बुरहानपुर। आदिवासी समाज ने सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहली बार समाज के लोगों ने एकजुट होकर दहेज, शराब और डीजे के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है। इस उद्देश्य को लेकर बुधवार को बुरहानपुर में राज्य स्तरीय सर्व आदिवासी समाज महासम्मेलन आयोजित किया गया।
भव्य रैली के साथ सम्मेलन का आगाज
महासम्मेलन की शुरुआत शनवारा से एक विशाल रैली के साथ हुई। इस रैली में आदिवासी युवक-युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए और पारंपरिक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया। यह रैली इंदौर-इच्छापुर हाईवे से होते हुए रेणुका माता स्थित कृषि उपज मंडी परिसर पहुंची। रैली में नेपानगर विधायक मंजू दादू और जिला पंचायत अध्यक्ष गंगाराम मार्को भी शामिल हुए और आदिवासी नृत्य में झूमते नजर आए। इस दौरान समाज के लोगों ने एकजुट होकर सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के अपने संकल्प को दोहराया।
महासम्मेलन में हुए महत्वपूर्ण निर्णय
महासम्मेलन में समाज के विभिन्न समुदायों—राठिया, बारेला, भिलाला, कोरकू, गोंड आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सर्वसम्मति से निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
1. दहेज प्रथा समाप्त की जाएगी: शादी-विवाह में दहेज लेने और देने की परंपरा को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। समाज के सभी वर्गों से इसे लागू करने की अपील की गई।
2. शराब सेवन पर प्रतिबंध: शादी, सामाजिक समारोहों और अन्य कार्यक्रमों में शराब सेवन को पूरी तरह बंद करने का संकल्प लिया गया।
3. डीजे का उपयोग नहीं किया जाएगा: पारंपरिक आदिवासी वाद्ययंत्रों को बढ़ावा देने के लिए शादी-ब्याह और अन्य आयोजनों में डीजे का उपयोग पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया।
विधायक और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
नेपानगर विधायक मंजू दादू ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक पहल है। पहली बार आदिवासी समाज ने एकजुट होकर सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए इतना बड़ा कदम उठाया है। यह मिशन समाज के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।”
जिला पंचायत अध्यक्ष गंगाराम मार्को ने कहा, “इस सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त करना है। हमें अपने रीति-रिवाजों का पालन करते हुए आधुनिक समाज की ओर बढ़ना होगा।”
सम्मेलन की तैयारियां और बड़ी भागीदारी
यह सम्मेलन पिछले दो महीनों से तैयार किया जा रहा था। इसमें बुरहानपुर जिले के अलावा खंडवा, खरगोन, बड़वानी, महाराष्ट्र और अन्य जिलों से हजारों की संख्या में समाजजन शामिल हुए। सम्मेलन में आए प्रमुख नेताओं और समाज के वरिष्ठ जनों ने इस मिशन को सफल बनाने के लिए समाज में लगातार जागरूकता अभियान चलाने की अपील की।
समाज का संकल्प और आगे की रणनीति
महासम्मेलन में यह भी तय किया गया कि समाज के प्रमुख लोग, सरपंच और जनप्रतिनिधि इस मिशन को अपने-अपने गांव और समुदायों में लागू करवाने का प्रयास करेंगे। यह निर्णय समाज को आधुनिक सोच और प्रगतिशील जीवनशैली की ओर ले जाने में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आदिवासी समाज एक नई दिशा तय करेगा
“थ्री-डी मिशन” यानी दहेज, दारू और डीजे के खिलाफ उठाया गया यह कदम आदिवासी समाज के लिए एक नई दिशा तय करेगा। समाज ने न सिर्फ इन बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लिया, बल्कि इसे सफल बनाने के लिए ठोस रणनीति भी बनाई है। अगर यह अभियान सफल होता है, तो यह पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है।