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BURHANPUR NEWS- पुरानी पेंशन नीति को करें लागू, कर्मचारियों को हो रहा नुकसान

– पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सांसद को सौंपा ज्ञापन

बुरहानपुर। भारतीय मजदूर संघ से संबंधित राष्‍ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अखिल भारतीय व प्रदेश के आह्वान पर मप्र राज्य कर्मचारी संघ जिला शाखा बुरहानपुर ने एनपीएस को समाप्‍त कर पुरानी पेंशन योजना (सीसीएस पेंशन नियम 1972) लागू करने की मांग की। इस मांग को लेकर सदस्यों ने प्रधानमंत्री के नाम सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को अमरावती रोड स्थित सांसद कार्यालय में ज्ञापन सौंपा।
राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप इंगले बताया कि संगठन द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। इसमें संगठन ने पीएम को कई सुझाव दिए हैं। एनपीएस यानी नई पेंशन योजना को खत्म करने की बात कही गई है। साथ ही कर्मचारी नेता ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार अगर एनपीएस को खत्म नहीं करना चाहती, तो उसे कर्मियों को शर्तिया न्यूनतम पेंशन जो कि अंतिम वेतन का आधा हो, प्रदान करनी होगी। इतना ही नहीं, इसे महंगाई राहत भत्ते से जोड़ना होगा। अगर केंद्र सरकार जल्द ही ये मांग पूरा नहीं करती है, तो नवंबर में दिल्ली, कर्मियों की दहाड़ सुनेगी। देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मी, राज्य कर्मचारी राष्ट्रीय राजधानी में हल्लाबोल करेंगे।
इस अवसर पर प्रदेश सचिव संजय चौधरी ने कहा कि ये कर्मचारी देश की प्रगति में लगातार अपना योगदान दे रहे हैं। कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। प्रत्येक कर्मचारी चाहे वह किसी भी निजी या सरकारी संस्थान से संबंधित हो, अपने कौशल, शक्ति और ऊर्जा से नियोक्ता के लिए सेवानिवृत्ति तक खुद को समर्पित करता है। सेवानिवृत्ति के बाद वह कर्मचारी, उतना पारिश्रमिक पाने में असमर्थ हो जाता है, लेकिन उसकी आवश्यकता समाप्त नहीं होती है। उसे कई तरह की जिम्मेदारियां वहन करनी पड़ती हैं।
कर्मचारी के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने की जिम्मेदारी नियोक्ता पर होती है। पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा को केवल बाजार से संबंधित कारकों के द्वारा नहीं मापा जा सकता है। केंद्र सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में यह भार सरकार द्वारा ही वहन किया जाता था। इन सबके चलते ही सीसीएस (पेंशन) नियम-1972 को संकलित किया गया था। बाद में सरकार ने इसे अंशदायी भविष्य निधि से पेंशन योजना में परिवर्तन के लिए कर्मचारी पेंशन योजना-1995 की शुरुआत की। अब बाजार से जुड़े कारकों ने केंद्र सरकार को एक नियोक्ता के रूप में सामाजिक सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी वहन करने से विचलित करने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार इस दबाव के आगे झुक गई और पहली जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आने वाले कर्मियों को एनपीएस में शामिल कर दिया गया।
एनपीएस में कई तरह की दिक्कतें
नई पेंशन योजना के अनुसार, कर्मचारियों से मूल वेतन + डीए का 10 फीसदी अनिवार्य कटौती के रूप में वसूल किया जा रहा है। सरकार भी कर्मचारियों के मूल वेतन + डीए का 14 फीसदी योगदान दे रही है। एक सरकारी कर्मचारी 60 वर्ष की आयु में सेवा से बाहर निकलता है। उसके लिए पेंशन धन का 40 फीसदी निवेश करना अनिवार्य होगा, जिससे वह कर्मचारी, अपने आश्रित माता-पिता/पति या पत्नी के जीवनकाल के लिए पेंशन प्रदान करेगा। मौजूदा एनपीएस में कई तरह के अभाव हैं। जैसे इस नई प्रणाली में न्यूनतम गारंटीकृत पेंशन नहीं है। पेंशन पर महंगाई भत्ते के अभाव में मूल्य वृद्धि से कोई बचाव नहीं है। 80 वर्ष, 85 वर्ष, 90 वर्ष, 95 वर्ष या 100 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अतिरिक्त पेंशन का कोई लाभ नहीं।
नई पेंशन योजना की विशेषताएं
एनपीएस (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।
एनपीएस शेयर बाजार पर बेस्ड है। इसलिए यह अधिक सुरक्षित नहीं है।
एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।
इस स्कीम में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती है।
नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।
नई पेंशन योजना में 6 महीने बाद मिलने वाले महंगाई भत्ते (DA) का प्रावधान नहीं है।
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) में थीं ये विशेषताएं
पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
इस योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है।
ओपीएस में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की राशि मिलती है।
पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी द्वारा होता है।
रिटायर्ड कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलने का भी प्रावधान है।
ओपीएस में पेंशन के लिए कर्मचारी की सैलरी से कोई पैसा नहीं कटता है।
ओपीएस में 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है।
नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है।
कब लागू हुई थी नई पेंशन स्कीम?
सरकारी कर्मचारियों को साल 2004 से पहले पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद एक तय पेंशन मिलती थी। यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी पर आधारित होती थी। इस योजना में रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन मिलने का नियम था। लेकिन अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया। इसके स्थान पर नई पेंशन योजना लागू हुई। बाद में राज्यों ने भी नई पेंशन योजना को लागू कर दिया।
ज्ञापन का वाचन मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के जिला अध्‍यक्ष सुरेश पवार ने किया। उन्होंने बताया कि पुरानी पेंशन नीति को करें लागू, कर्मचारियों को हो रहा नुकसान देश भर में कर्मचारियों के हितों को लेकर भारतीय मजदूर संघ लंबे समय से कार्य कर रहा है और सब की मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा रहा है।
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए आश्वासन दिया। उन्होंने कहा आपकी जायज मांग को प्रधानमंत्री तक पहुंचाया जाएगा। शीघ्र ही निराकरण कराया जाएगा। ज्ञापन देते समय राष्ट्रीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप इंगले, प्रदेश मंत्री संजय चौधरी, संभागीय सचिव अनिल जैसवाल, जिला अध्यक्ष सुरेश पवार, जय प्रकाश चौधरी, आसिफ पिंजारी, हरिश जोशी, सतीश महाजन, पंढरीनाथ सोनवणे, भानुदास भंगाले, कैलास जयवंत, ब्लॉक अध्यक्ष सुनील कोटवे, उमेश रूपेरी, फहिम सर, मुश्ताक खान सहित महिला प्रतिनिधि मंगला वाघ आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।

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