बुरहानपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहर के कईं हितग्राही ऐस हैं जिन्होंने आवास की राशि लेने के बाद भी मकान नहीं बनाए। अब ऐसे लोगों की शामत आ गई है। अब मकान निर्माण नहीं करने वाले हितग्राही की संपत्ति राजसात की जा रही है। गुरुवार से नगर निगम ने इसके लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
गुरूवार को नगर निगम का अमला पुलिस बल के साथ नया मोहल्ला क्षेत्र पहुंचा। यहां एक हितग्राही के मकान पर जमीन राजसात करने का सूचना बोर्ड लगा दिया। नगर निगम अधिकारियों ने बताया अब यह करवाई लगातार चलेगी।
शहर में 650 लोगों ने नहीं बनाए मकान
शहर में करीब 650 मामले ऐसे हैं जिन्होंने राशि तो ले ली, लेकिन मकान का निर्माण नहीं किया। नगर निगम ने ऐसे लोगों को नोटिस भी दिए उसके बावजूद ना तो राशि लौटाई और ना ही मकान का निर्माण शुरू किया। जिसके कारण निगम संपत्ति राजसात कर रहा है।
ये है संपत्ति राजसात की सूचना
नगर पालिक निगम आयुक्त संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत चयनीत हितग्राही को आवास निर्माण हेतु राशि प्रदान की गई है। हितग्राही द्वारा आवास कार्य प्रारंभ नही किया गया और ना ही प्रदान की गई राशि निगम कोष में जमा की गई। हितग्राही द्वारा शासकीय राशि का दुरूपयोग करने पर, शासकीय राशि की वसूली के म.प्र. नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 173 से 180 के प्रावधानों अनुसार यह संपत्ति राजसात की गई है। इस संपत्ति की निलामी करके शासकीय योजना की राशि वसूली की जाएगी।
शंका के दायरे में अफसर, कर्मचारियों की भी भूमिका
करीब दो साल पहले नगर निगम से पीएम आवास योजना का लाभ लेने के लिए वार्ड क्रमांक 14 बैरी मैदान के 10 लोगों ने फर्जी समेकित कर, जल कर की रसीदें लगाकर योजना का लाभ उठा लिया था। इसमें निगम अधिकारी, कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई थी। इसके बाद 40 अन्य लोगों द्वारा भी गलत तरीके से योजना का लाभ उठाया गया था, लेकिन तब केवल हितग्राहियों पर ही निगम ने एफआईआर दर्ज कराई थी। मामले में नगर निगम अफसर, कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में रही है।
अफसरों की नहीं जाती अतिक्रमण पर नजर
प्रगति नगर सहित अन्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है। यहां से दिन-रात अधिकारियों का आवागमन होता है, लेकिन अधिकारी इसे लेकर अनजान बने रहते हैं। यहां अधिकांश परिवारों को पट्टे नहीं दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सेटिंग से पीएम आवास योजना का लाभ उठा लिया है। इतना ही नहीं जिसकी जमीन वहां नहीं है वह भी दूसरी जगह आवास बना लिये है। ऐसे में नगर निगम के सत्यापन करने वाले अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी शक होता, क्योंकि आवास स्वीकृत होने के बाद मकान निर्माण के दौरान जिओ टेकिंग होती है, लेकिन लोकेशन अन्य स्थान की होने के बावजूद अधिकारी ने अनुमति दे दी हैं। अधिकांश ने अधिकारियों से सत्यापन कैसे करा लिया, यह बात समझ से परे है।