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भूमि अधिग्रहण पर विरोध, किसानों ने कहा- बिना ग्रामसभा सहमति के नहीं देंगे जमीन
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पेसा कानून का उल्लंघन? पांगरी बांध परियोजना के खिलाफ किसानों का आंदोलन
बुरहानपुर। जिले के खकनार तहसील में प्रस्तावित पांगरी बांध परियोजना को लेकर किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। शुक्रवार सुबह 10 बजे, प्रभावित किसानों ने उचित मुआवजा और कानूनी भू-अर्जन की मांग को लेकर शिर्षासन आंदोलन किया। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी ज़मीन का अधिग्रहण बिना ग्राम सभा की सहमति के कर रही है, जो पेसा (PESA) कानून का उल्लंघन है।
आंदोलन की मुख्य मांगें
• उचित मुआवजा: किसानों का आरोप है कि उन्हें उनकी ज़मीन का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है और प्रशासन मनमाने ढंग से भूमि अधिग्रहण कर रहा है।
• पेसा कानून का पालन: यह क्षेत्र पेसा कानून के तहत आता है, जहां बिना ग्राम सभा की सहमति के कोई भी परियोजना लागू नहीं की जा सकती।
• कानूनी प्रक्रिया का पालन: किसानों ने धारा 40 का हवाला देते हुए कहा कि यदि सरकार अनिवार्य भू-अर्जन करती है, तो 75% अतिरिक्त मुआवजा देना होगा।
• पारदर्शिता: किसान संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से लागू करने की मांग कर रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।
किसानों की आवाज़
इस आंदोलन का नेतृत्व डॉ. रवि कुमार पटेल ने किया। उन्होंने कहा, “बिना ग्राम सभा की सहमति के भूमि अधिग्रहण करना अवैध है। सरकार को पारदर्शिता बरतनी चाहिए और किसानों को उनका हक देना चाहिए।”
कई अन्य किसानों ने भी अपनी बात रखी:
• नंदु पटेल: “हमें हमारी मेहनत की जमीन बिना न्यायोचित मुआवजे के नहीं दी जा सकती। सरकार को हमारी बात सुननी होगी।”
• राहुल राठौड़: “यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम उग्र आंदोलन करेंगे।”
• माधु कनोजे, संजय चौकसे और डॉ. सुशील पटेल समेत कई किसान इस आंदोलन में शामिल रहे।
क्या है पांगरी बांध परियोजना?
पांगरी बांध परियोजना बुरहानपुर जिले की एक महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के किसानों को जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस परियोजना के लिए भू-अधिग्रहण प्रक्रिया में किसानों को उनकी ज़मीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने से विवाद खड़ा हो गया है।
हालाँकि अब तक प्रशासन की ओर से इस आंदोलन पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बांध परियोजना क्षेत्र की कृषि और जल आपूर्ति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और इससे हजारों किसानों को लाभ होगा।
क्या होगा आगे?
किसानों की मांगें और सरकार की योजनाएं आने वाले दिनों में टकरा सकती हैं। यदि प्रशासन किसानों की मांगों को नहीं मानता, तो यह आंदोलन और तेज़ हो सकता है।
क्या पांगरी बांध परियोजना पर किसानों को न्याय मिलेगा? या यह आंदोलन बड़े स्तर पर उभरेगा? बने रहिए हमारे साथ ताज़ा अपडेट्स के लिए!