से पांच साल तक का ही है। सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास अंबाड़ा में पंढरीनाथ हिवरे 2017 से पदस्थ हैं। वहीं आदिवासी बालक आश्रम सीवल में संतोष साकले 2015, आदिवासी बालक आश्रम उसारनी ज्ञानेश्वर पवार 2017, आदिवासी बालक आश्रम पांढरी राजकुमार भिलावेकर 2015, जनजातीय बालक आश्रम अंग्रेजी बुरहानपुर सुरेश करोड़ा 2017, जनजातीय कन्या आश्रम अंग्रेजी खकनार आनंदी मार्गोवा 2016, आदिवासी कन्या आश्रम चांदनी अनीता धुर्वे 2018, जूनियर अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास इच्छापुर अर्चना वघारे 2015 से पदस्थ है। वहीं कुछ छात्रावास अधीक्षक 2019, 20, 21 और 22 में भी पदस्थ हुए हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। विभागीय कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर विभाग इन अधीक्षकों को आठ से नौ साल होने के बाद भी दूसरे छात्रावासों में क्यों नहीं भेज रहा है। वहीं जनजातीय विभाग में सहायक आयुक्त का पद भी खाली है। वर्तमान में स्वर्णा खर्चे ही यहां का कामकाज प्रभारी के बतौर देख रही हैं।
छात्रावास, आश्रमों में पेंडिंग शिष्यवृत्ति
जिले के छात्रावास आश्रमों में शिष्यवृत्ति पेंडिंग हैं। ऐसे अधीक्षक नए शैक्षणिक सत्र को लेकर चिंतित हैं कि खर्च कहां से एडजस्ट करेंगे। छात्रावास अधीक्षकों के अनुसार जिले के सभी छात्रावासों में जनवरी माह से शिष्यवृत्ति पेंडिग है जबकि आश्रमों में मार्च, अप्रैल से शिष्यवृत्ति नहीं मिली। नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू होने वाला है। आलम यह है कि छात्रावासों को राशन भी मुश्किल से मिल पा रहा है। इधर कलेक्टर ने हर छात्रावास के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर रखे हैं, लेकिन इसके बाद भी सिस्टम में सुधार नहीं आ पा रहा है। हाल ही में सातपायरी छात्रावास में मध्यान्ह भोज का घोटाला उभरकर सामने आया है।
वर्जन
पदस्थ किए जाने की अनिवार्यता नहीं
अनुसूचित जाति, जनजाति के अधीक्षक, अधीक्षिका को प्राथमिकता देकर पदस्थ किए जाने का नियम है, अनिवार्यता नहीं है। अधीक्षकों को कलेक्टर के निर्देश पर स्थानान्तरण किया जाता है। शासन से बजट आवंटित नहीं होने के कारण शिष्यवृत्ति पेंडिंग हो गई है।
– स्वर्णा खर्चे, प्रभारी सहायक आयुक्त जनजाति विभाग
…….

spot_img
spot_img
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

spot_img
spot_img