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उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर की गई याचिका के बाद प्रशासन की ओर से सीमांकन शुरू
बुरहानपुर। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण से व्यथित होकर बुरहानपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट व समाजसेवी राकेश सेईवाल ने मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर में जनहित याचिका दायर की थी। पिछले दिनों इस मामले में कलेक्टर बुरहानपुर को कोर्ट ने निर्देश दिए। इसके बाद पांडारोल नाले का सीमांकन कराया जा रहा है।
बुधवार को नगर निगम, राजस्व विभाग की टीम ने शहर के प्रगतिनगर से पांडारोल नाले का सीमांकन शुरू किया। राजस्व विभाग के सुनिल बागुल ने बताया नाले का सीमांकन कराया जा रहा है। इसकी शुरूआत प्रगति नगर से की गई सिंधी बस्ती के नाले तक सीमांकन किया गया। उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश और कलेक्टर के निर्देश पर यह सीमांकन कराया जा रहा है। यहां मौजूद अतिक्रमण की लिस्ट तैयार की जा रही है। विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत की जाएगी। अभी सात से आठ अतिक्रमण पाए गए हैं। नाले की लंबाई 900 से एक हजार मीटर है। एक सिरे से चलकर आखिरी तक इसका सीमांकन किया जाएगा। इस दौरान राजस्व विभाग और नगर निगम का अमला मौजूद रहा।
यह है पूरा मामला
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता राकेश सेईवाल को सात दिनों के भीतर सार्वजनिक भूमि संरक्षण सेल पीएलपीसी के समक्ष एक अभ्यावेदन दायर करने का निर्देश दिया था। इसके बाद उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश पर जनहित याचिकाकर्ता राकेश सेईवाल ने कलेक्टर व अध्यक्ष सार्वजनिक भूमि संरक्षण सेल के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कर किया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि पीएलपीसी कानून के अनुसार उस पर निर्णय ले और एक तर्कसंगत व स्पष्ट आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को निर्णय के बारे में तुरंत सूचित करें।
आखिर क्यों उच्च न्यायालय में गुहार लगाना पड़ा
याचिकाकर्ता के जबलपुर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता धर्मेंद्र सोनी ने बताया कि यह जनहित याचिका बुरहानपुर जिले के ग्राम लालबाग स्थित खसरा नंबर 364-1 रकबा 4.38 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण से व्यथित होकर दायर की गई है। उक्त खसरे के कॉलम नंबर 4 में नाला को भूजल के रूप में दर्ज किया गया है जिसका अर्थ है नाला। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है और अवैध निर्माण भी किया गया है। जिस पर राकेश सेईवाल ने 10 अक्तूबर 2023 को कलेक्टर बुरहानपुर से नाले पर अतिक्रमण की शिकायत की थी। शिकायत में प्रार्थना की गई थी की सिंधीबस्ती लालबाग रोड़ पर पांडारोल नाले पर बने पुल के कुछ दूरी से लेकर लालबाग रोड एमपीईबी ऑफिस तक शासकीय भूमि भूजल नाले पर दोनो तरफ के आस पास के रहवासियों, भूमाफियाओं व अवैध कॉलोनाइजरों द्वारा अवैध रूप से शासकीय नाले की भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जा करके पक्के निर्माण कर लिये है। नाले पर कॉलोनी की बाउंड्रीवॉल बनाकर अतिक्रमण कर लिया है। किए गए अतिक्रमण का भौतिक सत्यापन कर अतिक्रमणकारियो के विरुध्द नियमानुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाना आवश्यक है। नाले की भूमि पर आस पास के रहवासियों तथा भूमाफियाओं द्वारा आरसीसी के पक्के अतिक्रमण करने से नाला बहुत संकरा हो गया है जिससे बारिश में नाले का बहाव नहीं हो पाता है। शिकायत के अंत में शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से निवेदन किया था कि उपरोक्त मामले की जांच कर शासकीय भू जल नाला भूमि पर जिनके द्वारा अतिक्रमण किया गया है उनके विरुध्द कार्यवाही की जाकर उनका अतिक्रमण तोड़े जाने की कृपा की करें। जब शिकायत करने के उपरांत भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो व्यथित हो कर समाजसेवी राकेश सेईवाल ने उच्च न्यायालय जबलपुर में जनहित याचिका दायर की। जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरविंद धर्माधिकारी, न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने इस जनहित याचिका पीआईएल पर आदेश जारी किए थें।
क्या हैं पीएलपीसी
शासकीय भूमि पर हो रहे अतिक्रमणों से निजात दिलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से नामित सार्वजनिक भूमि संरक्षण सेल संक्षेप में पीएलपीसी का गठन किया गया है जिसका नेतृत्व संबंधित जिला कलेक्टर करते हैं और यह उनके निर्देशों और पर्यवेक्षण के तहत कार्य करता है और इसके सदस्य के रूप में तहसीलदार रैंक का एक अधिकारी होता है. सचिव और ऐसे अन्य अधिकारी इसके सदस्य होंगे जिन्हें सरकार नामांकित करना उचित समझे। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया हैं की उसने मामले के गुण.दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।