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जिला अस्पताल में बड़ी चूक: जन्म के बाद बेटे की जगह थमाई बेटी, परिजनों ने किया हंगामा

  • अस्पताल प्रशासन हरकत में, दो नर्सिंग स्टाफ बदले, जांच के आदेश

बुरहानपुर। जिला अस्पताल में गुरुवार को गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया, जब एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में जन्म के तुरंत बाद एक नवजात की अदला-बदली कर दी गई। इस घटना से परिजन करीब एक घंटे तक परेशान रहे और विरोध के बाद ही सही बच्चा वापस सौंपा गया। इस लापरवाही को लेकर अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है। सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) डॉ. राजेश सिसौदिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो नर्सिंग स्टाफ को हटाने और जांच के आदेश जारी करने की घोषणा की है।
कैसे हुआ नवजात का बदलाव?
ग्राम मैथा निवासी एक महिला ने गुरुवार को बेटे को जन्म दिया। अस्पताल के एसएनसीयू में शिशु की देखभाल के दौरान लापरवाही हुई, जिससे परिवार को बेटे की जगह एक बेटी सौंप दी गई।
जब महिला के पति ज्ञान सिंह और उनके परिजनों ने इस पर आपत्ति जताई, तो स्टाफ ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि यही बच्चा उनका है। लेकिन जब ज्ञान सिंह ने दृढ़ता से इसका विरोध किया और सबूत मांगे, तो मामले की हकीकत सामने आई।
दरअसल, जिस नवजात बेटी को गलती से दिया गया था, वह बुरहानपुर निवासी शोएब नामक व्यक्ति के परिवार की संतान थी। जब परिजनों ने शोर मचाया और अस्पताल प्रशासन पर दबाव बनाया, तब जाकर करीब एक घंटे बाद सही नवजात को सही परिवार को सौंपा गया।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएँ
परिजनों और स्थानीय नागरिकों के अनुसार, जिला अस्पताल में इस तरह की लापरवाहियाँ पहले भी कई बार हो चुकी हैं। अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के फुट प्रिंट लिए जाते हैं, ताकि पहचान में गलती न हो, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। सैयद वाजिद, जो इस मामले में शोएब के साथ आए थे, ने कहा कि -“यह कोई पहली घटना नहीं है। जिला अस्पताल की अव्यवस्थाएँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। अस्पताल प्रबंधन को जल्द से जल्द सुधार लाने की जरूरत है।”
अस्पताल प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना के बाद जिला अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन लापरवाह हो गया है और नवजात शिशुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिविल सर्जन डॉ. प्रदीप कुमार मोजेश की कार्यशैली पर भी सवाल उठते रहे हैं। जब भी अस्पताल में कोई गंभीर मामला सामने आता है, तो वे फोन तक नहीं उठाते और आवश्यक कार्रवाई करने में देरी करते हैं।
कांग्रेस ने की दोषियों के निलंबन की मांग
इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष रिंकू टाक ने घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि – “नवजात शिशु की अदला-बदली जैसी लापरवाही बेहद शर्मनाक और गंभीर है। यह माता-पिता के लिए मानसिक आघात देने वाली घटना है। जिला प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हम मांग करते हैं कि दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों को निलंबित किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।”
स्टाफ को नोटिस जारी किया जाएगा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. राजेश सिसौदिया ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि – “नवजात के जन्म के समय ही उनके फुट प्रिंट लिए जाते हैं। फिर भी एसएनसीयू में इस तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए थी। मैंने इस मामले की जानकारी ली है और संबंधित स्टाफ को नोटिस जारी किया जाएगा। तत्काल प्रभाव से दो नर्सिंग स्टाफ को हटा दिया गया है और पूरी घटना की जांच कराई जाएगी।”
लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार?
इस घटना ने एक बार फिर अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर ज्ञान सिंह ने समय रहते विरोध नहीं किया होता, तो उनके नवजात का भविष्य प्रभावित हो सकता था।
इस मामले में कुछ प्रमुख सवाल उठते हैं-
• अगर बच्चे के फुट प्रिंट लिए गए थे, तो यह गलती कैसे हुई?
• क्या यह सिर्फ लापरवाही थी, या इसके पीछे कोई और कारण था?
• अस्पताल में ऐसी घटनाएँ बार-बार क्यों हो रही हैं, और प्रशासन कब तक इसे नजरअंदाज करेगा?

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