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शासन की मुआवजा वितरण गाइड लाइन से संतुष्ट नहीं हैं किसान, जल संसाधन विभाग ने शासन को बनाकर भेजा है प्रति हेक्टेयर 17.71 लाख का मुआवजा वितरण प्रस्ताव
बुरहानपुर। राज्य सरकार की मुआवजा वितरण गाइड लाइन से असंतुष्ट होकर खकनार तहसील के तीन गांव पांगरी, बसाली और नागझिरी के किसान गुरूवार को एकत्रित हुए। सभी ने मिलकर एक पत्र राष्ट्रपति को भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि पांगरी मध्यम सिंचाई परियोजना का काम बिना मुआवजा तय किए शुरू होता है तो वे सभी लोग सामूहिक रूप से आत्मदाह करेंगे।
दरअसल खकनार क्षेत्र के ग्राम पांगरी में मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है। गुरूवार को पांगरी में जल संसाधन विभाग के सब इंजीनियर इंद्रजीत उरमलिया बांध बनाने वाले स्थान पर झंडी लगाने गए थे तब किसानों ने उन्हें झंडी लगाने से रोक दिया। बाद में किसानों की बैठक हुई और उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र भेजे जाने की बात कही।
किसानों ने यह लिखा पत्र-
किसानों ने पत्र में यह कहा- ग्राम पांगरी में सिंचाई बांध परियोजना प्रस्तावित है। किसानों का कहना है कि 11 माह से बांध प्रभावित किसान न्याय, उचित मुआवजे के लिए संघर्षरत हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। किसानों ने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में कहा कि जब तक मूल्य निर्धारण नहीं हो जाता। मुआवजा तय नहीं हो जाता तब तक किसी भी प्रकार का बांध संबंधित कोई कार्य शुरू नहीं होना चाहिए। अगर नियमों को धता बताकर कार्य चालू किया जाता है तो हमें सामूहिक आत्मदाह की अनुमति प्रदान करें।
यह है पूरा मामला-
-दरअसल पांगरी मध्यम सिंचाई परियोजना में कईं किसानों की जमीन डूब में आ रही है। किसानों का कहना है कि मुआवजा मूल्य का निर्धारण नहीं हुआ है। इसे लेकर किसानों की बैठक गुरूवार को हुई जिसमें जलसंसाधन विभाग के अफसर भी पहुंचे और चर्चा की। किसानों के बीच बोलते हुए डॉ. रवि कुमार पटेल ने कहा-अगर अनुचित तरीके से काम शुरू होता है तो हम 1500 किसानों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी है।
वर्जन-
सब इंजीनियर बोले- 17.71 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर का प्रस्ताव भेजा है
-पांगरी मध्यम सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है। गुरूवार को हम केवल वहां झंडी लगाने गए थे, लेकिन किसानों ने हमें रोक दिया। दरअसल किसान सरकार की गाइडलाइन के विरोध में हैं। एक प्रस्ताव बनाकर शासन को विशेष पैकेज में रेट मंजूरी के लिए भेजा है। विभाग से प्रस्ताव स्वीकृत होगा तभी मुआवजा मिलेगा। 17.71 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर का रेट विशेष पैकेज के तहत तय कर प्रस्ताव भेजा गया है। मुआवजा वितरण हमारे हाथ में नहीं होता। विभाग से पैसा कलेक्टर को पहंुचता है और एसडीएम के माध्यम से वितरण होता है। हम या वरिष्ठ अधिकारी अपनी ओर से किसी प्रकार का आश्वासन नहीं दे सकते। –
– इंद्रजीत उरमलिया, सब इंजीनियर जल संसाधन विभाग
मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं मिली
– इसके संबंध में मुझे किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिली। किसानों ने इसकी कोई सूचना नहीं दी कि वह कहां जमा हो रहे हैं। किसी भी जमीन का अधिग्रहण किसानों की बिना अनुमति के होता ही नहीं है। शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही प्रक्रिया होती है।
– अजमेरसिंह गौड़, एसडीएम नेपानगर
और इधर…..।
अधिक मुआवजा दिलाने के नाम पर होती है जालसाजी
जिले में अधिक मुआवजा दिलाने के नाम पर जालसाजी भी होती है। बाहरी लोग किसानों को बहकाकर उन्हें अपना शिकार भी बनाते हैं। किसानों से लड़ाई लड़ने के लिए राशि भी जमा की जाती है। पूर्व में ऐसे मामले हो चुके हैं जिसमें बाहरी लोग किसाों को जालसाजी का शिकार बना चुके हैं।
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