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भागवत भूषण हरिकृष्ण भाई मुखिया जी ने 300वीं भागवत कथा पूर्ण कर रचा इतिहास
बुरहानपुर। श्री गोकुलचंद्रमां जी की कृपा और पूज्य श्री 108 श्री मिलन बाबाश्री के आशीर्वाद से वैष्णव परंपरा में एक अद्भुत और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी वृंदावन बना। भागवत भूषण श्री हरिकृष्ण भाई मुखिया जी ने अपने जीवन की 300वीं भागवत कथा को सफलता पूर्वक पूर्ण कर एक नई मिसाल कायम की।
300वीं भागवत कथा: एक महान उपलब्धि
किसी संत के लिए 300 भागवत कथाओं का आयोजन और उनका सफल समापन करना न केवल धर्म सेवा का प्रतीक है, बल्कि यह उनकी असीम भक्ति, निष्ठा और समर्पण का भी प्रमाण है। यह उपलब्धि समस्त वैष्णव समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
महंत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने शाल और श्रीफल देकर सम्मानित
इस ऐतिहासिक क्षण के उपलक्ष्य में, वृंदावन के प्रतिष्ठित महंत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने श्री हरिकृष्ण भाई मुखिया जी को विशेष रूप से आमंत्रित कर उनका आदर किया। यह आयोजन न केवल संत परंपरा का सम्मान था, बल्कि इसे “हरिहर मिलन” के रूप में देखा गया।
महंत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने मुखिया जी को शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हुए मुखिया जी के हाथ अपने सिर पर रखवाए और कहा, “300वीं भागवत के हाथ मेरे सिर पर रख दो।” इसके बाद, उन्होंने श्री मुखिया जी को आलिंगन कर उनके सिर पर अपने दोनों हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। यह दृश्य संत परंपरा में प्रेम और एकता का अनुपम उदाहरण था।
बुरहानपुर वासियों के लिए गर्व का क्षण
इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने बुरहानपुर वासियों का मान बढ़ाया है। श्री हरिकृष्ण भाई मुखिया जी की इस उपलब्धि से समाज में धर्म, भक्ति और समर्पण के नए आयाम स्थापित हुए हैं। यह एक ऐसा क्षण है जो हर भक्त के दिल में श्रद्धा और प्रेरणा का संचार करता है।
धार्मिक जगत में प्रेरणा
इस अवसर पर मुखिया जी के भतीजे शुभम भाई मुखिया जी ने वृंदावन से यह जानकारी साझा की। यह दिखाता है कि संतों के कर्म और उनके जीवन में किए गए कार्य आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देते रहेंगे। भागवत कथा के माध्यम से श्री हरिकृष्ण भाई मुखिया जी ने धर्म और संस्कृति का जो प्रसार किया है, वह हमेशा स्मरणीय रहेगा।
श्री हरिकृष्णभाई मुखियाजी का बुरहानपुर आगमन: 300वीं भागवत कथा पूर्ण कर लौट रहे हैं ब्रजभूमि से
श्री गोकुलचंद्रमा जी की कृपा एवं पूज्य श्री 108 श्री मिलन बाबाश्री के आशीर्वाद से, भागवत भूषण श्री हरिकृष्णभाई मुखियाजी ने वृंदावन की पवित्र भूमि पर अपने जीवन की 300वीं भागवत कथा को पूर्ण कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अब वे रविवार, 17 नवंबर को दोपहर 12 बजे कर्नाटक एक्सप्रेस से बुरहानपुर पहुंचेंगे।
भव्य स्वागत की तैयारी
बुरहानपुर के समस्त वैष्णव समुदाय में उत्साह का माहौल है। श्री हरिकृष्णभाई मुखियाजी के सम्मान और स्वागत के लिए सभी वैष्णव रेलवे स्टेशन पर उपस्थित होना चाहते हैं। इसके लिए श्री गोकुलचंद्रमा जी मंदिर से राजभोग दर्शन की आरती के बाद विशेष वाहन व्यवस्था की गई है।
समय और स्थान
• मंदिर में एकत्रित होने का समय: सुबह 11:00 बजे
• रेलवे स्टेशन पहुँचने का समय: दोपहर 12:00 बजे
वे वैष्णव जो अपने निजी वाहनों से सीधे स्टेशन जाना चाहते हैं, उनसे निवेदन है कि समय से ठीक 12:00 बजे स्टेशन पहुंचें ताकि स्वागत समारोह में सहभागिता की जा सके।
श्री हरिकृष्णभाई मुखियाजी का यह आगमन बुरहानपुर के लिए गर्व और हर्ष का क्षण है। उनके स्वागत में सभी भक्तजनों के समर्पण और श्रद्धा को देखकर, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह आगमन पूरे समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।