बुरहानपुर। करीब 5 वर्ष पहले अभियोक्त्री के मोहल्ले में मम मम चिल्ड वाटर बाटने वाले आरोपी रोजाना पानी बाटने आता था। तब से दोनो में बातचीत होने लगी और आरोपी ने अभियोक्त्री को शादी का झांसा देकर उसके साथ गलत काम (बलात्कार) किया। फिर उसने आरोपी को कहा कि तुम मुझसे कब शादी करोगे तो आरोपी ने कहा की तु अपने डाक्युमेट लेकर आ जाना अपन कोर्ट में शादी कर लेगे। अभियोक्त्री ने अपने डाक्युमेंट आरोपी को दे दिये और अभियुक्त ने अपने पास रख लिये, उसने कई बार आरोपी को बोला की मेरे डाक्युमेंट मुझे दे दे किन्तु उसने उसे डाक्युमेंट वापस नही दिये। उसने कई बार आरोपी से कहा कि वह शादी कब करेगा तो आरोपी ने उससे बोला की वह मुस्लमान है और तु हिन्दु है अगर तुम्हे शादी करना है तो तुम्हे धर्म बदलकर मुस्लमान बनना पडेगा। तभी मैं तुमसे शादी करूंगा। तो उसने धर्म परिवर्तन करने से मना कर दिया। आरोपी द्वारा उसे उससे प्राप्त किये डाक्युमेंट नही देने उसने आरोपी के विरूध्द थाना गणपति नाका बुरहानपुर में लिखित रिपोर्ट की। जिस पर से थाना गणपतिनाका में अपराध क्रमांक 115/23 पर धारा 366, 376 भा.द.वि 3 (1) (क) /5 म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रा अधिनियम 2021 एवं 3 (2) (V) धारा 3(1) (W) (i) अ.जा. एवं अ.ज.जा. अत्याचार अधिनियम का पंजीबध्द कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय विशेष सत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से सफलतापूर्वक पैरवी विशेष लोक अभियोजक दिपक बी. उमाले द्वारा की गई। जिसके पश्चात माननीय न्यायालय आशिता श्रीवास्तव महोदया अ.जा./अ.ज.जा. अत्याचार निवारण अधिनियम बुरहानपुर द्वारा दिनांक 16/05/2024 को निर्णय पारित करते हुये आरोपी मोहम्मद रईस पिता मोहम्मद सईद निवासी आजाद नगर बुरहानपुर को प्रकरण में विशेष लोक अभियोज दिपक बी. उमाले द्वारा अभियोजित प्रकरण में श्रीमती आशिता श्रीवास्तव महोदया विशेष न्यायाधीश अ.जा./अ.ज.जा. अत्याचार निवारण अधिनियम बुरहानपुर द्वारा आरोपी मोहम्मद रईस पिता मोहम्मद सईद को धारा 366 भा.द.वि एवं 3 (2) (V) अ.जा. अ.ज.जा. अत्याचार अधिनियम 1989 में आजीवन कारवास एवं 2,000/- रूपये अर्थदंड, 376, भा.द. वि. 3 (2) (V) अ.जा./अ.ज.जा. अत्याचार अधिनियम 1989 में आजीवन कारावास एवं 2,000/- रूपये के अर्थदंड, 3 (1) (क) /5 म.प्र. धार्मिक स्वतंत्रा अधिनियम में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 25,000/- रूपये के अर्थदंड, धारा 3(1) (W) (i) अ.जा. एवं अ.ज.जा. अत्याचार अधिनियम में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1,000/- रूपये के अर्थदंड से दंडीत किया गया।