बुरहानपुर। भाजपा नेता और सरदार पटेल मंडल के अध्यक्ष दिवंगत विक्रम चंदेल के निधन के नौ महीने बाद उनकी पत्नी रानी विक्रम चंदेल और परिवार को पार्टी द्वारा 2 लाख रुपये की सहायता राशि का चेक सौंपा गया। हालांकि, इस मदद के पीछे की देरी और सोशल मीडिया पर उठे सवालों ने पार्टी की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मदद में देरी: सवालों के घेरे में भाजपा जिलाध्यक्ष
विक्रम चंदेल का निधन 24 फरवरी 2024 को हुआ था, लेकिन उनकी पत्नी और परिवार को सहायता राशि देने में नौ महीने लग गए। इस देरी को लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज माने की जमकर आलोचना हुई। पोस्ट्स में आरोप लगाए गए कि पार्टी द्वारा जुटाए गए चंदे का उपयोग समय पर नहीं किया गया, जिससे कार्यकर्ताओं और जनता में नाराजगी फैली।
सोशल मीडिया का दबाव और कार्रवाई
सोशल मीडिया पर विरोध और आलोचना के बाद, भाजपा के जिम्मेदार पदाधिकारी ने तुरंत सहायता राशि का चेक परिवार को अपने घर बुलाकर सौंपा। जानकारों का कहना है कि यदि यह मामला सोशल मीडिया पर न उठता, तो शायद मदद और ज्यादा देर तक अटकी रहती।
परिवार का आभार और दर्द
मीडिया से चर्चा के दौरान रानी चंदेल ने कहा, “मेरे पति ने पार्टी को हमेशा प्राथमिकता दी, यहां तक कि परिवार से ज्यादा समय पार्टी को दिया। उनकी मृत्यु के बाद भी पार्टी ने उनकी मेहनत का सम्मान किया, लेकिन यह मदद समय पर मिलनी चाहिए थी।” उनके भाई और चाचा ने भी पार्टी को धन्यवाद देते हुए देरी पर सवाल उठाए।
चंदे में धंधे का आरोप
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने भाजपा पदाधिकारी पर चंदे का सही उपयोग न करने का आरोप लगाया। कहा गया कि कार्यकर्ताओं से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने समय पर नहीं किया और पारदर्शिता की कमी रही। रानी चंदेल ने कहा, “मेरे पति हमेशा पार्टी के लिए खड़े रहे। उनकी मौत के दिन भी वे पार्टी के कार्यक्रम में व्यस्त थे। लेकिन उनकी मेहनत का सम्मान करने में इतना समय क्यों लगा?”
पार्टी के जिम्मेदारों की छवि पर असर
इस घटना ने भाजपा के जिम्मेदारों की छवि को नुकसान पहुंचाया है। सवाल यह है कि यदि यह मामला सोशल मीडिया पर न उठाया जाता, तो क्या परिवार को यह सहायता मिलती? विक्रम चंदेल के परिवार के लिए भाजपा का यह कदम भले ही राहत भरा हो, लेकिन देरी ने पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं।