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श्रमिक, श्रम एवं समय की होती है बचत, परेशानियों से मिल रहा है छुटकारा
बुरहानपुर। तकनीक, इस आधुनिक जीवन में मानव का अभिन्न अंग बन गया है। हर कोई अच्छी से अच्छी तकनीक इस्तेमाल करके प्रतिस्पर्धा में आगे आना चाहता है। तकनीक का उपयोग करके समय की बचत तो होती ही है साथ ही साथ कम लागत में बहुत अच्छा काम भी होता है। ऐसा ही बुरहानपुर जिले में ड्रोन तकनीक का उपयोग कृषि क्षेत्र में भरपूर रूप से किया जा रहा है। यहां के किसान अपने खेत में फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करने में ड्रोन का उपयोग कर रहे है। पहले किसानों को अपने खेत में कीटनाशक का छिड़काव करने में बहुत समय अथवा दिन भी लग जाते थे। पहले किसान हाथों से या पंप से कीटनाशक का छिड़काव करते थे। उन्हें धूप में पंप को पीठ पर बांध कर खेतों में घूमते हुये छिड़़काव करना पड़ता था। कड़ी मेहनत के बाद किसान को काफी थकान हो जाया करती थी, लेकिन अब इन परेशानियों से निजाद मिल रही है।
पारंपरिक रूप से स्प्रे पंप के माध्यम से छिडकाव करने में एक एकड खेत में 5.6 घण्टे का समय लगता है, जबकि अत्याधुनिक ड्रोन के माध्यम से एक एकड़ फसल में कीटनाशक का छिड़काव करने में मात्र 10 मिनट का समय लगता है तथा एक समान रूप से छिड़़काव भी होता है। घोल के माईक्रोफाईन कण पत्तियों पर पूर्ण रूप से फैलते है। जिससे की फसल अच्छी रहती है।
विदित है कि, जिले में अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग बाढ़ आपदा में राहत कार्यो, कानून व्यवस्था के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है। ग्राम देड़तलाई के कृषक शिवचरण धानुक की 4.5 एकड़ क्षेत्र में गन्ना फसल एवं ग्राम शेखपुरा कृषक संतोष महाजन की 4 एकड़ फसल पर अत्याधुनिक ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक का छिड़काव किया गया है।
ध्यान रखने योग्य बातें
ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक, फफूंदनाशक, निंदानाशक तथा नैनो यूरिया, नैनो डीएपी का भी छिड़काव किया जा सकता है। ड्रोन द्वारा जिस खेत में छिड़काव करना है, उसका नक्शा बनाने के लिये तथा उतने ही क्षेत्र में छिड़काव के लिये आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स का उपयोग किया जाता है। जिसके कारण खेत की सीमा के बाहर छिड़काव नहीं होता है। ड्रोन से छिड़काव करने के लिये मौसम खुला होना चाहिए तथा छिड़काव के बाद कम से कम 3 घण्टे तक वर्षा नहीं होनी चाहिये।
ड्रोन तकनीक काफी मददगार
खेत में ड्रोन के छिड़काव से लाभन्वित ग्राम बहादरपुर के कृषक श्री रवि काले बताते है किए 3 एकड़ केले के खेत में नैनो डीएपी और नैनो यूरिया का छिड़काव किया है। यह काफी मददगार साबित हुआ हैए इससे बहुत समय बचा है। फसल पर कीटनाशक छिड़काव करने से फसले खराब नहीं होती है और ना ही उनमें कीड़े लगते हैं। जिससे खेती उन्नत होती है और खेत की जमीन भी उपजाऊ होती है। वे बताते है किए तीन एकड़ केले के खेत में नैनो डीएपी और फंगस नाशक का छिड़काव ड्रोन के माध्यम से करने पर अच्छे परिणाम मिले हैं। एक तो ड्रोन के अंदर दवा बहुत ही आसानी एवं व्यवस्थित अनुपात में रखी जाती है। ड्रोन से कीटनाशक ओस की बूंदों जैसा गिरता हैए जिसका प्रभाव फसल पर बहुत ही अच्छा दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि मैंने यह महसूस किया है कि, स्प्रे पंप के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव करने से अधिक फायदा मिला है। इससे प्रेरित होकर दूसरे किसान भी इसकी और आकर्षित हो रहे हैं। वे बताते है किए सरकार हमें जो सुविधा मुहैया करा रही है, इसका फायदा हमें हो रहा है। इससे हमारी आय भी बढ़ रही है।
श्रमिक, श्रम एवं समय की होती है बचत
कृषक कडु मेहरा कहते है किए मेरा 2.5 एकड़ का खेत दरगाह-ए-हकीमी रोड पर स्थित है। खेत में गन्ना फसल पर कीटनाशक दवा का छिड़काव किया है। वे बताते है किए अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशक छिड़काव करना एक अच्छा तरीका है। जिससे श्रमिक, श्रम और समय की भी बचत होती है। कृषक कडु मेहरा कहते है किए कृषक भाई अपने-अपने खेतों में छिड़काव हेतु अत्याधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह तकनीक किसानों के लिए कारगर रहेंगी। जिससे कृषकों को मदद् मिलेंगी।
ग्राम निमंदड़ में कृषक अक्षय किरण, दापोरा के कृषक दशरथ रघुनाथ महाजन, शिवराज वामन महाजन, अशोक किसन पाटील, युवराज बाजीराव पाटील, श्रीराम मधुकर पाटील इत्यादि कृषकों ने अपनी-अपनी फसलों में ड्रोन के द्वारा कीटनाशक का छिड़़काव किया है।
जिले के लगभग 250 किसानों ने अपनायी ड्रोन तकनीक
जानकारी अनुसार जिले में अब तक लगभग 250 किसानों द्वारा लगभग 2 हजार 640 एकड़ रकबे में विभिन्न प्रकार के कीटनाशक, फुंदनाशक जैसे हेक्साफोनेजोल, थायोफेनेटमेथाइल, प्रोपेकोनेजोल, एमामेक्टिन बेनजोऐट, प्रोफेनोफास, एमिनो एसिड, माईक्रोन्यूट्रिऐंट एवं नैनो यूरिया का स्प्रे केला, अरहर, मक्का, गन्ना आदि फसलों पर किया गया है। एक एकड क्षेत्र में ड्रोन से स्प्रे करने में 400 रूपये खर्च होता है। घोल के माईक्रोफाईन कण पत्तियों पर पूर्ण रूप से फैलते है जिससे फसल अच्छी रहती है तथा एक समान रूप से छिड़काव होता है। मजदूरों की कमी वाले क्षेत्र, उंचाई वाली फसलों एवं बडे रकबे में सीमित समय में छिड़काव हेतु ड्रोन उपयोगी सिद्ध होता है। इसके साथ ही कृषकों की रूचि को देखते हुए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हैदरपुर निवासी कृषक तुषार नारखेड़े एवं हतनूर की सुश्री पूनम को ड्रोन से छिड़काव हेतु प्रशिक्षण दिया जाकर लायसेंस दिया गया है।