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संगठित हिंदू समाज ही राष्ट्र की समस्याओं का समाधान है -अभयजी विश्वकर्मा

  • संघ के पंच परिवर्तन: समाज जागरण की नई पहल

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य पथ संचलन, समाज संगठन का संदेश

बुरहानपुर। ग्राम चापोरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य पथ संचलन आयोजित किया गया, जिसमें चापोरा मंडल के 300 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सदाशिव सीताराम हानोते ने की, वहीं मंच पर संघ के शाहपुर खंड के माननीय संघचालक भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, जिला प्रचारक अभयजी विश्वकर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि संघ का कार्य किसी के विरोध या प्रतिक्रिया का परिणाम नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के लिए समर्पित लोगों को तैयार करने का एक उपक्रम है। उन्होंने कहा कि संगठित समाज ही एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है और इसी शक्ति के प्रकटीकरण के लिए संघ में संचलन की परंपरा है।
संगठित शक्ति का महत्व
मुख्य वक्ता श्री विश्वकर्मा ने मधुमक्खियों के छत्ते का उदाहरण देते हुए संगठित शक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने कहा, जिस प्रकार मधुमक्खियां अपने छत्ते पर आक्रमण करने वालों की नियति तय करती हैं, उसी प्रकार संगठित हिंदू समाज भी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। भारत को पुनः विश्वगुरु के पद पर स्थापित करने के लिए समाज में आवश्यक परिवर्तनों को आत्मसात करने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।
संघ द्वारा प्रस्तावित पंच परिवर्तन
श्री विश्वकर्मा ने संघ द्वारा प्रस्तावित पाँच प्रमुख परिवर्तनों पर प्रकाश डाला। कुटुंब प्रबोधन– परिवारों को संस्कारवान और सशक्त बनाना। पर्यावरण संरक्षण– प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना। स्वदेशी जीवनशैली– स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना। समरसता– समाज में जाति और वर्गभेद समाप्त कर समरसता लाना। नागरिक अनुशासन– समाज में अनुशासन और कर्तव्यपरायणता को बढ़ावा देना।
द्विधारा संचलन: एक अनूठा आयोजन
ग्राम चापोरा में पहली बार निकाले गए द्विधारा संचलन का दृश्य दर्शनीय था। यह संचलन माध्यमिक विद्यालय प्रांगण से प्रारंभ हुआ और मार्ग में दो भागों में विभाजित होकर एक निश्चित समय पर पुनः एक बिंदु पर मिल गया। फिर दोबारा विभाजित होकर विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए पुनः एक निश्चित स्थान पर एक साथ पहुंचा। यह आयोजन अत्यंत रोमांचकारी रहा। संचलन का एक अन्य आकर्षण घोष टोली का उत्साह था। मात्र दो दिनों के प्रशिक्षण में घोषवादकों का निर्माण करना संघ के अनुशासन और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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