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शाहपुर की सभा में झलका हर्षवर्धन का दर्द- बोले, मेरे पिता की जान आपकी ही दो सीटें जिताने में चली गई, वह कोविड पॉजिटिव हुए और दुनिया से चले गए, अरे पार्टी ने कुछ तो कदर की होती
बुरहानपुर। चमन को सींचने में झड़ गई होगी कुछ पत्तियां यही इल्जाम लग रहा है मुझ पर बेवफाई का, जिन्होंने रौंद दिया चमन पैरों के नीचे वह दावा कर रहे हैं चमन की रहनुमाई का। अरे मेरे भाइयों मैं तो दीपक हूं, मेरी दुश्मनी तो अंधेरे से है। हवा तो बेवजह मेरे खिलाफ रहती है। हवा से कह दो बहुत दीपक बुझाती है अब एक जलाकर दिखाए।
यह बात निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हर्षवर्धन नंदकुमार सिंह चौहान ने शाहपुर के बड़ा बाजार में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कही। नगर परिषद अध्यक्ष के रूप में मेरे पिता ने राजनीतिक की शुरूआत की। सेवा ऐसी नहीं की कि सिर्फ कुर्सी पर बैठें। जरूरत पड़ी तो कुएं को साफ करने में भी अपनी जान जोखिम में डालकर दो बार सांप ने डंस लिया था। कौन सा जननेता ऐसा करता है जो जनता के लिए अपनी जान जोखिम में डाले। 45 सालों तक उन्होंने अलग अलग रूप में इस क्षेत्र की सेवा की। आपने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया और उन्होंने आपको दिल में बसाया।
हर्षवर्धन ने कहा हर व्यक्ति को परिवार का समझा। 45 साल में पूरे मप्र में कोई यह नही कह सकता कि स्व. नंदकुमारसिंह चौहान ने किसी का दिल दुखाया। कोई अंदाजा नहीं लगा पाया वह आसमान था और सिर झुकाकर चलता था। मैं निर्दलीय चुनाव लड़ रहा हूं। चूंकि जीत रहा हूँ तो बहुत लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। कह रहे हैं एक निर्दलीय विधायक क्या करेगा। एक विधायक चाहे निर्दलीय हो या दल का हो। संविधान में सभी को एक जैसी ताकत है। संविधान में कहीं यह नहीं लिखा है कि अलग अलग है। व्यक्ति में नहीं व्यक्तित्व में ताकत होना चाहिए। हर्षवर्धन ने कहा मैं व्यवस्था कराने की कोशिश करूंगा कि कम से कम 15 हजार युवाओं को रोजगार दिलाउं। सीएमवी वायरस का आतंक आता है तब बडे़ बड़े नेता केवल फोटो खिंचवाने पहुंचते हैं। कभी किसी ने आवाज उठाई कि सीएमवी वायरस आया तो मुआवजा मिले। किसानों को अच्छे किस्म का बीज मिले। इसकी शुरूआत करूंगा। विधानसभा जाकर कंचे थोड़े ही खेलूंगा। जिला अस्पताल मेरे पिता के नाम पर कर दिया, लेकिन वहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। तीन साल से वहां अन्नपूर्णा रसोई के नाम से भोजन करा रहे हैं। बिना किसी पद पर रहकर किया। मेरे पिता ने 45 साल पार्टी की सेवा की। सब कुछ छोड़ दिया। कोई कोर कसर उन्होंने नहीं छोड़ी पार्टी की सेवा में मगर उनके जाने के बाद कुछ तो कदर की होती। आपकी ही दो सीटें जिताने के चक्कर में जान चली गई। पहली बार तथाकथित झूठे सिद्धांत के नाम पर परिवारवाद के नाम पर टिकट काटा गया। आज 26 लोगों को भाजपा ने टिकट दिए हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है पड़ोस में मंजू दादू को टिकट दिया। सिर्फ नंदू भैया के नाम से ही परेशानी हुई। सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज हो सिर्फ चुनाव में लाभ उठाने के लिए पिताजी के नाम से किए। फिर यूं हुआ कि सब्र की मंजिले पकड़कर हम इतना चले कि मंजिलें हैरान रह गए।
हर्षवर्धन ने कहा पिताजी की मूर्ति शाहपुर में लगाने के लिए कितना संघर्ष किया। चार चार बार कार्यक्रम कैंसिल हुए है। कौन यहां से फोन करके बोलता था कि अरे पब्लिक नहीं आएगी। नंदू भैया की मूर्ति लग रही थी तो किसके पेट में दर्द हो रहा था। ऐसी साजिशें की है कि किसी भी प्रकार से स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के परिवार से किसी को राजनीति में नहीं आने दिया जाए। अगर लोग फिर से नंदू भैया के रूप में किसी को देखना चाहते हैं तो आपको क्या तकलीफ है और जब समय आया तो फोटो पर तिलक लगा रहे हैं। कुंकु लगा रहे हैं। हल्दी चढ़ा रहे है।
मैंने अपने बच्चे को आपकी झोली में डाल दिया
इस दौरान नंदू भैया की पत्नी दुर्गेश्वरी देवी ने कहा मैंने अपने बच्चे को आपकी झोली में डाल दिया। इस राष्ट्र की सेवा करते करते जिस समय से यहां ब्याहकर आई मेरे पति ने राष्ट्र्र की सेवा में डाल दिया। जाते जाते मप्र के मुख्यमंत्री को अस्पताल में चिट्ठी लिखी। उसका नतीजा आज देखने को मिला। हमें कुछ भी नहीं समझा। मेरे बेटे को आशीर्वाद दें। इस दौरान कुछ समय के लिए वह भावुक भी हो गईं। सभा से पूर्व हर्षवर्धन का रोड़ शो हुआ। जिसमे हजारों लोगों शामिल हुए।