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कांग्रेस जिलाध्यक्ष बोले- मप्र कांग्रेस अध्यक्ष से चर्चा कर नेता प्रतिपक्ष उमंघ सिंघार के माध्यम से विधानसभा उठाएंगे मामला
बुरहानपुर। पंजीयक कार्यालय इन दिनों अपनी मनमानी और अवैध वसूली के मामले में काफी सुर्खियों में है। अब कांग्रेस इस मामले में न सिर्फ यहां पदस्थ अफसर, बाबूओं की आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग उठा रही है, बल्कि चेतावनी भी दी गई है कि अगर स्थानीय प्रशासन ने जांच कर कोई कार्रवाई नहीं की तो कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा। साथ ही ईडी में शिकायत करने के अलावा मप्र विधानसभा में सवाल उठाने की बात भी कही गई है। इसे लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष रिंकू टाक द्वारा मप्र कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से चर्चा कर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के माध्यम से विधानसभा में सवाल लगाने की बात कही है।
गौरतलब है कि पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। यहां रजिस्ट्री कराने आने वाले लोगों से सर्विस प्रोवाईडरों के माध्यम से अतिरिक्त राशि की वसूली की जाती है। ऐसा कर यहां पदस्थ कुछ अफसर, बाबू आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर करोड़ों के आसामी बन गए हैं। खास बात यह है कि कुछ की तो कॉलोनाइजरों के साथ काफी सेटिंग है और उन्होंने कई संपत्तियों में पार्टनरशिप कर रखी है। अब कांग्रेस ईडी से इसकी जांच करने की मांग उठा रही है।
2 से 3 फीसदी तक होती है वसूली
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रिंकू टाक ने कहा-पंजीयक विभाग में सर्विस प्रोवाईडरों द्वारा दो से तीन प्रतिशत की वसूली की जाती है। ऐसा कर लाखों, करोड़ों की वसूली का काम यहां होता है। कईं अधिकारी सालों से यहाँ जमे हुए हैं। जब भी उनका तबादला होता है वह उसे वापस कैंसिल कराकर आ जाते है। जिले में कईं अवैध कॉलोनियों को वैध बनाकर उसकी रजिस्ट्री करा दी जाती है। इसकी जांच की मांग की गई है। हमने मांग की है कि जल्द जांच करें नहीं तो आने वाले समय में आंदोलन किया जाएगा, क्योंकि इसकी जांच कराने में प्रशासन भी नाकाम हो रहा है। अफसर, बाबू कईं कॉलोनियों में पार्टनर हैं।
उन्होंने कहा रजिस्ट्री के नाम पर शुल्क उपर की उपर लेकर बंदरबांट करते हैं। इससे राजस्व विभाग को करोड़ों की हानि होती है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कलेक्टर से मांग की है कि ऐसे अधिकरी, कर्मचारियों की जांच करें जिन्होंने यहां प्रापर्टी बनाई है अपनी संपत्ति का जाल बिछाया है।
ऐसे होता है फर्जीवाड़ा
दरअसल पंजीयक विभाग में लोगों को अपनी मकान, दुकान, जमीन की रजिस्ट्री के लिए जाना होता है। वहां पहले उन्हें निर्धारित शुल्क बताया जाता है। इसके बाद सर्विस प्रोवाईडर के माध्यम से बताया जाता है कि लीगल के अलावा कुछ शुल्क और लगेगा। ऐसे में लोगों को मजबूरी में यह पैसा देना पड़ता है। अगर उनके द्वारा किसी तरह से भी आनाकानी की जाती है तो रजिस्ट्री पर रोक लग जाती है। बताया जाता है कि एक बाबू जो अब अफसर बन गया है वह उस रजिस्ट्री पर पेंसिल से मार्किंग कर देता है इसके बाद किसी की ताकत नहीं होती कि वह रजिस्ट्री करा ले। यह सब जिला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन अफसर फिर भी न तो किसी प्रकार की जांच करा रहे हैं न ही कोई कार्रवाई की जा रही है। जो नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।