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ऑनलाइन टिकट बुकिंग के बाद साइबर ठगों ने झांसे में लेकर की लाखों की ठगी

  • इक्सीगो रेलवे ऐप से साइबर ठगी: गूगल सर्च के जरिए एक लाख की धोखाधड़ी

  • गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करना पड़ा भारी, खाते से निकाले 97,547

बुरहानपुर। डिजिटल युग में ऑनलाइन सेवाएं जितनी सुविधाजनक हैं, उतनी ही जोखिम भरी भी हो सकती हैं। ऐसा ही एक मामला बुरहानपुर के मनीष रघुवंशी के साथ हुआ, जब उन्होंने इक्सीगो रेलवे ऐप से टिकट बुकिंग में गड़बड़ी के बाद गूगल से कस्टमर केयर नंबर खोजकर संपर्क किया। इस दौरान साइबर ठगों ने उनके बैंक खाते से 97,547 रूपये की बड़ी रकम उड़ा ली।
बुरहानपुर के मनीष रघुवंशी के पिता उदयसिंह वर्मा (पूर्व सचिव, प्रेस क्लब) ने 19 मार्च 2025 को इक्सीगो ऐप से अहमदाबाद से भुसावल तक का तत्काल टिकट बुक किया था। भुगतान फोनपे के माध्यम से कर दिया गया, लेकिन टिकट नहीं मिला। इसके बाद 20 मार्च को उन्होंने गूगल पर इक्सीगो के कस्टमर केयर का नंबर खोजकर संपर्क किया।
पहले दो नंबरों पर कॉल नहीं लगा, लेकिन तीसरे नंबर पर एक व्यक्ति ने कॉल रिसीव की। उसने व्हाट्सएप चैट के जरिए मदद की पेशकश की और कहा कि टिकट की राशि लौटाई जा रही है। फिर उसने कुछ कोड डालने के लिए कहा। जब उदयसिंह वर्मा को प्रक्रिया समझ नहीं आई, तो उन्होंने अपने बेटे मनीष से संपर्क करने को कहा। जैसे ही मनीष ने साइबर ठग द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन किया, तुरंत ही ₹97,547 की निकासी का संदेश उनके फोन पर आ गया।
तुरंत की गई पुलिस शिकायत
संदेश मिलते ही मनीष को समझ आ गया कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं। उन्होंने तुरंत ही शिकारपुरा पुलिस थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद वे बैंक पहुंचे और एचडीएफसी बैंक रावेर शाखा के मैनेजर को सूचित किया। बैंक की जांच में पता चला कि ठगों ने यह रकम आईडीबीआई बैंक, कल्याणी (पश्चिम बंगाल) के खाते में ट्रांसफर की है। एचडीएफसी बैंक ने रिकॉल ऑफ फंड का अनुरोध करते हुए आईडीबीआई बैंक से रकम वापस कराने की प्रक्रिया शुरू की है।
बैंकों की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजेक्शन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
* कैसे बिना ओटीपी और खाताधारक की स्वीकृति के इतनी बड़ी रकम निकाली जा सकती है?
* अगर एटीएम से एक दिन में 25,000 रु. तक की निकासी की सीमा है, तो ऑनलाइन ठग इतनी बड़ी रकम कैसे ट्रांसफर कर सकते हैं?
* बैंकों को साइबर फ्रॉड में शामिल खातों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और साइबर बीमा पॉलिसी के तहत ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।

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