35 C
Burhānpur
Saturday, June 7, 2025
35 C
Burhānpur
spot_img
Homeआलेखक्यों और कैसे फट जाती है दिमाग की नस? जाने कारण और...
Burhānpur
overcast clouds
35 ° C
35 °
35 °
32 %
1.1kmh
100 %
Sat
34 °
Sun
39 °
Mon
40 °
Tue
41 °
Wed
41 °
spot_img

क्यों और कैसे फट जाती है दिमाग की नस? जाने कारण और ब्रेन हेमरेज से बचने के उपाय

दिमाग की छोटी हो या बड़ी हर बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। इन्हीं खतरनाक स्थितियों में से एक है दिमाग की नस फट जाना। जिसे ब्रेन स्ट्रोक भी कहा जाता है। दरअसल जब दिमाग की कोई नस ब्लॉक हो जाती है तो ब्रेन स्ट्रोक होता है।
जिसे सही समय पर इलाज न मिलने पर मौत भी हो सकती है। इस ए मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है, इसके लक्षण पहले ही दिखाई देने लग जाते हैं। इसे बड़े अटैक से पहले का संकेत भी कहा जा सकता है। लेकिन क्योंकि इससे लक्षण हमें मामूली दिखाई पड़ते हैं इसलिए अक्सर ही हम इसे इग्नोर कर देते हैं। ब्रेन हेमरेज जानलेवा और गंभीर स्थिति है जिसमें व्यक्ति की जान भी जा सकती है। ज्यादातर लोग ब्रेन हेमरेज के बारे में जानते हैं लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इस दौरान शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं। ब्रेन हेमरेज में ब्रेन के अंदर ब्लीडिंग होने लगता है। यानि सिर के अंदर नस फटने के कारण खून बहना। मेडिकल टर्म में इसे इंट्राक्रैनियल हेमोरेज के नाम से जाना जाता है। ब्रेन हमेरेज को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यह कैसे होता है? और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्यों फटती है दिमाग की नस ?
ब्रेन हेमरेज कई कारणों से हो सकता है। जैसे कि सबसे पहले किसी चोट से यानी गिरने, कार दुर्घटना, खेल दुर्घटना या सिर पर अन्य प्रकार की चोट लगने के कारण। हाई बीपी के कारण, जो ब्लड वेसेल्स की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकता है और ब्लड वेसेल्स की ब्लीडिंग या फटने का कारण बन सकती है। ब्रेन में होने वाली ब्लड क्लॉटिंग की वजह से। धमनियों में फैट जमा होने याने एथेरोस्क्लेरोसिस की वजह से। टूटा हुआ सेरेब्रल एन्यूरिज्म यानी कि ब्लड वेसेल्स की दीवार में एक कमजोर स्थान जो फूल जाता है और फट जाता है। मस्तिष्क की धमनियों की दीवारों के भीतर अमाइलॉइड प्रोटीन यानी सेरेब्रल अमाइलॉइड एंजियोपैथी की वजह से। ब्रेन ट्यूमर जो मस्तिष्क के टिशूज पर दबाव डालता है इससे ब्लीडिंग हो सकती है। धूम्रपान, भारी शराब का सेवन या कोकीन जैसी चीजों के सेवन पर। गर्भावस्था में एक्लम्पसिया और इंट्रावेंट्रिकुलर ब्लीडिंग के कारण।
मिनी ब्रेन स्ट्रोक
मिनी ब्रेन स्ट्रोक बड़े अटैक से काफी वक्त पहले दिख सकता है। इसके लक्षण हल्के होते हैं, जिन्हें वक्त पर पहचानकर बड़े अटैक से बच सकते हैं। इसे मिनी ब्रेन स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक भी कहते हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में कई बार आपके शरीर का एक तरफ का हिस्सा जिसमें हाथ, चेहरा और पैर सुन्न हो जाते हैं। हालांकि इसका समय काफी कम होता है लेकिन अगर आपको ऐसा कुछ महसूस होता है तो यह मिनी स्टॉक के लक्षण हो सकता हैं। इसलिए इसे पहचाने और डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा बोलने में दिक्कत महसूस होना,शरीर का संतुलन खोना, बिना वजह सिर दर्द होना व कमजोरी महसूस होना आदि भी मिनी ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हैं।
मिनी ब्रेन स्ट्रोक कब आता है?
ब्रेन स्ट्रोक की तरह छोटा अटैक भी दिमाग की नस ब्लॉक होने से आता है। इसकी वजह से दिमाग को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाती है। लेकिन ये डैमेज परमानेंट नहीं होती है और 24 घंटे में खुद ही ठीक हो जाती है। मगर इसके लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
24 घंटे में गायब हो जाते हैं लक्षण
नसों में ब्लड क्लॉट जमने से मिनी स्ट्रोक पड़ता है। जिससे खून पूरी आजादी के साथ घूम नहीं पाता है। लेकिन ये ब्लड क्लॉट छोटे और अस्थाई होते हैं और कुछ ही देर में वापस घुल जाते हैं। लेकिन इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
मिनी स्ट्रोक से बचने के टिप्स
ध्रूमपान और शराब का सेवन बंद कर दें। ताजे फल, सब्जी और साबुत अनाज का सेवन करें। शरीर का वजन कंट्रोल रखें नियमित एक्सरसाइज करें। फैट का सेवन कम कर दें। टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी जैसी बीमारियों की दवा लेते रहें।

spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments

spot_img
spot_img