बुरहानपुर। भारतीय किसान संघ ने गुरुवार को खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को जीएम बीटी बीज से संबंधित कई चिंताओं पर ज्ञापन सौंपा। संघ ने देशभर में सांसदों को इस विषय पर ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से जल्द राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की।
संघ के जिला अध्यक्ष संतोष महाजन ने कहा कि 23 जुलाई 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को कृषि वैज्ञानिकों, किसान संगठनों, और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श कर जीएम बीजों पर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया था। यह प्रक्रिया चार महीने में पूरी करनी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
संघ की चिंताएं:
जीएम बीजों में उपयोग हो रहे रसायन कैंसर जैसे गंभीर रोगों को जन्म दे सकते हैं। इन बीजों के शाकाहारी या मांसाहारी होने की स्पष्टता नहीं है। जीएम बीजों के उपयोग से देसी बीज खत्म हो रहे हैं। यह भारत की कृषि परंपरा और जैव विविधता को नुकसान पहुंचा सकता है। बीटी बीजों से अधिक उत्पादन का दावा भ्रामक और वैज्ञानिक धोखा हो सकता है। यह बीज भारत की कृषि स्वायत्तता और किसानों की आजीविका को कमजोर करने का एक खतरनाक विदेशी षड्यंत्र हो सकता है। जीएम बीजों की विश्वसनीयता की जांच के साथ जल्द राष्ट्रीय नीति बनाई जाए। देसी बीजों के संरक्षण और रासायनिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए फसल प्रबंधन की दिशा में काम किया जाए।
सांसद ने दिया आश्वासन
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने किसानों को आश्वासन दिया कि यह मामला केंद्रीय कृषि और पर्यावरण मंत्री के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की चिंताओं को देखते हुए जल्द कोई समाधान निकाला जाएगा।
यह रहे मौजूद
इस दौरान भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री इंद्रपाल महाजन, सहमंत्री वसंत पाटिल, उज्जवल पाटिल, भुवान सिंह चौहान, खकनार तहसील अध्यक्ष राजू प्रजापति, बुरहानपुर तहसील अध्यक्ष उत्तम महाजन, जैविक प्रमुख योगेश प्रजापति, नरेंद्र जाधव, ललित कश्यप, मीडिया प्रवीण चौधरी सहित अन्य सदस्य और पदाधिकारी मौजूद रहे।