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खंडवा-बुरहानपुर की बजाए इस बार बड़वाह से कांग्रेस ने खड़ा किया अपना उम्मीदवार 

  • अरूण यादव ने दूसरी बार किया लोकसभा चुनाव से किनारा, इससे पहले उपचुनाव में भी नहीं लिया रिस्क

  • कांग्रेस ने सनावद के नरेंद्र पटेल को बनाया है लोकसभा उम्मीदवार

बुरहानपुर। खंडवा संसदीय सीट से काफी मंथन के बाद कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस बार कांग्रेस ने सनावद के नरेंद्र पटेल को उम्मीदवार बनाया है। खंडवा-बुरहानपुर से कईं दावेदार कतार में थे, लेकिन पार्टी ने जातिगत समीकरणों के आधार पर सनावद के नरेंद्र पटेल को मौका दिया। वह अरूण यादव के समर्थक हैं।
खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी इस बार भी पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरूण यादव को ही खंडवा संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन अरूण यादव गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बाहरी प्रत्याशी के नाम पर वहां विरोध भी शुरू हो गया था इसलिए पार्टी ने अपने कदम पीछे खींच लिए। काफी दिनों तक अरूण यादव के खंडवा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें चलती रही, लेकिन उनकी ओर से सनावद के नरेंद्र पटेल और खंडवा की सुनीता सकरगाये का नाम आगे बढ़ाया गया था। आखिर में नरेंद्र पटेल के नाम पर सहमति बनी और शनिवार को उनके नाम की घोषणा की गई।
आठ विधानसभाओं में समर्थकों पर जताया भरोसा
खंडवा संसदीय सीट में आठ विधानसभाएं और 4 जिले आते हैं। इन विधानसभाओं में पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरूण यादव की पकड़ है इसलिए उन्होंने अपने समर्थक को इस बार टिकट दिलवाया है। आठ विधानसभाओं में खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, मांधाता, बड़वाह, बागली, पंधाना और भीकनगांव शामिल है। इसमें 4 जिले हैं जिसमें खंडवा, बुरहानपुर, देवास और खरगोन जिला शामिल है।
ठाकुर सुरेंद्र सिंह को भी नहीं मिला टिकट
हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे ठाकुर सुरेंद्र सिंह का नाम भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में उभरकर सामने आ रहा था। चुनाव हारने के बाद हुई आभार सभा में ही उन्होने पार्टी से अपील कर ली थी कि मुझे लोकसभा में भी अवसर दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा बुरहानपुर के अन्य नेताओं के नाम पर भी संगठन सहमत नहीं हुआ। इसके चलते अब खरगोन जिले की सनावद तहसील से उम्मीदवार घोषित किया गया है।
यह है चुनौती
– एक तरफ जहां भाजपा में संगठन मजबूत है तो वहीं कांग्रेस में इन दिनों दो फाड़ है। हालांकि भाजपा में भी अंदरूनी गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन पूरा चुनाव भाजपा नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़ रही है।
– कांग्रेस की गुटबाजी के कारण इसका नुकसान प्रत्याशी को हो सकता है। विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह पार्टी को गुटबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा था।

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