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2021 में आरोपियों से जब्त किए गए थे 4600 रूपए के 100-100 के नकली नोट, लालबाग थाना पुलिस ने दर्ज किया था केस
बुरहानपुर। नकली नोट के एक मामले में कोर्ट ने 3 बेटों और उनके पिता को 3-3 साल की सजा सुनाई है। उन पर नकली नोट बाजार में चलाने की गरज से जेब में रखने के आरोप के तहत लालबाग थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था। पुलिस ने 2021 में आपस में पिता, पुत्र 4 आरोपियों को पकड़कर उनके खिलाफ धारा 489 बी, 489 सी के तहत केस दर्ज किया था। जांच में पाया गया कि आरोपियों में जेब में नकली नोट बाजार में चलाने की गरज से रखे थे। सभी नोट 100-100 रूपए के थे जो नकली थे।
इस मामले में शुक्रवार को चारों आरोपी बाप-बेटों को प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सूर्यप्रकाश शर्मा के न्यायालय द्वारा धारा 489 सी के तहत 3-3 साल की सजा और 1500 रूपए के जुर्माने से दंडित किया गया है। आरोपियों से कुल 4600 रूपए के 100-100 के नकली नोट मिले थे। इसमें 2100 रूपए के नकली नोट मौके से मिले थे जबकि शेष राशि बताए गए स्थान से जब्त की गई थी।
जनवरी 2021 में पकड़े गए थे आरोपी
22 जनवरी 2021 को लालबाग थाना पुलिस को सूचना मिली की सिंधी बस्ती बहादरपुर रोड पर मिलन मिठाई के सामने दो लोग खड़े हैं उनके पास नकली नोट हैं। तब मौके पर तत्कालीन उपनिरीक्षक राकेश चौधरी पहुंचे। दो आरोपियों सईद पिता हासम से 10, खालिद पिता हासम से 11 कुल 2100 रूपए के नकली नोट जो 100-100 रूपए के थे जब्त किए। पूछताछ में उन्होंने अपने पिता द्वारा नकली नोट देना बताया तब पुलिस ने आरोपी पिता हासम पिता कासम और उनके एक और बेटे जुबैर पिता हासम को पकड़ा। हासम की तिजोरी से 12, जुबैर के पास से 13 नकली नोट मिले। इस तरह कुल 4600 रूपए के नकली नोट मिले। पुलिस ने चारों पिता पुत्र पर धारा 489 बी, 489 सी आईपीसी के तहत केस दर्ज किया।
जमीन पर गड्ढा खोदकर रखी थी तिजोरी, मिले नकली नोट
2100 रूपए के नकली नोट तो 2 आरोपियों से बरामद कर ही लिए गए थे, लेकिन पूछताछ में जब आरोपियों से सख्ती की गई तो उन्होंने इसे अपने पिता हासम द्वारा देना बताया। कुबूल किया कि बाजार में चलाने वाले थे। बाकी नोट उन्होंने एक तिजोरी में रखे थे जिसमें गड्ढा खोदकर जमीन में छिपाया गया था। उसके साथ 2.67 लाख के असली नोट भी थे। कोर्ट ने इसे कूटकृत, कूटरचित माना। चारों आरोपियों को धारा 489 सी के तहत तीन तीन साल की सजा और 1500 रूपए के जुर्माने से दंडित किया। प्रकरण में विवेचना अपर लोक अभियोजक शांताराम वानखेड़े ने की।
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