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चार चरणों में होगा प्रदर्शन, प्रमोशन बहाली से लेकर वेतन विसंगति सुधार तक की मांग
बुरहानपुर। मध्य प्रदेश कर्मचारी महासंघ, नेशनल मूवमेंट ऑफ़ ओल्ड पेंशन स्कीम, और संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में राज्य के सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपनी 46 सूत्रीय मांगों को लेकर चार चरणों में आंदोलन करेंगे। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर संतोष सिंह दीक्षित और अन्य पदाधिकारियों ने इस आंदोलन की रूपरेखा और उद्देश्य स्पष्ट करते हुए सरकार को अल्टीमेटम दिया है। इस आंदोलन को चार चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें राज्य के सभी जिलों और राजधानी भोपाल में प्रदर्शन किए जाएंगे।
पहला चरण: 16 जनवरी को ज्ञापन सौंपना
16 जनवरी को सभी जिलों के कलेक्टर कार्यालयों में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसमें कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को रेखांकित किया जाएगा और सरकार से जल्द समाधान की अपील की जाएगी।
दूसरा चरण: 24 जनवरी को सांसदों और विधायकों के माध्यम से ज्ञापन
इस चरण में कर्मचारियों द्वारा ज्ञापन सांसदों और विधायकों को सौंपा जाएगा, ताकि ये मुद्दे विधानसभा और संसद में उठाए जा सकें।
तीसरा चरण: 7 फरवरी को जिला स्तर पर प्रदर्शन
राज्य के 55 जिलों में जिला कलेक्टर कार्यालयों के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा। यह प्रदर्शन राज्य सरकार पर दबाव बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
चौथा चरण: 16 फरवरी को प्रदेशव्यापी धरना
भोपाल के अंबेडकर पार्क में प्रदेशभर के अधिकारी, कर्मचारी और पेंशनर्स एकत्रित होंगे और सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करेंगे। इस अंतिम चरण में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की संभावना है।
आंदोलन की प्रमुख मांगें
कर्मचारियों ने अपनी 46 सूत्रीय मांगों में विभिन्न मुद्दों को शामिल किया है। इनमें से कुछ मुख्य मांगें इस प्रकार हैं-
• पदोन्नति पर लगी रोक हटाना: कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति पर लगी रोक उनके करियर ग्रोथ में बाधा है।
• लिपिकों की वेतन विसंगति दूर करना: लिपिकों को मंत्रालय स्तर के लिपिकों के समान वेतन देने और ग्रेड पे 1900 से बढ़ाकर 2400 करने की मांग।
• कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना: सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक प्रभावी और व्यापक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए।
• अनुकंपा नियुक्ति का सरलीकरण: कर्मचारियों के निधन के बाद उनके परिवार को रोजगार देने की प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने की मांग।
• गृह भाड़ा भत्ता: सातवें वेतन आयोग के अनुसार गृह भाड़ा भत्ता बढ़ाने की मांग।
• पेंशन पात्रता में सुधार: वर्तमान 33 वर्षों की पात्रता को घटाकर 25 वर्ष किया जाए।
• आउटसोर्सिंग प्रथा समाप्त करना: आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने और ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने की मांग।
• रिक्त पदों को भरना: लंबे समय से खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।
• शिक्षकों की वरिष्ठता: शिक्षकों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता और समयमान वेतन का लाभ दिया जाए।
• सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए लाभ: सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अवकाश नगदीकरण और अन्य वित्तीय लाभ दिए जाएं।
आंदोलन का नेतृत्व और भागीदारी
इस आंदोलन में कई प्रमुख नेता और संगठनों के संयोजक हिस्सा ले रहे हैं। इनमें ठाकुर संतोष सिंह दीक्षित, ठाकुर संजय सिंह गहलोत, डॉक्टर अशफाक खान, ठाकुर हेमंत सिंह बेस, प्रमिला सगरे, कल्पना पवार, राजेश पाटील जैसे नेता शामिल हैं। प्रदेश स्तर पर एमपी द्विवेदी, परमानंद डेहरिया, डीके यादव और सतीश शर्मा जैसे पदाधिकारी आंदोलन को संगठित कर रहे हैं।
आंदोलन का उद्देश्य और सरकार पर दबाव
इस आंदोलन का उद्देश्य कर्मचारियों की लंबित मांगों को सरकार तक पहुंचाना और उनका समाधान सुनिश्चित करना है। कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और उग्र होगा। संयुक्त मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस अल्टीमेटम को गंभीरता से नहीं लिया, तो इसका असर विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।