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ये कैसा मोह- सरकारी स्कूल के शिक्षकों के मन में दफ्तर, स्कूल में पढ़ाना नहीं चाहते, कोई अफसर बनकर घूम रहा तो कोई छात्रावास अधीक्षक

  • कलेक्टर को की गई है इसकी शिकायत

BURHANPUR। जिले की सरकारी स्कूलों और जनजातीय विभाग के आश्रम, छात्रावासों में अधीक्षक सहित अन्य काम संभाल रहे शिक्षक बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते। कुछ तो सालों से बाबूगिरी में लगे हैं। मप्र सरकार के नियम के अनुसार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता, लेकिन इस नियम का न तो शिक्षा विभाग में पालन हो रहा है और न ही जनजातीय विभाग में। कुछ शिक्षक अफसर तो कुछ अधीक्षक बनकर घूम रहे हैं। खास बात यह है कि कुछ पद अपने स्तर से ही तय कर लिए गए हैं जिन पर शिक्षक काबिज होकर घूम रहे हैं जबकि राज्य सरकार स्तर से ऐसे कोई पद हैं ही नहीं।
शिक्षा विभाग की बात करें तो इस विभाग में कुछ शिक्षक बाबूगिरी में लगे है। कुछ फील्ड में अफसर बनकर घूम रहे हैं जबकि उनका मूल काम विद्यार्थियों को स्कूल में जाकर पढ़ाना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। डीपीसी रविंद्र महाजन डीपीसी कार्यालय में किसी भी तरह के संलग्नीकरण की बात से इनकार कर रहे हैं। वहीं जिले में जनजातीय विभाग के करीब 40 से अधिक छात्रावास, आश्रम हैं। जहां लंबे समय से शिक्षक ही अधीक्षक बने हुए हैं। विभाग की ओर से उन्हें अधीक्षक बनाकर बैठा दिया जाता है।
जनसुनवाई में हो चुकी है शिकायत
इसे लेकर पिछले दिनों प्रगति नगर के सुनिल गुप्ता ने जनसुनवाई में इसकी शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि एक प्रधान पाठक, एक माध्यमिक शिक्षक, 2 प्राथमिक शिक्षक अपनी मूल शालाओं में सेवाएं नहीं दे रहे हैं। यह शिक्षक लिपिकवर्गीय काम कर रहे हैं। इससे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्र्रभावित हो रही है। एपीसी के पद पर भी शिक्षक पदस्थ है। इसकी जांच होना चाहिए।
पढ़ाई प्रभावित होने पर विद्यार्थी विरोध करने लगे
जिले में अब अधिकांश सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी शिक्षक नहीं होने पर विरोध भी दर्ज कराने लगे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है। पिछले दिनों एबीवीपी ने शिक्षा विभाग कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया थ। कन्या स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर छात्राओं के साथ एबीवीपी सदस्य पहुंचे थे। जबकि हाल ही में निंबोला की एक स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर विद्यार्थियों ने नारेबाजी कर आक्रोश जताया था। शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि अभी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उच्च स्तर से कोई आदेश नहीं आया है, लेकिन इधर विद्यार्थी परेशानी झेल रहे हैं।
वर्जन-
डीपीसी में कोई शिक्षक संलग्न नहीं।
– शैक्षणिक के अलावा जो दूसरे काम होते हैं वह गैर शैक्षणिक में आते हैं। वेतन देयक या दूसरा काम, बाबू का काम कर रहा है तो वह गैर शैक्षणिक कार्य है। शिक्षक ऑफिस में काम कर सकते हैं, लेकिन केवल स्कूल, या परीक्षा से संबंधित कर सकते हैं। लिपिकवर्गीय काम नहीं कर सकते।
– रविंद्र महाजन, डीपीसी बुरहानपुर

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