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सहायक आयुक्त ने जारी किए थे दो पालियों में स्कूल लगाने के आदेश, प्रधान पाठक कर रही मनमानी
बुरहानपुर। पिछले दिनों तत्कालीन सहायक आयुक्त ने एक पत्र जारी किया था जिसमें माध्यमिक शाला सिंधखेड़ा का भवन अत्यंत जर्जर होने पर दुर्घटना की आशंका के चलते एकीकृत माध्यमिक शाला सिंधखेड़ा कला की कक्षाएं प्राथमिक शाला भवन सिंधखेड़ा कला में दो पालियों में लगाने के लिए कहा गया था। पहली पाली में माध्यमिक शाला का संचालन और दूसरी पाली में प्राथमिक शाला का संचालन करने को कहा गया था, लेकिन यहां राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते प्रधान पाठक द्वारा मनमानी की जा रही है।
दरअसल आदेश में दो पालियों में शाला लगाने को कहा था। जिसमें माध्यमिक शाला सुबह लगाने के लिए कहा गया था और प्राथमिक शाला दोपहर में लगाया गया था, लेकिन प्रधान पाठक उल्टा कर रही हैं। बच्चों को सुबह बुला रही हैं जबकि माध्यमिक शाला के बच्चों को दोपहर में बुलाया जा रहा है। प्रधान पाठक संध्या मिलिंद पटेल मनमानी कर रही है। बताया जा रहा है कि राजनीतिक तरीके से हस्तक्षेप कराया जा रहा है जिसके कारण छोटे बच्चे परेशान हो रहे हैं। आदेश को भी दरकिनार किया जा रहा है। बच्चों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
31 अगस्त को जारी हुआ था आदेश
31 अगस्त को आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की ओर से पत्र जारी किया गया था। तब स्वर्णा खर्चे प्रभारी सहायक आयुक्त थीं, आदेश में उल्लेख करने के बाद भी मनमानी से कक्षाएं संचालित की जा रही है।
जनजातीय विभाग में राजनीति हावी
जनजातीय विभाग में राजनीति हावी है। यह पहला मामला नहीं है जब ऐसा हुआ है। दरअसल कुछ महीने पहले जनजातीय विभाग की ओर से संचालित छात्रावासों में हुए तबादलों के समय भी रानजीतिक हस्तक्षेप की बातें सामने आई थीं। एक छात्रावास अधीक्षक तो कलेक्टर के पास जन सुनवाई में भी पहूंच गई थी। वहीं पिछले दिनों एक संकुल प्राचार्य का मामला सामने आया था। जिन्होंने कलेक्टर के आदेश के खिलाफ जाकर अपना तबादला रूकवा लिया था। विभाग में पिछले कुछ माह पहले उजागर हुआ घोटाला भी खासा चर्चा का विषय रहा था।
वर्जन-
मौखिक आदेश पर लग रही स्कूल
तत्कालीन सहायक आयुक्त के मौखिक आदेश पर स्कूल का समय बदला है। स्कूल स्टाप की सहमति और प्रस्ताव बनाकर का संचालन किया जा रहा है।
– संध्या पटेल, प्रधान पाठक सिंधखेडा स्कूल
आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया
– आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। मैं इसे दिखवाता हूं। अगर ऐसा हो रहा है तो आदेश देखकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– गणेश भाबर, सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग
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