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छात्रावास में अव्यवस्थाओं का अंबार- बच्चों को पलंग की सुविधा नहीं, फर्श पर सोने को मजबूर

  • अधीक्षिका घर से चला रही छात्रावास

  • भोजन में मीनू का पालन नहीं, पानी जैसी दाल और सूखा चावल मिल रहा

  • शाम को न नाश्ता मिलता है, न चाय, विद्यार्थी परेशान

  • लाखों रुपये के बजट के बावजूद छात्रावास की हालत बदतर

बुरहानपुर। जिला शिक्षा केंद्र द्वारा संचालित नेताजी सुभाषचंद्र बोस नवीन बालक आवासीय छात्रावास में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। इस छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। शासन द्वारा हर महीने लाखों रुपये का बजट जारी किया जाता है, लेकिन फिर भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छात्रावास की अधीक्षिका इसे घर से ही चला रही हैं। वे कभी-कभार ही छात्रावास में नजर आती हैं, जिससे व्यवस्थाओं की देखरेख का कोई ठोस तंत्र नहीं है। विद्यार्थियों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वे नदारद हैं।
बच्चों को नहीं मिल रही रहने की बुनियादी सुविधा
छात्रावास में बिस्तर और पलंग की कोई व्यवस्था नहीं है। विद्यार्थी सर्दी, गर्मी और बरसात में फर्श पर सोने को मजबूर हैं। 100 सीटर इस छात्रावास में मूलभूत जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया: हम पूरे साल फर्श पर ही सोते हैं। ठंड के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
पोषण विहीन भोजन: मीनू का पालन नहीं
छात्रावास में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है। विद्यार्थियों के मुताबिक, मीनू में दिए गए भोजन की जगह केवल पानी जैसी दाल और सूखा चावल दिया जाता है। सब्जी भी सप्ताह में सिर्फ दो से तीन बार ही मिलती है। शाम के समय नाश्ता और चाय नहीं दी जाती, जिससे विद्यार्थी भूखे रहने को मजबूर हैं। एक छात्र ने बताया: शाम को हमें कुछ भी नहीं मिलता। मीनू के अनुसार भोजन मिलने की बात कहने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती। शिकायत करने पर डांट-फटकार लगाई जाती है।
विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़
यह मामला केवल अव्यवस्थाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रहा है। सरकारी छात्रावासों को विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जाना चाहिए, लेकिन यहां न खाने की व्यवस्था सही है, न रहने की। विद्यार्थी शिकायत करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें छात्रावास से निकाल दिया जाएगा।
मामले की जांच करेंगे, लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई करेंगे
जब इस मामले को जिला परियोजना समन्वयक (DPC रविंद्र महाजन) के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने कहा: आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। प्राथमिकता के आधार पर कल ही जांच करवाई जाएगी। अगर अधीक्षिका की लापरवाही पाई जाती है, तो उन्हें तत्काल हटाने की कार्रवाई की जाएगी। छात्रावास में सुधार लाया जाएगा और इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बड़े सवाल जो उठ रहे हैं
• हर महीने लाखों रुपये का बजट जारी होने के बावजूद छात्रावास की यह बदहाल स्थिति क्यों है?
• क्या इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी, या सिर्फ जांच की औपचारिकता निभाई जाएगी?
• विद्यार्थियों के लिए समुचित व्यवस्थाएं कब सुनिश्चित की जाएंगी?
• क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी, जो वर्षों से इन लापरवाहियों पर ध्यान नहीं दे रहे?

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